प्रदेश के ये 5 खिलाड़ी टीम इंडिया में हो सकते हैं शामिल , रणजी में किया है शानदार प्रदर्शन | These 5 players great performance in Ranji of the state can be include | Patrika News
मध्य प्रदेश के चैम्पियन बनने की सबसे बड़ी वजह रही, अलग-अलग मैच में अलग-अलग खिलाडिय़ों का शानदार प्रदर्शन। सीजन में कम से कम 5 खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्होनें अलग-अलग मौकों पर टीम को जीताया, और इसीलिए मध्य प्रदेश का चैम्पियन बनने का सपना पूरा हो पाया। खिलाडिय़ों के इसी बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए भारतीय टीम में जगह मिलने की संभावनाएं भी बढ़ चुकी है तो आइए आपको ऐसे ही पांच खिलाडिय़ों के बारें में बताते है जिन्होंने टीम की जीत में अहम योगदान निभाया है और जो भारतीय टीम में अपनी जगह बना सकते है।
आदित्य श्रीवास्तव
चंद्रकांत पंडित के कोच बनने के बाद मप्र की टीम में कई अहम बदलाव हुए। जिसमें से एक था टीम का कप्तान बदलना। मप्र की रणजी क्रिकेट टीम को लगभग 16 साल बाद भोपाल से कोई कप्तान मिला। दाएं हाथ का यह बल्लेबाज कोच पंडित द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी पर खरा उतरा। बता दें कि आदित्य को घरेलू क्रिकेट खेलते हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है. लेकिन, फिर भी कोच पंडित ने उन पर भरोसा किया और उस भेरोसे पर आदित्य भी बिल्कुल खरे उतरे। उन्होंने सेमीफाइनल में बंगाल के खिलाफ शानदार पारी खेलते हुए 82 रन बनाए थे। उनकी इसी पारी की बदौलत मध्य प्रदेश की टीम बंगाल को हराने में सफल रही और फाइनल में पहुंचकर खिताब जीती।
रजत पाटीदार
रजत आईपीएल 2022 में रॉयल चैजेंलर्स बैंगलोर के लिए भी खेले थे। रजत रिकॉर्ड शतक ठोकने वाले रणजी ट्रॉफी के इस सीजन में मध्य प्रदेश के लिए अच्छी बल्लेबाजी की। उन्होंने फाइनल में मुंबई के खिलाफ शतक लगाकर बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए टीम को चैम्पियन बनाने में अहम योगदान दिया। पाटीदार ने फाइनल में तेजी से बल्लेबाजी करते हुए महज 163 गेंद में अपनी सेंचुरी पूरी की थी, उनकी इसी पारी की मदद से मध्य प्रदेश की टीम मुंबई पर पहली पारी में बड़ी बढ़त बना पाई। बता देे कि रजत इस सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की सूची में दूसरे स्थान पर रहे। उन्होंने बल्ले का कमाल दिखते हुए 6 मैच में 79 की औसत से 600 से अधिक रन बनाए।
यश दुबे
रजत पाटीदार के बाद मध्य प्रदेश के लिए सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी यश दुबे हैं। उन्होंने रणजी ट्रॉफी के इस सीजन में सबसे अधिक रन बनाने वालों में चौथे स्थान कायम किया हैं। बता दें कि यश को फस्र्ट क्लास क्रिकेट खेलते हुए 4 साल ही हुए हैं। लेकिन, इसके बावजूद उन्होंने इस सीजन में बड़ी ही उम्दा बल्लेबाजी करते हुए टीम को जीत के शिखर पर पहुंचाया।
हिमांशु मंत्री
हिमांशु का इस सीजन में विकेट कीपर और बल्लेबाज के साथ मध्य प्रदेश का फस्र्ट डेब्यू था। लेकिन, इतने कम समय में एक बल्लेबाज के तौर पर खुद को स्थापित कर टीम के बेहतरीन खिलाड़ी बनकर उभरे. मंत्री ने रणजी ट्रॉफी के 4 मैच में 67 के औसत से 300 से अधिक रन बलाए है। इस दौरान उन्होंने एक शतक और एक अर्धशतक भी मारा है। मंत्री ने यह शतक बंगाल के खिलाफ सेमीफाइनल में बनाया। उन्होंने पारी की शुरुआत करते हुए 165 रन ठोके थे. उनकी इस पारी की बदौलत मध्य प्रदेश की टीम फाइनल में पहुंच सकी थी. इससे पहले, हिमांशु ने इससे पहले पंजाब के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में भी 89 रन बनाए थे।
कुमार कार्तिकेय
बाएं हाथ के स्पिनर के क्रिकेट करियर में यह साल मील का पत्थर साबित हुआ। पहले उन्हें आईपीएल खेलने का मौका मिला और दूसरा उनकी टीम रणजी ट्रॉफी में चैम्पियन बनी। कुमार इससे पहले और भी दो राज्यों के खिलाड़ी रह चुके है। उनके लिए यहां तक का सफर आसान नहीं था. क्रिकेटर बनने के लिए कार्तिकेय ने टायर फैक्ट्री में नौकरी भी की। 4 साल पहले क्रिकेट में डेब्यू करने वाले इस खिलाड़ी ने मध्य प्रदेश को चैम्पियन बनाने में काफी अहम रोल निभाया। उन्होंने सेमीफाइनल में 8 विकेट चटकाकर एमपी को फाइनल में पहुंचाने में मदद की। इसी के साथ फाइनल की दूसरी पारी में मुंबई के 4 बल्लेबाजों को पवेलियन का रास्ता भी दिखाया। आपको बता दें कि वो इस सीजन में सबसे अधिक विकेट लेने वालों की लिस्ट में दूसरे स्थान पर रहे। कुमार ने 6 मैच में 32 विकेट झटककर यह इतिहास गढ़ा है।
