बच्चियों को लिफ्ट में अकेले क्यों जाने दिए, गार्ड 24 मिनट तक कहां था… गाजियाबाद सोसाइटी का यह वीडियो सबक है

171
बच्चियों को लिफ्ट में अकेले क्यों जाने दिए, गार्ड 24 मिनट तक कहां था… गाजियाबाद सोसाइटी का यह वीडियो सबक है

बच्चियों को लिफ्ट में अकेले क्यों जाने दिए, गार्ड 24 मिनट तक कहां था… गाजियाबाद सोसाइटी का यह वीडियो सबक है

नई दिल्ली: लिफ्ट में फंसी तीन छोटी बच्चियों वाली तस्वीर आपने भी देखी होगी। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो देखकर हर मां-बाप चिंतित है। आजकल दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और ऐसे देश के कई शहरों में लोग ऊंची इमारतों में रह रहे हैं। अगर लिफ्ट इस तरह से फंस जाए तो क्या होगा? यह मामला गाजियाबाद में क्रॉसिंग रिपब्लिक की एसोटेक नेस्ट सोसायटी का है। बताया जा रहा है कि जब बच्चियां लिफ्ट में थीं तभी अचानक वह खराब हो गई। शायद आप भी कभी लिफ्ट में फंसे होंगे तो अंदाजा लगा सकते हैं कि चंद सेकेंड या 1-2 मिनट में हालत क्या हो जाती है। अब वायरल वीडियो देखिए, बच्चियां कैसे बदहवास दिख रही हैं, एक बच्ची दूसरे को समझाती है, तीनों मिलकर लिफ्ट का गेट पीटते हैं। ये नजारा देख आपकी धड़कनें बढ़ा देगा। सवाल उठता है कि इसका जिम्मेदार कौन है?


39 सेकेंड के वायरल वीडियो में दिखाई देता है कि कैसे एक बच्ची ने अपने कोमल हाथों से लिफ्ट के गेट को खींचकर खोलने की कोशिश की। एक बच्ची रोने लगती है तो दूसरी बच्ची उसे समझाती है। बताते हैं कि बच्चियां करीब 20 से 25 मिनट तक लिफ्ट में रोती-चिल्लाती रहीं लेकिन गार्ड लिफ्ट नहीं खोल पाए। मेंटेनेंस टीम को सूचना देने के बाद भी लिफ्ट ऑपरेटर जल्दी नहीं पहुंच पाया। क्या लिफ्ट का मेंटेनेंस ठीक से नहीं हो रहा था? क्या गार्ड सुस्त थे या फिर लिफ्ट फंसने पर उसे खोलने की प्रक्रिया पर ध्यान ही नहीं दिया जाता? ऐसे कई सवाल टावर में रहने वाले लोगों के जेहन में तैर रहे हैं।

लिफ्ट में बच्चियों के फंसने का मामला

यह घटना 29 नवंबर की है। क्रासिंग रिपब्लिक थाने में सोसायटी की एओए अध्यक्ष चित्रा चतुर्वेदी और सचिव अभय झा के खिलाफ केस भी दर्ज करा दिया गया है। हैरानी की बात है कि बच्चों के लिफ्ट का गेट पीटने से पास के फ्लैट में रहने वाले लोगों को पता चला। तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली तेजस्विनी, अपनी दोस्त मिषिका और वैदेही के साथ पार्क जा रही थी। तीनों 11वें फ्लोर पर थीं। टावर के लोग बताते हैं कि दरवाजा तो बंद हुआ लेकिन लिफ्ट नहीं चली। आरोप लगाए जा रहे हैं कि गार्ड और लिफ्ट ऑपरेटर जल्दी से गेट नहीं खोल पाए। बच्चियों के परिवारवालों ने बताया कि AOA लंबे समय से मेंटेनेंस का काम देख रही हैं। पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

सवाल 1- लिफ्ट में बच्चों को अकेले क्यों जाने दिए?

