प्राणवायु का छल: नये बंटवारे में रीवा को 25 टन ऑक्सीजन तो सतना को मिलेगी सिर्फ 4.60 टन

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प्राणवायु का छल: नये बंटवारे में रीवा को 25 टन ऑक्सीजन तो सतना को मिलेगी सिर्फ 4.60 टन

प्रदेश स्तर पर जिलों को जिस तरीके से ऑक्सीजन का बंटवारा हुआ है उससे सतना जिला गंभीर ऑक्सीजन संकट के मुहाने पर खड़ा हो गया है। जिले को आवश्यकता से कम ऑक्सीजन का आवंटन किया गया है वहीं पड़ोसी जिले रीवा को मांग से ज्यादा ऑक्सीजन आवंटित की गई है। हद तो यह है कि सतना से काफी छोटे जिले कटनी तक को सतना से ज्यादा ऑक्सीजन आवंटित हुई है।

सतना. कोरोना काल में अब बड़े पैमाने पर मरीज अस्पतालों में आ रहे हैं और उन्हें इस समय सबसे ज्यादा प्राणवायु की आवश्यकता है। सांसों की डोर बचाए रखने के लिए सिर्फ ऑक्सीजन ही बड़ा विकल्प बनी हुई है, इस परिस्थिति में भी सतना के साथ बड़ा छल हुआ है। प्राणवायु के प्रादेशिक बंटवारे में जो मैपिंग ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए की गई है उसमें सतना जिले के बहुत कम ऑक्सीजन आवंटित की गई है। नई मैपिंग में सतना जिले को 4.60 टन ऑक्सीजन प्रदान की गई है जबकि रीवा मेडिकल कॉलेज को 25 टन आक्सीजन दी गई है। यह स्थिति तब है जब जिले के कोविड प्रभारी मंत्री खुद सतना जिले के ही है। सतना के साथ हुए खेल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सतना से काफी छोटे कटनी जिले तक को सतना से ज्यादा 5 टन ऑक्सीजन दी गई है तो रीवा को आवश्यकता से ज्यादा ऑक्सीजन दे दी गई।

बंटवारे में राजनीतिक प्रभाव की चर्चा

इस बंटवारे को राजनीतिक प्रभाव से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। सांसों की डोर को लेकर सतना के साथ जो खेल हुआ है वह जिलेवासियों की नाराजगी का भी सबब बन रहा है। क्योंकि सतना जिले की आक्सीजन की जो डिमांड है उतनी भी आक्सीजन नहीं दी गई है जबकि पड़ोसी जिलों को डिमांड से ज्यादा तक आक्सीजन दी गई है।

यह है ऑक्सीजन का नया बंटवारा

प्रदेश स्तर से ऑक्सीजन की जो नई मैपिंग की गई है उसके अनुसार सतना जिले को ऑक्सीजन की आवश्यकता 6.50 टन बताई गई है। लेकिन जिले को ऑक्सीजन का शासन ने जो अलाटमेंट किया है वह महज 4.60 टन है। अर्थात आवश्यकता से 1.90 टन आक्सीजन दी गई है। स्पष्ट है इस कमी का असर कोरोना पीड़ित मरीजों के इलाज पर पड़ेगा। उधर पड़ोसी कटनी जिले को देखें जो सतना से काफी छोटा जिला है लेकिन उसे 5 टन ऑक्सीजन दी गई है। रीवा जिले को तो दिल खोलकर 25.70 टन ऑक्सीजन जारी की गई है जबकि उसकी ऑक्सीजन की आवश्यकता 20 टन है।

तो एलाइड को होगी दिक्कत

अभी सतना जिले को इसलिए ऑक्सीजन की दिक्कत नहीं हो रही थी क्योंकि सतना को अपने दो आक्सीजन प्लांटों से ऑक्सीजन मिल रही थी। जिसमें एक अलाइड और दूसरा विनायक था। विनायक इंजीनियरिंग को मैप करते हुए यहां की पूरी ऑक्सीजन सतना के हिस्से दी गई है। लेकिन एलाइड को मैपिंग से ही बाहर कर दिया गया है। मैपिंग से बाहर होने पर अब इसे एलएमओ से लिक्विड ऑक्सीजन सहज तरीके से नहीं मिल पाएगी। जिससे जिले में आक्सीजन का संकट बढेगा।

संकट इसलिए भयावह

संकट इसलिए भयावह होने वाला है क्योंकि अभी जिले को मांग के अनुरूप ऑक्सीजन नहीं दी गई है। जिस तरीके से कोविड मरीजों की संख्या बढ़ रही है और उत्तर प्रदेश सहित अन्य जिलों से भी मरीज आ रहे हैं वैसे में डिमांड और बढ़ेगी। इसके साथ ही बढ़ते रोगियों को देखते हुए जिले में आक्सीजन बेड की संख्या भी बढ़ाई जा रही है जिससे स्वाभाविक रूप प्राणवायु की मांग और बढ़ने वाली है। ऐसे में जिले में स्थिति क्या होगी अंदाजा लगाया जा सकता है।

रीवा से लगातार आती है मांग

इन हालातो में भी लगातार रीवा से आक्सीजन की मांग सतना आ रही है। जिले के प्लांट संचालकों की माने तो राजनीतिक दबाव में कई बार रीवा को आक्सीजन देनी पड़ती है। लिहाजा अब इस पर सख्ती से रोक नहीं लगाई गई तो हालात काफी बिगड़ सकते हैं। साथ ही सतना जिले को मैपिंग में ऑक्सीजन का कोटा बढ़ाने के लिए राजनीतिक प्रयास भी काफी जरूरी है।

सतना की सुविधाएं भी रीवा में

इस मामले में जिला अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना की पहली लहर में इलाज का जो प्रोटोकॉल बनाया गया था उसमें सीरियर मरीजों को मेडिकल कॉलेज रेफर करने का स्पष्ट निर्देश था। इसके मद्देनजर सतना, सीधी और सिंगरौली जिले के गंभीर मरीजों के हिस्से की गहन चिकित्सा की सुविधाएं रीवा मेडिकल कॉलेज को दी गई थीं। जिसमें वेंटीलेटर, आक्सीजन सिलेण्डर आदि शामिल थे। अब रीवा अपने यहां बेड फुल होने की बात कहते हुए सतना के मरीज भर्ती करने में भारी आनाकानी करता है। साथ ही शासन से अब यह भी निर्देश हैं कि किसी मरीज को रेफर तभी किया जाए जब रेफर की जाने वाली संस्था में बेड की उपलब्धता के लिए वहां के प्रबंधन से बात हो जाए। ऐसे में सतना के मरीजों के लिए दिक्कत हो सकती है।





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