बक्सर के नंदन की जिद के सामने छोटी पड़ रही चोटियां, माउंट कनामो पर 328 फुट तिरंगा फहरा बनाया विश्व रिकॉर्ड

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बक्सर के नंदन की जिद के सामने छोटी पड़ रही चोटियां, माउंट कनामो पर 328 फुट तिरंगा फहरा बनाया विश्व रिकॉर्ड

बक्सर के नंदन की जिद के सामने छोटी पड़ रही चोटियां, माउंट कनामो पर 328 फुट तिरंगा फहरा बनाया विश्व रिकॉर्ड

बक्सर: कहा जाता है कि अगर कुछ करने की तमन्ना और जज्बा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। ऐसा ही कुछ कर रहे हैं बिहार के बक्सर जिले के चौसा प्रखण्ड के सरेंजा गांव के रहने वाले नंदन चौबे। आम तौर पर पर्वतारोहण के लिए बिहार में कोई सुविधा नहीं है लेकिन नंदन ने अपनी जिद की बदौलत न केवल उंची चोटियों पर चढ़ाई की बल्कि माउंट कनामो की चोटी पर सबसे लंबा तिरंगा फहरा कर विश्व रिकॉर्ड भी बना दिया। नंदन ने पिछले अगस्त महीने में हिमालय की दो ऊंची चोटियों पर फतह कर विश्व रिकॉर्ड बनाने में सफलता हासिल की है। अगस्त महीने में हिमाचल प्रदेश में मनाली और लेह के बीच स्थित माउंट युनाम और लाहौल स्पीति जिले में स्थित माउंट कनामो पर फतह हासिल की है। उन्होंने माउंट कनामो पर 328 फुट का राष्ट्रीय ध्वज फहराकर विश्व रिकॉर्ड बनाकर गौरव हासिल किया है।

नंदन चौबे बिहार के इकलौते पर्वतारोही
नंदन साफ तौर पर कहते हैं कि कुछ कर गुजरने का जज्बा और मंजिल तक पहुंचने का सही प्रयास हो तो ऊंचाइयां भी छोटी लगने लगती हैं। यह कामयाबी हासिल करने वाले नंदन चौबे बिहार के इकलौते पर्वतारोही हैं। उन्होंने बताया कि कनामो चोटी हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले में है जहां ऑक्सीजन की बेहद कमी है और इस चोटी को फतह करना बेहद मुश्किल समझा जाता है। ऐसी जगह पर 10 किलोग्राम वजन का झंडा ले जाना बड़ी बात है। पर्वतारोही नंदन चौबे का कहना है कि उनका पहाड़ों पर चढ़ना, एक्सप्लोर करना, नये नये एडवेंचर करना शौक और जज्बा रहा है। नंदन अपनी कामयाबी पर खुश हैं।

कामयाबी का रिकॉर्ड वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड
उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर यह कारनामा और खुशी देता है। उनकी यह कामयाबी का रिकॉर्ड वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड और इंटरनेशन बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया जा चुका है। नंदन चौबे ने बताया कि वह वर्ष 2017 में पहली बार केदारनाथ और केदारकंठ पहुंचे। वहां से बिल्कुल करीब से हिमालय के दिव्य दर्शन के बाद पर्वतारोहण की धुन सवार हुई। नंदन चौबे ने जवाहर पर्वतारोहण (जम्मू कश्मीर) तथा राष्ट्रीय पर्वतारोहण संस्थान, उत्तरकाशी (उत्तराखंड) से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया, इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

बचपन से ही प्रकृति और एडवेंचर का शौक
बक्सर के सरेंजा गांव से निकलकर पर्वतों के चढ़ाई तक का सफर हमेशा खास और कठिन रहा है। बचपन से ही प्रकृति और एडवेंचर का शौक रखने वाले नंदन को इसी शौक को मिल रही कामयाबी से हौसला बढ़ रहा है। रेनहोल्ड मेसनर और जिम्मी चिन को अपना आदर्श मानने वाले नंदन अब तक कई ऊंची चोटियां नाप दी है। उन्होंने बताया कि वे अब तक केदारकंठा, कालानाग, युनाम पीक, कानामो, स्टॉक कांगड़ी, कंगयात्से 2, दजो जोनगो, रुद्र गैरा, फ्ऱेंडशिप पीक, माउंट नुन, माउंट सतोपंथ की चोटियों पर पहुंच चुके हैं।

माउंट देनाली की चोटी पर तिरंगा फहराने की है योजना
नंदन कहते हैं कि कनामो पीक पर अब तक किसी ने झंडा नहीं फहराया था। यह विश्व रिकार्ड देश और पर्वतारोही सदस्यों को समर्पित है। उन्होंने भविष्य की योजनाओं के संबंध में पूछने पर कहा कि अगले वर्ष माउंट देनाली (नॉर्थ अमेरिका के अलास्का) की चोटी पर तिरंगा फहराने के लिए जाने की योजना है। उन्होंने बताया कि यह चढ़ाई किसी चुनौती से कम नहीं है। नंदन फिलहाल माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरा सबसे बड़ा लक्ष्य फिलहाल माउंट एवरेस्ट है। नंदन अब तक आइकॉनिक पर्सनालिटी ऑफ इंडिया, कलाम यूथ लीडरशिप, ग्लोबल बिहार एक्सलेंस अवार्ड सहित कई अवार्ड पा चुके हैं।

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