फेल होने की तरफ बढ़ रही है मोदी सरकार की PLI Scheme… आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने उठाए सवाल

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फेल होने की तरफ बढ़ रही है मोदी सरकार की PLI Scheme… आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने उठाए सवाल

फेल होने की तरफ बढ़ रही है मोदी सरकार की PLI Scheme… आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने उठाए सवाल

नई दिल्ली: आरबीआई (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने मोदी सरकारी की महत्वाकांक्षी पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) पर सवाल उठाए हैं। एक रिसर्च नोट में उन्होंने कहा कि यह ऐसी योजना है जो फेल हो जाएगी। सरकार ने देश में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए विभिन्न सेक्टर्स के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये की प्रॉडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव स्कीम्स शुरू की है। राजन का कहना है कि इस योजना में मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग पर खास फोकस रखा गया है। लेकिन सच्चाई यह है कि भारत मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग का हब नहीं बना है। उनका कहना है कि इस योजना का अब तक कोई असर नहीं दिख रहा है। इसलिए इसे दूसरे सेक्टर्स में लागू करने से पहले इसके अब तक के परफॉरमेंस की समीक्षा की जानी चाहिए।

यह रिसर्च नोट राजन, राहुल चौहान और रोहित लांबा ने लिखा है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को पीएलआई स्कीम के आंकड़ों पर नजर डालनी चाहिए और इसका डिटेल असेसमेंट करना चाहिए कि इससे कितने रोजगार पैदा हुए, हरेक जॉब की कॉस्ट कितनी रही और यह अब तक कारगर क्यों नहीं रही। आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से पहले देश में केवल दो मैन्यूफैक्चरिंग फैक्ट्रीज थीं और आज इनकी संख्या 200 से ऊपर चली गई है। फाइनेंशियल ईयर 2023 में देश से करीब 1,85,000 करोड़ रुपये का इलेक्ट्रॉनिक गुड्स का एक्सपोर्ट किया गया। फाइनेंशियल ईयर 2022 में यह आंकड़ा 1,16,936 करोड़ रुपये था। इस तरह एक साल में इसमें 58 परसेंट की तेजी आई है।
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राजन का दावा

केंद्र सरकार ने देश में मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए साल 2016 में मोबाइल का आयात पर टैरिफ बढ़ा दिया था। इसके बाद 2020 में मोबाइल फोन के लिए पीएलआई स्कीम शुरू की गई थी। रिसर्च नोट में लिखा गया है कि पीएलआई स्कीम में देश में फोन की फिनिशिंग पर सब्सिडी दी जाती है। इस बात का कोई मतलब नहीं है कि देश में उसमें कितनी वैल्यू एड की जाती है। भारत अब भी मोबाइल फोन के ज्यादातर कलपुर्जे आयात करता है। राजन ने जो आंकड़े साझा किए हैं उनके मुताबिक भारत मोबाइल के प्रमुख कंपोनेंट्स में से किसी का एक्सपोर्ट नहीं करता है। इनमें सेमीकंडक्टर, पीसीबीए, डिस्प्ले, कैमरा और बैटरी शामिल हैं। उनका कहना है कि अप्रैल, 2018 में मोबाइल फोन पर टैरिफ बढ़ाने से आयात में उछाल आया है। यानी पीएलआई योजना में हम इम्पोर्ट पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर का कहना है कि फिनिश्ड सेल फोन्स के एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी से हम यह दावा नहीं कर सकते हैं कि भारत मैन्यूफैक्चरिंग में बड़ी ताकत बन गया है। संभव है कि मैन्यूफैक्चरर्स केवल भारत में एसेंबलिंग कर रहे हैं। ऐपल के आईफोन 12 मैक्स का उदाहरण देते हुए राजन ने कहा कि फॉक्सकॉन की फाइनल एसेंबली और टेस्टिंग से वैल्यू एडिशन मैन्यूफैक्चरिंग कॉस्ट का केवल चार परसेंट है। मैन्यूफैक्चरिंग कॉस्ट मोबाइल फोन की वैल्यू का करीब एक तिहाई है। उन्होंने कहा कि भारत को इस बात का आकलन करना चाहिए कि फिनिश्ड मोबाइल फोन पर जो छह फीसदी सब्सिडी दी जा रही है, वह देश में किए जा रहे वैल्यू एडिशन से अधिक है या नहीं। डब्ल्यूटीओ के रूल भारत में पीएलआई सब्सिडी को वैल्यू एडिशन से जोड़ने की अनुमति नहीं देते हैं। इन नियमों का हवाला देते हुए राजन ने कहा कि यह योजना नाकाम होने की तरफ बढ़ रही है।

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