‘फ्रेडी’ बनने के लिए कार्तिक आर्यन ने बढ़ाया था 14 किलो वजन, बताया कितना मुश्किल था ये किरदार

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‘फ्रेडी’ बनने के लिए कार्तिक आर्यन ने बढ़ाया था 14 किलो वजन, बताया कितना मुश्किल था ये किरदार

‘फ्रेडी’ बनने के लिए कार्तिक आर्यन ने बढ़ाया था 14 किलो वजन, बताया कितना मुश्किल था ये किरदार

कार्तिक आर्यन। बॉलीवुड एक्टर। साल 2022 में छाए रहे। ‘भूल भुलैया 2’ से इन्होंने जो धमाकेदार वापसी की, उससे अमिताभ बच्चन, अजय देवगन, अक्षय कुमार, रणबीर कपूर जैसे कलाकार चारों खाने चित्त हो गए। अब वह OTT पर रिलीज हुई फिल्म ‘फ्रेडी’ में नजर आए। साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म में उनके अभिनय की खूब तारीफ हो रही है। उन्होंने इसमें में डार्क और इंटेंस किरदार निभाकर फैन्स को दंग कर दिया है। इतना ही नहीं, उनकी अपकमिंग फिल्मों की भी जो लिस्ट है, उससे भी लोगों को ऐसी ही उम्मीद है। खैर। नवभारत टाइम्स ने कार्तिक आर्यन से खास बातचीत की और कई सवालों के बेबाकी से जवाब दिए।

कार्तिक जब प्यार जुनून में बदल जाता है तो वो एक ऑब्सेशन का रूप ले लेता है, मैं आपसे जानना चाहती हूं आप किस तरह के प्यार में यकीन करते हैं?
-मेरे लिए बहुत सिंपल है की अगर प्यार है तो बिना शर्त के होना चाहिए। प्यार में कोई दायरे नहीं होने चाहिए और एक रिश्ते में बहुत ईमानदारी और सम्मान होना चाहिए। सामने वाले के लिए इनका मतलब कुछ भी हो सकता है, लेकिन जैसा मेरा मानना है वो ये है कि अगर सामने वाला आपके लिए कुछ कर रहा है तो ये जरूरी नहीं कि आप भी उतना ही नाप तोल कर उसके लिए करें। तो प्यार हमेशा सरल होना चाहिए और सम्मान के बिना तो कोई प्यार नहीं हो सकता।

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इस फिल्म में आपका किरदार काफी कॉम्प्लेक्स्ड है। किरदार की रूह में जाना आपके लिए कितना मुश्किल था?
-काफी कठिन था, क्योंकि ये असल कहानी पर बनी हुई फिल्म है, तो इसमें दिखाया गया है कि वो इस हद तक कैसे पहुंचा ये कहानी है। मैंने पूरी स्क्रिप्ट पढ़ी थी तो मुझे पता था इसके दिमाग में क्या है क्या नहीं है तो मुझे उस हिसाब से खुद को तैयार करना था। उस किरदार के लिए स्क्रिप्ट ही मेरी सोच थी।
फिल्म और उसी सोच के आधार पर फ्रेडी का किरदार बना गया कि फ्रेडी ऐसा करता होगा, ऐसे चलता होगा, शायद फूडी होगा, हंच होगा। एक कछुआ बेस्ट फ्रेंड है जिससे वो बात करता रहता है और उस कछुवे के अलावा उसका और कोई दोस्त ही नहीं है तो ये भी एक अलग-सी बात है। इस किरदार की सा तो ये सारी चीजें अलग हैं और मेरे लिए भी अलग था इस किरदार को करना, क्योंकि इससे पहले जो किरदार आपको आम जिंदगी में नहीं मिलते हैं, लेकिन ये थोड़ा-सा एक्सट्रीम किरदार है। ऐसे भी किरदार होते हैं लेकिन अमूमन आपको ऐसे लोग नहीं मिलते हैं और आई होप ना मिलें। ये बहुत दुखद है कि ऐसे लोग भी होते हैं। मैं बहुत खुश हूं, जिस तरह से फ्रेडी दिख रहा है। फ्रेडी की एक चाल है, एक नाचने का ढंग है, चीजों को करने का एक तरीका है जो आम लोगों से अलग है थोड़ा सा। वो एक सामान्य डेंटिस्ट नहीं है मैंने डेंटिस्ट की ट्रेनिंग के साथ-साथ इस किरदार के लिए अपना 14 किलो वजन भी बढ़ाया।

