प्लास्टिक वेस्ट: इंदौर-रायपुर जैसे शहर करोड़ों कमा रहे, हम गंवा रहे | Plastic Waste Indore Raipur Income But Rajasthan Losing | Patrika News

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प्लास्टिक वेस्ट: इंदौर-रायपुर जैसे शहर करोड़ों कमा रहे, हम गंवा रहे | Plastic Waste Indore Raipur Income But Rajasthan Losing | Patrika News

प्लास्टिक वेस्ट: इंदौर-रायपुर जैसे शहर करोड़ों कमा रहे, हम गंवा रहे | Plastic Waste Indore Raipur Income But Rajasthan Losing | News 4 Social

प्लास्टिक वेस्ट देश के कई शहरों के लिए कमाई का साधन बन गया है। मगर राजस्थान के शहर कमाई तो दूर इसका निस्तारण करने में भी फेल साबित हो रहे हैं। हर साल राजस्थान में 60 हजार टन प्लास्टिक वेस्ट निकल रहा है, लेकिन निस्तारण केवल 8100 टन कचरे का ही हो पा रहा है।

जयपुर। प्लास्टिक वेस्ट देश के कई शहरों के लिए कमाई का साधन बन गया है। मगर राजस्थान के शहर कमाई तो दूर इसका निस्तारण करने में भी फेल साबित हो रहे हैं। हर साल राजस्थान में 60 हजार टन प्लास्टिक वेस्ट निकल रहा है, लेकिन निस्तारण केवल 8100 टन कचरे का ही हो पा रहा है। शेष बच रहा यह प्लास्टिक कचरा धरती को बांझ कर रहा है और आमजन के साथ-साथ जलीय जीव, जानवर सभी को नुकसान पहुंचा रहा है।

राजस्थान के 206 निकायों की ओर से वर्ष 2021-22 में पेश की गई रिपोर्ट में यह भयावह आंकड़े सामने आए हैं। सबसे खास यह है कि खुद राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल 72 हजार टन से ज्यादा सालान प्लास्टिक वेस्ट जनरेट होने का आंकड़ा बता रहा था, लेकिन निकायों में इससे भी कम आंकड़ा पेश किया है। यही नहीं इसमें वो प्लास्टिक वेस्ट भी शामिल नहीं हैं जो कचरा बीनने वाले उठाकर ले जाते हैं। ऐसे में आंकड़ा दुगुना भी हो सकता है।

इंदौर-रायपुर कमा रहे हैं लाखों रुपए

इंदौर-रायपुर जैसे नगर निगम राजस्थान के लिए मिसाल बन सकते हैं। यहां प्लास्टिक कचरे से कमाई की जा रही है। रायपुर नगर निगम ने वित्त वर्ष 2021-22 में सीमेंट संयंत्रों को प्लास्टिक कचरा बेचकर डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की है। छत्तीसगढ़ का अंबिकापुर भी प्लास्टिक कचरे से कमाई कर रहा है। इंदौर पिछले आठ साल से प्लास्टिक सहित अन्य तरह का कचरा सीमेंट फैक्ट्रियों को ईंधन के लिए दे रहा है। इसके बदले नगर निगम को करीब डेढ़ करोड़ रुपए की कमाई हो रही है। लखनउ नगर निगम भी गीला—सूखा कचरा अलग से एकत्रित करेगा। इसे सूखे कचर से निकलने वाली पॉलिथिन, प्लास्टिक की बोतल व अन्य प्लास्टिक कचरे को बेचा जाएगा।

ग्रेटर नगर निगम जागा, हैरिटेज सुस्त

ग्रेटर नगर निगम ने भी प्लास्टिक से कमाई शुरू कर दी है। ग्रेटर निगम के 9 में से 7 कचरा ट्रांसफर स्टेशनों पर कचरे से प्लास्टिक निकालने का काम दिया गया है। इससे निगम को हर महीने 15 लाख रुपए की कमाई हो रही है। वहीं हैरिटेज नगर निगम में अब भी प्लास्टिक कचरे का निस्तारण सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। दोनों नगर निगम में करीब 100 टन के आसपास प्लास्टिक कचरा रोज निकल रहा है।

दिवाली पर हर रोज निकला 1225 टन प्लास्टिक कचरा

दिवली से पहले लोगों ने घरों में जो सफाई की, उसमें करीब 1225 टन प्लास्टिक कचरा निकला है। यह आंकड़ा प्लास्टिक बैन के दावों की पोल खोलता है। जयपुर में यह आंकड़ा 300 टन से ज्यादा था। यह हाल तो तब है जब राजस्थान में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर 1 अगस्त, 2010 से पूर्ण रूप से रोक लगी थी। इसके लिए बनाए नियमों के तहत अगर किसी व्यक्ति को इसका उपयोग करते पकड़ा गया तो उस पर 5 साल की सजा और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।

फैक्ट फाइल

कुल प्लास्टिक कचरा-60651 टन
पृथक्करण-1120 टन
प्रोसेसिंग-6417 टन
कॉ-प्रोसेसिंग-1746 टन
कुल कार्रवाई-76
प्लास्टिक सीज-1414 किलोग्राम
चालान-600 रुपए



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