प्रदेश सरकार गन्ना किसानों की समस्याओं को हल करें – भगत सिंह वर्मा | Press Conference of Bhartiya Kisan Union Verma | Patrika News

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प्रदेश सरकार गन्ना किसानों की समस्याओं को हल करें – भगत सिंह वर्मा | Press Conference of Bhartiya Kisan Union Verma | Patrika News

प्रदेश के गन्ना किसानों को आसानी से दिया जा सकता है गन्ने का लाभकारी रेट ₹600 कुंटल – भगत सिंह वर्मा

 

लखनऊ

Published: April 23, 2022 08:12:29 pm

यहां रिसालदार पार्क में भारतीय किसान यूनियन वर्मा की बैठक को संबोधित करते हुए पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारतीय किसान यूनियन वर्मा के राष्ट्रीय संयोजक भगत सिंह वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार चीनी मिल मालिकों से मिलकर लगातार गन्ना किसानों का शोषण कर रही है। प्रदेश के गन्ना किसानों को गन्ने का लाभकारी मूल्य तो दूर लागत मूल्य भी सरकार नहीं दिला रही है जिसके कारण प्रदेश के गन्ना किसान लगातार कर्ज में डूबते जा रहे हैं। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि इस बार गन्ने की लागत एक कुंतल करने पर ₹450 कुंतल आई है। जबकि सरकार गन्ना किसानों को चीनी मिलों से ₹350 कुंटल रेट दिला रही है। जबकि एक -एक चीनी मिल को 200- 200 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है।

प्रदेश सरकार गन्ना किसानों की समस्याओं को हल करें – भगत सिंह वर्मा

भगत सिंह वर्मा ने कहा कि सरकार चीनी मिलों से समय से ₹350 कुंतल का भी भुगतान नहीं दिला पा रही है जिससे प्रदेश के गन्ना किसान भारी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि शुगर कंट्रोल ऑर्डर 1966 के अनुसार जो चीनी मिले 14 दिन के अंदर गन्ना किसानों को गन्ना भुगतान नहीं करती हैं उन्हें 15% वार्षिक दर से गन्ना किसानों को ब्याज का भुगतान करना चाहिए। भगत सिंह वर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश की 120 चीनी मिलों पर गन्ना सीजन 2021-22 का आज तक 11 हजार करोड़ रुपए गन्ना भुगतान और पिछले वर्षों में प्रदेश की चीनी मिलों द्वारा देरी से किए गए गन्ना भुगतान पर लगा ब्याज 10 हजार करोड़ रुपए बकाया है जिसे दिलाने के लिए प्रदेश सरकार कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि प्रदेश के गन्ना किसानों को आसानी से गन्ने का लाभकारी रेट ₹600 कुंतल दिया जा सकता है।

एक कुंतल गन्ने से चीनी मिलों में 12 किलोग्राम से लेकर 14 किलोग्राम तक चीनी बन रही है। 5 किलोग्राम शिरा बन रहा है 30 किलोग्राम बगास खोई बन रही है साडे 4 किलोग्राम परेसमढ मैली बन रही है। जिसमें शीरा सबसे महत्वपूर्ण है यह शीरा नहीं हीरा है। 5 किलोग्राम शीरा से एक बल्क लीटर अल्कोहल बनता है जब यह उत्तर प्रदेश में देसी शराब में प्रयोग होता है तो सरकार के खाते में ₹700 एक्साइज ड्यूटी के रूप में सीधा चला जाता है और जब यह अंग्रेजी शराब में प्रयोग होता है उस समय ₹1000 से लेकर ₹3000 तक एक्साइज ड्यूटी के रूप में प्रदेश सरकार को राजस्व के रूप में प्राप्त होता है इस प्रकार से एक कुंतल गन्ने से सरकार चीनी मिल मालिक ₹2000 से भी अधिक वसूल करते हैं इसके बावजूद भी प्रदेश के गन्ना किसानों को खोई के दाम भी सरकार नहीं दिला पा रही है जिसके कारण प्रदेश के गन्ना किसान भारी आर्थिक संकट में है।

भगत सिंह वर्मा ने कहा कि वर्ष 1967 में चौधरी चरण सिंह जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होते थे उस समय गन्ने का रेट ₹12 कुंटल होता था उसी समय प्राइमरी स्कूल के अध्यापक की नौकरी ₹70 प्रति महीना थी जो आज 1000 गुना बढ़कर ₹70000 प्रति महीना से भी अधिक हो गई है इस हिसाब से गन्ने का रेट ₹12000 कुंटल होना चाहिए। गन्ना उत्तर प्रदेश और देश की आर्थिक रीढ़ है जिससे प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है इसलिए सरकार गन्ना किसानों को कम से कम गन्ने का लाभकारी रेट ₹600 कुंतल दिलाने का काम करें।

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