बंशीपहाड़पुर के दूसरे चरण में 248 हैक्टेयर क्षेत्र का होगा डायवर्जन | 248 hectare area in the second phase of Banshipaharpur | Patrika News
एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने भरतपुर दौरे के दौरान माइंस विभाग के एमई राम निवास मंगल, एएमई सुनील शर्मा व अधिकारियों के साथ बंशीपहाड़पुर क्षेत्र का दौरा किया और खनन पट्टाधारियों से भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि 248 हैक्टेयर क्षेत्र के द्वितीय चरण के डायबर्जन के प्रस्ताव तैयार कर भिजवाएं ताकि डायवर्जन की आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करवाई जा सके। उन्होंने बताया कि राममंदिर व अन्य स्थानों पर बंशीपहाड़पुर के विश्वविख्यात गुलाबी लाल पीले पत्थर की मांग होने से यह अतिसंवेदनशील कार्य था, पर समग्र प्रयासों से पहले चरण में 41 खनन पट्टों की नीलामी व एक पट्टा आरएसएमएम को जारी किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि बंशीपहाड़पुर में एसएमई जयपुर प्रताप मीणा को समयवद्ध क्रियान्वयन के लिए प्रभारी अधिकारी बनाते हुए जिम्मदारी दी गई। दूसरे चरण की कार्ययोजना व समन्वय की जिम्मेदारी प्रताप मीणा की दी गई है।
डा. अग्रवाल ने बताया कि बंशीपहाड़पुर में वैध खनन कार्य आरंभ कराना राज्य सरकार के लिए चुनौती भरा काम था। उच्चतम न्यायालय के आदेश से दिसंबर 1996 से बिना डायवर्जन के गैर वानिकी कार्य प्रतिबंधित किए जाने से उक्त क्षेत्र में वैध खनन बंद हो गया था। देश दुनिया में बंशीपहाड़पुर के पत्थर की मांग को देखते हुए क्षेत्र मेें अवैध खनन होने और आए दिन कानून व्यवस्था की समस्या सामने आ रही थी।
बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में खानों के प्लाट तैयार कर उनकी ई नीलामी व वैद्य खनन के लिए किए जा रहे प्रयासों की निरंतर मोनेटरिंग करते रहे हैं। बंशी पहाडपुर के पत्थर की राम मंदिर निर्माण में भी मांग को देखते हुए यह इस क्षेत्र में वैध माइंनिग शुरु करवाना राज्य सरकार के लिए संवेदनशील रहा है।
एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि प्रभावी तरीके से राज्य का पक्ष रखने का परिणाम रहा कि पहले केन्द्र सरकार से वन भूमि का डायवर्सन और उसके बाद प्लॉटों को तैयार कर आक्शन की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई। क्षेत्र में विश्वविख्यात गुलाबी लाल पत्थर का करीब 26 साल बाद वैध खनन आरंभ हो गया है। इससे हजारों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिलने लगा है वहीं नए निवेश की राह प्रशस्त हो गई है।
जिला कलक्टर के साथ बैठक में ड्रोन सर्वे के निर्देश-
एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने जिला कलक्टर आलोक रंजन व माइंस और जलदाय विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर विस्तार से विचार विमर्श किया। उन्होंने बताया कि द्वितीय चरण में डायवर्जन की औपचारिकता पूरा होने के बाद क्षेत्र में प्लॉटों की नीलामी की जा सकेगी जिससे अवैध खनन पर पूरी तरह से रोक लग सके और विश्वविख्यात लाल पत्थर का श्वैध खनन हो सके।
डॉ. अग्रवाल ने चर्चा के दौरान जिले की पहाड़ी, घटोली, मेरथा, जोतरली, भुसावर व बैर, बिजासन आदि में खनन गतिविधियों की जानकारी ली और निर्देश दिए कि आवश्यकता को देखते हुए अवैध खनन पर प्रभावी रोक के लिए ड्रोन सर्वे भी करवाया जाएं। उन्होंने कहा कि 14 वीं बटालियन का बेहतर उपयोग करते हुए अवैघ खनन गतिविधियों पर प्रभावी तरीके से रोक लगाई जाएं।