मध्य प्रदेश के चैम्पियन बनने की सबसे बड़ी वजह रही, अलग-अलग मैच में अलग-अलग खिलाडिय़ों का शानदार प्रदर्शन। सीजन में कम से कम 5 खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्होनें अलग-अलग मौकों पर टीम को जीताया, और इसीलिए मध्य प्रदेश का चैम्पियन बनने का सपना पूरा हो पाया। खिलाडिय़ों के इसी बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए भारतीय टीम में जगह मिलने की संभावनाएं भी बढ़ चुकी है तो आइए आपको ऐसे ही पांच खिलाडिय़ों के बारें में बताते है जिन्होंने टीम की जीत में अहम योगदान निभाया है और जो भारतीय टीम में अपनी जगह बना सकते है।
आदित्य श्रीवास्तव
चंद्रकांत पंडित के कोच बनने के बाद मप्र की टीम में कई अहम बदलाव हुए। जिसमें से एक था टीम का कप्तान बदलना। मप्र की रणजी क्रिकेट टीम को लगभग 16 साल बाद भोपाल से कोई कप्तान मिला। दाएं हाथ का यह बल्लेबाज कोच पंडित द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी पर खरा उतरा। बता दें कि आदित्य को घरेलू क्रिकेट खेलते हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है. लेकिन, फिर भी कोच पंडित ने उन पर भरोसा किया और उस भेरोसे पर आदित्य भी बिल्कुल खरे उतरे। उन्होंने सेमीफाइनल में बंगाल के खिलाफ शानदार पारी खेलते हुए 82 रन बनाए थे। उनकी इसी पारी की बदौलत मध्य प्रदेश की टीम बंगाल को हराने में सफल रही और फाइनल में पहुंचकर खिताब जीती।
रजत पाटीदार
रजत आईपीएल 2022 में रॉयल चैजेंलर्स बैंगलोर के लिए भी खेले थे। रजत रिकॉर्ड शतक ठोकने वाले रणजी ट्रॉफी के इस सीजन में मध्य प्रदेश के लिए अच्छी बल्लेबाजी की। उन्होंने फाइनल में मुंबई के खिलाफ शतक लगाकर बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए टीम को चैम्पियन बनाने में अहम योगदान दिया। पाटीदार ने फाइनल में तेजी से बल्लेबाजी करते हुए महज 163 गेंद में अपनी सेंचुरी पूरी की थी, उनकी इसी पारी की मदद से मध्य प्रदेश की टीम मुंबई पर पहली पारी में बड़ी बढ़त बना पाई। बता देे कि रजत इस सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की सूची में दूसरे स्थान पर रहे। उन्होंने बल्ले का कमाल दिखते हुए 6 मैच में 79 की औसत से 600 से अधिक रन बनाए।
यश दुबे
रजत पाटीदार के बाद मध्य प्रदेश के लिए सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी यश दुबे हैं। उन्होंने रणजी ट्रॉफी के इस सीजन में सबसे अधिक रन बनाने वालों में चौथे स्थान कायम किया हैं। बता दें कि यश को फस्र्ट क्लास क्रिकेट खेलते हुए 4 साल ही हुए हैं। लेकिन, इसके बावजूद उन्होंने इस सीजन में बड़ी ही उम्दा बल्लेबाजी करते हुए टीम को जीत के शिखर पर पहुंचाया।
हिमांशु मंत्री
हिमांशु का इस सीजन में विकेट कीपर और बल्लेबाज के साथ मध्य प्रदेश का फस्र्ट डेब्यू था। लेकिन, इतने कम समय में एक बल्लेबाज के तौर पर खुद को स्थापित कर टीम के बेहतरीन खिलाड़ी बनकर उभरे. मंत्री ने रणजी ट्रॉफी के 4 मैच में 67 के औसत से 300 से अधिक रन बलाए है। इस दौरान उन्होंने एक शतक और एक अर्धशतक भी मारा है। मंत्री ने यह शतक बंगाल के खिलाफ सेमीफाइनल में बनाया। उन्होंने पारी की शुरुआत करते हुए 165 रन ठोके थे. उनकी इस पारी की बदौलत मध्य प्रदेश की टीम फाइनल में पहुंच सकी थी. इससे पहले, हिमांशु ने इससे पहले पंजाब के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में भी 89 रन बनाए थे।
कुमार कार्तिकेय
बाएं हाथ के स्पिनर के क्रिकेट करियर में यह साल मील का पत्थर साबित हुआ। पहले उन्हें आईपीएल खेलने का मौका मिला और दूसरा उनकी टीम रणजी ट्रॉफी में चैम्पियन बनी। कुमार इससे पहले और भी दो राज्यों के खिलाड़ी रह चुके है। उनके लिए यहां तक का सफर आसान नहीं था. क्रिकेटर बनने के लिए कार्तिकेय ने टायर फैक्ट्री में नौकरी भी की। 4 साल पहले क्रिकेट में डेब्यू करने वाले इस खिलाड़ी ने मध्य प्रदेश को चैम्पियन बनाने में काफी अहम रोल निभाया। उन्होंने सेमीफाइनल में 8 विकेट चटकाकर एमपी को फाइनल में पहुंचाने में मदद की। इसी के साथ फाइनल की दूसरी पारी में मुंबई के 4 बल्लेबाजों को पवेलियन का रास्ता भी दिखाया। आपको बता दें कि वो इस सीजन में सबसे अधिक विकेट लेने वालों की लिस्ट में दूसरे स्थान पर रहे। कुमार ने 6 मैच में 32 विकेट झटककर यह इतिहास गढ़ा है।