पेट्रोल-डीजल पर वैट की असमानता से जनता-सरकार दोनों का हो रहा नुकसान, इसे जीएसटी में लाए या घटाए | association demand petrol come in gst | Patrika News

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पेट्रोल-डीजल पर वैट की असमानता से जनता-सरकार दोनों का हो रहा नुकसान, इसे जीएसटी में लाए या घटाए | association demand petrol come in gst | Patrika News

पेट्रोल-डीजल पर वैट की असमानता से जनता-सरकार दोनों का हो रहा नुकसान, इसे जीएसटी में लाए या घटाए | association demand petrol come in gst | Patrika News

यह बाते बुधवार को पत्रिका कार्यालय में पेट्रोप-डीजल पंप संचालकों के साथ आयोजित परिचर्चा में संचालकों ने कही। इंदौर पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने पंप संचालन और पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों को ले कर कई मुद्दों पर खुल कर अपनी बात रखी। संचालकों ने सुरक्षा, परिवहन और पंप संचालन नीति से संबंधित कई समस्याओं को भी साझा किया। सदस्यों का कहना था, दोनों वस्तुओं पर पूरे देश में एक समान दरें लागू हो जाएं तो हमारे साथ जनता-सरकार भी फायदे में रहेगी। क्योंकि पड़ौसी राज्यों से महंगा होने के कारण वाहन चालक यहां से दोनों जरूरत इतनी खरीदते हैं। इससे राज्य को टैक्स तो नहीं मिलता है, दूसरे राज्यों के डीजल का धुंआ भी हमारे हिस्से में आता है। पत्रिका इंदौर मप्र के आरआर गोयल और स्थानीय संपादक गोविंद ठाकरे ने पत्रिका की सफल यात्रा के बारे में जानकारी दी। सदस्यों ने कुछ इस तरह अपनी बातें साझा की।

बार्डर के पंप प्रभावित एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेन्द्र वासु का कहना है, वैट अन्य राज्यों से ज्यादा है। इससे डीजल की बिक्री ज्यादा प्रभावित हो रही है। उप्र में डीजल प्रदेश से 7 रुपए प्रतिलीटर सस्ता है। अन्य राज्य के हाल भी यहीं है। इसका ज्यादा असर बार्डर के पंप पर हो रहा है।

आन लाइन करें पीयूसी पंप संचालक सुमित कीमती ने बताया, शहर में पंपों पर वाहनों के पीयूसी कार्ड बनाने की मशीनें है। लोगो की इसे बनवाने में रूचि नहीं हैं। महाराष्ट की तरह कार्रवाई हो और निगरानी आन लाइन हो जाए तो जागरूकता आएगी।

कमीशन बढ़ाए सरकार पंप संचालक मनीष भाटिया का कहना था, कोरोना में खूब सेवा की। सरकार का ध्यान हमारी ओर नहीं है। 2017 से कमीशन नहीं बढ़ाया गया। जबकि पंप संचालन के खर्चे काफी बढ़ गए है।

ऑटोमेशन की जानकारी दे एसोसिएशन के सचिव संजय दुबे का कहना है, कंपनियों ने ऑटोमेशन कर दिया। इसकी जानकारी ग्राहको को नहीं बताई जाती। इसके लिए कंपनियां सहयोग करके ग्राहकों को जागरूक बनाएं।

डीम्ड असेसमेंट लागू हो पंप संचालक नरेश बत्रा का कहना है, पंपों से कंपनियां पेट्रोल देते समय ही टैक्स ले लेती है। इसके बाद भी रिटर्न भरना होता है। इसके लिए डीम्ड असेसमेंट जैसी योजनाएं बनी, लेकिन लागू नहीं हो सकी।

पंपों की सभी जिम्मेदारी संचालक रघुवीरसिंह नारंग का कहना था, सरकार ने पंप संचालकों पर अनेक तरह की जिम्मेदारियां सौंप दी है। कानून का पालन भी पंपों को करवाना होता है। इससे विवाद की िस्थतियां बनती है।

सुरक्षा पर सजग रहें संचालक नवनीत छाबड़ा का कहना था, पंप संचालन के लिए कई तरह के नियमों का पालन करना होता है। इसमें सेफ्टी को ले कर सजग रहने की जरूरत है। इसके लिए सुरक्षित नीति बनें तो अच्छा रहेगा।

पुलिस निगरानी रखें ग्रामीण क्षेत्र के प्ंप संचालक महेश पटेल का कहना था, पंपों पर सुरक्षा को ले भी मुश्किल आती है। इसलिए देर तक पंप चालू नहीं रख सकते हैं। पुलिस गश्त आदि के समय पंपों पर निगरानी रखेंगे तो अच्छा रहेगा।

पंपों पर भरोसा बढ़े पंप संचालक सचिन गर्ग का कहना है, िस्थतियां बदल गई है। शार्ट पेट्रोल डीजल की मानसिकता के चलते आज भी विवाद होते हैं। इस िस्थति को बदलने के लिए प्रयास करना होंगे। जिससे छबि बदले, भरोसा बढ़े।

सफाई में सहयोग दें पंप संचालक फरजान निजाम का कहना है, पंपो पर सार्वजनिक टायलेट के कारण सुरक्षा को खतरा रहता है। इनकी सफाई में भी परेशानी होती है। संचालक इसे बंद करना नहीं चाहते हैं, निगम सफाई में सहयोग दें।

परिवहन में समन्यन पंप संचालक संजय मोदी का कहना है, तीनों कंपनियों में समन्वयन नहीं होने से डीजल-पेट्रोल का परिवहन लंबी दूरी तक करना होता है। इसे कंपनियां सहयोग कर कम कर सकती है। इससे भी दाम में कमी आएगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में परेशानी हाईवे पर पंप संचालक अमरजीत सिंह का कहना है, डीजल मंहगा होने से हाई-वे के पंपों को ज्यादा नुकसान होता है। वाहन रूकते नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य धंधे भी प्रभावित होने से रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं।

ग्राहक जागरूकता में मदद करें एसोसिएशन के उपाध्यक्ष गोपाल मिश्रा का कहना है, ग्राहक जागरूकता के लिए मीडिया सहयोग कर सकता है। वर्तमान में उपभोक्ता व डीलर्स के बीच कई तरह की भ्रांतियां है। जिसे दूर करने की जरूरत है।

फिटनेस चेकिंग समय पर हो सीएनजी पंप संचालक नीरज अग्रवाल का कहना है, सीएनजी पंप की एक ही परेशानी है, किट टेस्टिंग की फिटनेस जांचना। यह काम रजिस्ट्रेशन अथारटी का होता है। बिना चेंकिंग के भी फिटनेस जारी हो जाते हैं।



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