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इस साल की शुरुआत में भूल भुलैया 2 से आपने बॉक्स ऑफिस की रौनक लौटाई। आपकी ये फिल्म ओटीटी पर आ रही है, तो आप सेफ फील कर रहे हैं? बॉक्स ऑफिस का दबाव नहीं है?
-मुझे लगता है, ऐसा नहीं है। ओटीटी पर फिल्मों को लेकर लोगों में एक गलतफहमी है। ओटीटी पर भी लोग काफी सिलेक्टिव हो गए हैं। मुझे लगता है ऐसा है नहीं इसको लेकर थोड़ी सी गलतफहमी भी है क्योंकि ओटीटी पर भी लोग बहुत सलेक्टिव हो गए हैं। फिल्म को लेकर दर्शकों का जकड़े रहना जरूरी है। फिल्म में एक्टर होने के नाते आपका एक प्राइज अटैच होता है। क्या एकत्र को वो प्राइज मिल रही है फिल्म से? क्या निर्माता को वो प्राइज मिल रही है? क्या दर्शकों को उस तरह का मनोरंजन मिल रहा है? तभी वह फायदेमंद हो सकती है। इन सारे पैमानों पर आप तभी खरे उतर सकते हैं, जब फिल्म में वो दम-खम हो। इस दम-खम को नापने तोलने के लिए एक पूरी रिसर्च टीम काम करती है और वो फिल्म की स्ट्रीमिंग से पहले होती है। जिस तरह एक्टर का आकलन उसके आखिरी शुक्रवार से होता है, उसी तरह यहां भी फिल्म की व्यूअरशिप देखी जाती है। यहां आपको सब लोग सिर्फ फ्री में अपको काम देने नहीं बैठे हैं। आपको अपनी रोटी खुद ही कमानी पड़ेगी और उसके लिए कुछ न कुछ आपका टैलेंट होना ही चाहिए तो उसके लिए थोड़ा नर्वसनेस होनी जरूरी होती है। जहां तक मेरी अपनी बात है, तो मैंने थिएटर और ओटीटी पर एक बैलेंस बना लिया है, क्योंकि ओटीटी पर पहली बार धमाका को मिली प्रतिक्रियाओं से मैं बहुत खुश था और फिर भूल भुलैया को तो दर्शकों ने थिएटरों में भी प्यार दिया।

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हाल ही में आपका जन्मदिन था, तो इस सालगिरह पर आपने अपने लिए क्या रेजोल्यूशन लिया?
-खुशकिस्मती से अब करियर में सबकुछ अच्छा चल रहा है। आप जितने ज्यादा कामयाब होते हैं लोगों कि उम्मीद बढ़ती ही जाती है मैं बस उनको निराश नहीं करना चाहता हूं। जैसे शुरुआत से था वैसे ही रहना चाहता हूं। और साथ साथ क्या होता है की समय कि लिमिटेशन बढ़ने लगती है। तो और भी चीजें बढ़ने लगती हैं और जब ऐसा होता है तो मेरा रिजॉल्यूशन यही होता है कि सबको उतना वक्त दे पाऊं जितना देना चाहता था। सिर्फ काम को लेकर नहीं बल्कि निजी जिदंगी में भी तो मेरा ये रिजॉल्यूशन है की मैं परिवार को भी वक्त दे पाऊं और वर्क लाइफ में भी अपने लोगों को उतना ही वक्त दे पाऊं फिर चाहे वो मेरी टीम हो, जो मेरे साथ काम कर रहे हैं उनको या प्रोड्यूसर हों सबके साथ मैं उतना वक्त गुजार पाऊं और इसी एनर्जी के साथ काम कर पाऊं।

करियर के लिहाज से देखा जाए तो आपके लिए 2022 बहुत अच्छा रहा है, इसका क्रेडिट आप किसको देंगे?
-मुझे ऐसा लगता है कि मैं मेहनत करना नहीं छोड़ता हूं। कई बार ऐसा होता है कि लोग मेहनत करना कम कर देते हैं या फिर कुछ आशा छोड़ देते हैं जो मैंने कभी नहीं छोड़ी है। मेरे ऊपर जिन्होंने विश्वास किया और मुझे मौका दिया मैं उनको वो क्रेडिट देना चाहता हूं। जो डायरेक्टर मेरे साथ खड़े हुए। लेकिन मैंने कठिन परिश्रम किया है। मैं कभी भी छोटी-छोटी चीज भी नहीं जाने देता मैं उन छोटी चीजों के लिए लड़ा भी हूं। अपनी छोटी सी पहुंच के हिसाब से और मैं जहां पर हूं उन लड़ाइयों कि वजह से भी हूं। छोटी -छोटी चीजों का रिजल्ट जब आता है तो आप संतुष्ट होते हो। तो मैं हमेशा बड़े नतीजों के लिए लड़ता रहता हूं। मेरा हमेशा मेहनत और खुद पर विश्वास रहा है।

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हम देखते हैं की आजकल यूथ सोशल मीडिया एडिक्ट हो गया है। आप सोशल मीडिया कैसे हैंडल करते हैं? यूथ को क्या मेसेज देना चाहेंगे ?
-मैं गलत इंसान हूं इस मुद्दे पर सलाह देने के लिए, क्योंकि मैं सोशल मीडिया से बहुत एडिक्टेड इंसान हूं। लेकिन मेरा दूसरा रीजन ये है कि मेरा जो काम होता है, वो कहीं न कहीं मेरे सोशल मीडिया से जुड़ा होता है इसलिए कहीं ना कहीं मैं एडिक्टेड ही हूं। वो एक जरिया है मेरा मेरे ऑडियंस से कनेक्ट करने का। लेकिन इसके साथ ही ये भी लगता है कि हमें कहीं ना कहीं वो बैलेंस लाना जरूरी है। हालांकि मैं खुद इंप्लीमेंट नहीं कर पाता हूं। फिर भी चाहे वो स्टूडेंट्स हो, ऑफिस वाले हों या किसी भी पीढ़ी के लोग हों सबको अपने सोशल मीडिया और असल जिंदगी के बीच एक बैलेंस लाना बहुत जरूरी है, क्योंकि कई आप वो जिंदगी जीना शुरू कर देते हैं वो सही नहीं है। समझने की जरूरत है कि लाइक्स और व्यूज आपकी जिंदगी नहीं। उसके इतर भी जियो। मेरी यही राय है कि सबको ऐसा करना चाहिए और मैं भी ऐसा करूंगा।