जिला कलक्टर आलोक रंजन ने बताया कि जिले में माइनिंग क्षेत्र में काफी विस्तारित और हरियाणा व उत्तर प्रदेश से सीमा सटी होने से अवैध खननकर्ता अन्य प्रदेशों में प्रवेश कर जाते हैं। उन्होंने बताया कि फिर भी जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व विभाग द्वारा अवैध खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं।
एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने भरतपुर दौरे के दौरान माइंस विभाग के एमई राम निवास मंगल, एएमई सुनील शर्मा व अधिकारियों के साथ बंशीपहाड़पुर क्षेत्र का दौरा किया और खनन पट्टाधारियों से भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि 248 हैक्टेयर क्षेत्र के द्वितीय चरण के डायबर्जन के प्रस्ताव तैयार कर भिजवाएं ताकि डायवर्जन की आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करवाई जा सके। उन्होंने बताया कि राममंदिर व अन्य स्थानों पर बंशीपहाड़पुर के विश्वविख्यात गुलाबी लाल पीले पत्थर की मांग होने से यह अतिसंवेदनशील कार्य था, पर समग्र प्रयासों से पहले चरण में 41 खनन पट्टों की नीलामी व एक पट्टा आरएसएमएम को जारी किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि बंशीपहाड़पुर में एसएमई जयपुर प्रताप मीणा को समयवद्ध क्रियान्वयन के लिए प्रभारी अधिकारी बनाते हुए जिम्मदारी दी गई। दूसरे चरण की कार्ययोजना व समन्वय की जिम्मेदारी प्रताप मीणा की दी गई है।
डा. अग्रवाल ने बताया कि बंशीपहाड़पुर में वैध खनन कार्य आरंभ कराना राज्य सरकार के लिए चुनौती भरा काम था। उच्चतम न्यायालय के आदेश से दिसंबर 1996 से बिना डायवर्जन के गैर वानिकी कार्य प्रतिबंधित किए जाने से उक्त क्षेत्र में वैध खनन बंद हो गया था। देश दुनिया में बंशीपहाड़पुर के पत्थर की मांग को देखते हुए क्षेत्र मेें अवैध खनन होने और आए दिन कानून व्यवस्था की समस्या सामने आ रही थी।
बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में खानों के प्लाट तैयार कर उनकी ई नीलामी व वैद्य खनन के लिए किए जा रहे प्रयासों की निरंतर मोनेटरिंग करते रहे हैं। बंशी पहाडपुर के पत्थर की राम मंदिर निर्माण में भी मांग को देखते हुए यह इस क्षेत्र में वैध माइंनिग शुरु करवाना राज्य सरकार के लिए संवेदनशील रहा है।
एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि प्रभावी तरीके से राज्य का पक्ष रखने का परिणाम रहा कि पहले केन्द्र सरकार से वन भूमि का डायवर्सन और उसके बाद प्लॉटों को तैयार कर आक्शन की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई। क्षेत्र में विश्वविख्यात गुलाबी लाल पत्थर का करीब 26 साल बाद वैध खनन आरंभ हो गया है। इससे हजारों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिलने लगा है वहीं नए निवेश की राह प्रशस्त हो गई है।
जिला कलक्टर के साथ बैठक में ड्रोन सर्वे के निर्देश-
एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने जिला कलक्टर आलोक रंजन व माइंस और जलदाय विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर विस्तार से विचार विमर्श किया। उन्होंने बताया कि द्वितीय चरण में डायवर्जन की औपचारिकता पूरा होने के बाद क्षेत्र में प्लॉटों की नीलामी की जा सकेगी जिससे अवैध खनन पर पूरी तरह से रोक लग सके और विश्वविख्यात लाल पत्थर का श्वैध खनन हो सके।
जिला कलक्टर आलोक रंजन ने बताया कि जिले में माइनिंग क्षेत्र में काफी विस्तारित और हरियाणा व उत्तर प्रदेश से सीमा सटी होने से अवैध खननकर्ता अन्य प्रदेशों में प्रवेश कर जाते हैं। उन्होंने बताया कि फिर भी जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व विभाग द्वारा अवैध खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं।