फिल्म और ओटीटी ने बदल दी हिंदी लेखकों की जिंदगी, किताबों के मुकाबले मिल रहा कई गुना पैसा

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फिल्म और ओटीटी ने बदल दी हिंदी लेखकों की जिंदगी, किताबों के मुकाबले मिल रहा कई गुना पैसा

फिल्म और ओटीटी ने बदल दी हिंदी लेखकों की जिंदगी, किताबों के मुकाबले मिल रहा कई गुना पैसा

हिंदी के लेखकों की हमेशा से शिकायत रही है कि सिर्फ किताबें लिखकर कोई लेखक अपनी जिंदगी नहीं चला सकता। इसलिए कई लेखक लेखन के साथ नौकरी करते हैं या बिजनेस, लेकिन बदलते दौर में फिल्म और ओटीटी की दुनिया में हिंदी के इन लेखकों की बढ़ती मांग ने उनकी जिंदगी बदल दी। फिल्मों और ओटीटी की स्क्रिप्ट लिखकर वे किताबों के मुकाबले कई गुना पैसा कमा रहे हैं। हिंदी दिवस के मौके पर पेश है यह खास रिपोर्ट

ज्यादा दिनों की बात नहीं है, जब हिंदी के लेखकों को शिकायत रहती थी कि उन्हें लेखन से वह सब नहीं मिलता जो अंग्रेजी के लेखकों को मिलता है। फिर चाहे वह किताब से होने वाली कमाई की बात हो या फिर सिलेब्रिटी राइटर होने का ग्लैमर। इसलिए वे सिर्फ शौक के लिए लेखन करते हैं और आजीविका चलाने के लिए कुछ और काम, लेकिन बात अगर फिल्म और ओटीटी की दुनिया की करें तो यहां हिंदी की हैसियत खासी दमदार है। यही वजह है कि जब हिंदी में लिखने वाले लेखकों को बॉलिवुड और ओटीटी की दुनिया में मौका मिला, तो उन्हें न सिर्फ खासी कमाई हो रही है, बल्कि उनका नाम भी पहले से ज्यादा चर्चा में आ गया है। यही नहीं, कई हिंदी लेखकों ने तो अब फिल्म और ओटीटी के लिए लेखन को अपनी आजीविका का जरिया भी बना लिया है। फिर आजकल कमजोर स्क्रिप्ट के चलते एक के बाद एक फ्लॉप हो रही फिल्मों और वेब शोज के चलते फिल्मी दुनिया और ओटीटी पर भी हिंदी के हिट लेखकों को खासी तवज्जो मिलकर रही है। फिल्म और ओटीटी शोज के निर्माता न सिर्फ हिंदी के चर्चित लेखकों की किताबों के राइट्स मुंहमांगे दाम देकर खरीद रहे हैं, बल्कि उनसे अपनी फिल्मों के डायलॉग और फिल्मों का स्क्रीनप्ले भी लिखवा रहे हैं। कुल मिलाकर अगर यह कहा जाए कि नई वाली हिंदी के लेखकों ने अब किताबों के बाद फिल्मों और ओटीटी की ग्लैमरस दुनिया में भी हिंदी का झंडा बुलंद कर दिया है तो यह गलत नहीं होगा।

‘पहले के मुकाबले कई गुना कमाई’
‘बनारस टॉकीज’, ‘दिल्ली दरबार’ व ‘चौरासी’ आदि बेस्टसेलर किताबों के जाने माने लेखक सत्य व्यास युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी किताबों की लाखों प्रतियां बिक चुकी हैं और उनका कई भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है। 2015 में लेखन की शुरुआत करने वाले सत्य व्यास से जब हमने फिल्म और ओटीटी की दुनिया से जुड़ने के बाद जिंदगी में आए बदलाव के बारे में बात की, तो उन्होंने बताया, ‘मैंने अपने पांचों उपन्यासों के राइट्स फिल्म या ओटीटी शो बनाने के लिए बेच दिए हैं। इनके लिए 27 से लेकर 40 लाख रुपए तक की रकम मिली है। वहीं अगर मैं इनमें से किसी किताब के लिए स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखूंगा, तो मुझे लाखों रुपए की फीस का भुगतान अलग से होगा। अगर मैं इसकी तुलना अपनी किताबों से मिलने वाली रॉयल्टी से करूं, तो यह काफी ज्यादा कमाई है। पिछले दिनों मेरे उपन्यास चौरासी पर एक वेब सीरीज ग्रहण भी डिजनी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो चुकी है। भले ही आप सिर्फ हिंदी के लेखक के तौर पर अपना गुजारा नहीं चला सकते लेकिन अगर आप फिल्म और ओटीटी के लिए हिंदी में लेखन करते हैं तो आपको खासी कमाई होती है। हालांकि मैं अभी भी नौकरी कर हूं। फर्क बस यह आया है कि मैंने लेखन को ज्यादा वक्त देने के लिए अपना तबादला मुंबई करा लिया है।’

‘लेकिन जारी रखूंगा किताबें लिखना’
इंजीनियरिंग और एमबीए की डिग्री लेने के बाद एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी कर रहे दिव्य प्रकाश दूबे का मन लेखन की आकर्षित हुआ तो उन्होंने मसाला चाय, मुसाफिर कैफे और अक्टूबर जंक्शन समेत छह हिट किताबें लिखीं। हाल ही में सोनी लिव पर रिलीज हुई सुपरहिट वेब शो डॉक्टर अरोड़ा, गुप्त रोग विशेषज्ञ की कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग भी दिव्य ने इस शो के क्रिएटर इम्तियाज अली के साथ मिलकर लिखे हैं। दिव्य प्रकाश दूबे ने ओटीटी के अलावा फिल्मों की दुनिया में भी अपनी खासी पकड़ बनाई है। उन्होंने जल्द रिलीज होने वाली भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी 500 करोड़ रुपए के बजट में बनी तमिल फिल्म ‘पोन्नियन सेल्वन’ के हिंदी डायलॉग भी लिखे हैं। जब हमने दिव्य से पूछा कि किताबों की दुनिया से फिल्मों की दुनिया आने पर जिंदगी में कितना बदलाव आया है तो उन्होंने बताया, ‘हालांकि मैंने अपनी नौकरी किताबें लिखते लिखते ही छोड़ दी थी. लेकिन यह सच है कि फिल्मों और ओटीटी के लिए लिखने पर हिंदी के लेखकों की कमाई किताबों के मुकाबले कई गुना बढ़ जाती है। इसके अलावा अगर आप अपनी किताब के राइट्स फिल्म या वेब शो बनाने के बेचते हैं, तो भी आपको अच्छे पैसे मिलते हैं। मुझे फिल्म और ओटीटी राइटिंग के कई ऑफर मिल रहे हैं और मैं कई प्रोजेक्ट पर काम भी कर रहा हूं, लेकिन मैंने तय कर रखा है कि अपने अंदर के लेखक को जिंदा रखने के लिए मैं किताबें लिखना भी जारी रखूंगा।’

‘अच्छे लेखकों के लिए खूब है पैसा’
कुछ अरसे तक पहले तक एक बड़ी फाइनैंशल फर्म में वाइस प्रेसिडेंट की पोस्ट पर कार्यरत नई वाली हिंदी के बेस्टसेलर लेखक निखिल सचान आजकल पूरी तरह लेखन की दुनिया में रम गए हैं। नमक स्वादानुसार, यूपी 65 और पापामैन जैसे बेस्टसेलर पुस्तकों के लेखक निखिल ने पिछले दिनों अपनी नौकरी से त्यागपत्र देकर पूरी तरह फिल्म और ओटीटी राइटिंग की दुनिया में कदम रखा है। बकौल निखिल, ‘यह सच है कि आप सिर्फ हिंदी के लेखक के तौर अपना घरबार नहीं चला सकते। लेकिन अगर आप फिल्म और ओटीटी राइटिंग की दुनिया में आते हैं, तो आप अपनी सालाना रॉयलटी का दस बीस गुना आसानी से लेते हैं। आजकल फिल्म और ओटीटी की दुनिया में ओरिजिनल राइटिंग की वैसे भी काफी मांग है। अगर आपका काम अच्छा है, तो निर्माता आपको बतौर लेखक 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक फीस देने को तैयार हैं। बतौर लेखक मेरी एक वेब सीरीज होम शांति डिजनी हॉटस्टार पर रिलीज हो चुकी है। इसके अलावा मेरे कई और प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं। फिलहाल मेरा पूरा फोकस राइटिंग पर है। मैंने फुल टाइम स्क्रिप्ट राइटिंग को अपना करियर बना लिया है। इसके अलावा मैं अपनी बेस्टसेलर किताब पापामैन के राइट्स फिल्म बनाने के लिए बेच चुका हूं। बेशक फिल्म और ओटीटी राइटिंग ने मेरे जैसे हिंदी के लेखकों को पूरी तरह लेखन पर फोकस करने का हौसला दिया है।’