हमें अभिभावक के तौर पर यह समझना होगा कि 2-3 मंजिला घरों की तुलना में टावर्स में रहना बिल्कुल अलग है। वहां हम सीढ़ी से उतरते हैं लेकिन 20-30 मंजिला टावर्स में लिफ्ट ही एक साधन होता है। इस घटना में लिफ्ट का गेट खोलने में 20-25 मिनट की देरी लापरवाही, समन्वय और अलर्टनेस की कमी को दिखाता है लेकिन यह भी समझना होगा कि ऐसी घटना कभी भी किसी भी सोसाइटी के किसी भी टावर में हो सकती है। इसके लिए हमें एक SOP बनानी चाहिए। जैसे, छोटे बच्चों को अकेले लिफ्ट में न जाने देना। साल, दो साल के बच्चों को हम जिस तरह गोद में लेकर बाहर जाते हैं उसी तरह कम से कम पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को अभिभावक के साथ ही लिफ्ट में जाने देना चाहिए। यह रूल घर से शुरू होकर गार्ड के जरिए लागू किया जा सकता है। अगर कोई सीनियर इस लिफ्ट में होता तो बच्चियां इस तरह परेशान नहीं होतीं। अचानक लाइट जाने या लिफ्ट खराब होने पर ऐसी घटनाएं पेश आती हैं।

देखिए, मशीन है। कभी भी खराब हो सकती है। AOA की जिम्मेदारी यह होती है कि हम ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करें कि 1 मिनट से अधिकतम 5 मिनट तक लिफ्ट का गेट खोल दिया जाए। इसके लिए मास्टर-की, एआरडी सिस्टम काफी मदद करता है।

विकास कुमार, AOA अध्यक्ष, पंचशील ग्रीन्स 1 सोसाइटी ग्रेटर नोएडा

सवाल 2- बिल्डर कितना जिम्मेदार?

ऐसे मामलों में बिल्डर की भूमिका तभी सामने आती है जब वह मेंटेनेंस का काम देखता हो। अगर अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (AOA) मेंटेनेंस का काम देखता है तो यह जिम्मेदारी सोसाइटी के उन सदस्यों की है जो इसमें शामिल हैं। क्या नियमित रूप से लिफ्ट का मेंटेनेंस किया जाता है, क्या लिफ्ट में ऑटोमेटिक गेट खुलने का सिस्टम है? आजकल नई लिफ्ट में ऐसा सिस्टम आ गया है कि अगर अचानक लाइट जाती है तो नीचे वाले तल पर दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं। ऐसी व्यवस्था मेंटेनेंस करने वाले लोगों को हर टावर की लिफ्ट में लगानी चाहिए। कोशिश की जाए कि हर महीने 1-1 कर लिफ्ट की जांच की जाए।

Dog Attacked: नोएडा में नहीं रुक रहा लिफ्ट में कुत्तों का हमला, महिला ने बच्चों को किया बाहर…वीडियो वायरल

सवाल 3- लिफ्ट में गार्ड की भूमिका

आजकल हर सोसाइटी में गेट पर सुरक्षा, गाड़ियों की पार्किंग से लेकर टावर की सुरक्षा में प्राइवेट गार्डों की तैनाती की जाती है। इनकी जिम्मेदारी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि लिफ्ट 24 घंटे चलती है। अगर रात में गार्ड सो गया या दिन में कहीं बगल वाले गार्ड से बातें करने लगा तो भी ऐसी स्थिति में उससे चूक हो सकती है। ग्रेटर नोएडा की कई सोसाइटी में हर टावर गार्ड के पास एक मास्टर-की दी गई है जिससे लिफ्ट बंद होने पर उसे खोला जा सकता है। आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि लाइट जाने पर 30 सेकेंड से कम समय में जेनरेटर या बिजली का वैकल्पिक सिस्टम चालू हो जाता है। लेकिन मास्टर-की रहने से मुश्किल के समय आसानी हो सकती है।

लिफ्ट बंद हो सकती है, क्या करें?
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की पंचशील ग्रीन्स 1 सोसाइटी के AOA अध्यक्ष विकास कुमार बताते हैं कि यूपी में लिफ्ट ऐक्ट नहीं है। सरकार को इस दिशा में काम करने की जरूरत है। इससे एजेंसी और AOA की जिम्मेदारी तय करने में आसानी होगी। हाल में नोएडा और गाजियाबाद में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं। उन्होंने बताया, ‘हम लोगों ने जितने भी लॉबी गार्ड हैं उन्हें मास्टर-की दे रखी है। वे उस तल पर जाकर गेट खोल सकते हैं। वे फौरन रिस्पांस देते हैं। ARD (Advanced Rescue System) सिस्टम भी लगाया गया है जिसे बराबर चेकिंग कराते रहते हैं।’ वह समझाते हैं कि एआरडी सिस्टम लाइट जाने पर ही काम करता है। 10-15 सेकेंड में वह अगले तल पर लिफ्ट के गेट खोल देता है। लेकिन अगर मालफंक्शनिंग होती है तो एआरडी काम नहीं करती है। ऐसे में मास्टर-की से ही खोलना होगा।

उत्तर प्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Uttar Pradesh News