पिता के गुजरने के बाद मेरी मां ने घर-घर जा कर बर्तन धोए, झाड़ू-पोछे का काम किया- विशाल जेठवा

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पिता के गुजरने के बाद मेरी मां ने घर-घर जा कर बर्तन धोए, झाड़ू-पोछे का काम किया- विशाल जेठवा

पिता के गुजरने के बाद मेरी मां ने घर-घर जा कर बर्तन धोए, झाड़ू-पोछे का काम किया- विशाल जेठवा

‘भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप’ जैसे सीरियल में बाल किशोर कलाकार के रूप में नजर आने वाले विशाल जेठवा ने जब ‘मर्दानी 2′ में रेपिस्ट और साइको किलर की भूमिका निभाई तो अपने दमदार अभिनय से जल्द ही पहचान बना ली।’ह्यूमन’ जैसे सीरीज के यादगार चरित्र के बाद वे इन दिनों चर्चा में हैं अपनी फिल्म ‘सलाम वेंकी’ से। मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी जैसी बीमारी से पीड़ित सच्ची कहानी पर आधारित इस फिल्म में विशाल को उनके काम के लिए बहुत तारीफ मिल रही है। उनसे एक बातचीत।

‘मर्दानी 2’ की नेगेटिव इमेज को तोड़ने के लिए आपने ‘सलाम वेंकी’ जैसा इमोशनल और पॉजिटिव रोल चुना?
जिस वक्त मुझे मर्दानी की भूमिका मिली, उस वक्त मैं इस स्थिति में नहीं था कि किसी रोल को चुन सकूं या मना कर दूं। सच कहूं, तो मुझे यशराज में छोटा-सा रोल भी मिलता, तो मैं हर हाल में करता। मुझे तो रानी मैम (रानी मुखर्जी) के साथ एक लाइन भी मिलती या एक फ्रेम में साथ खड़े रहने का मौक़ा भी मिलता, तो भी मैं खुशी-खुशी अपना लेता। अगर इमेज की बात करें तो मैं इस चीज को लेकर ज्यादा चिंता नहीं करता, क्योंकि आखिरकार आपका गोल ही आपको अपनी जगह पर लेकर जाता है और आपकी किस्मत में जो लिखा होता है, वो तो हो ही जाता है। मैं बस अच्छे रोल की तलाश में रहता हूं। मेरे लिए माध्यम का भी बंधन नहीं है। मुझे छोटे परदे पर जाने में भी कोई ईगो नहीं। मेरे लिए रोल का दमदार होना अहम है।

आपके करियर में लेडी लक काफी काम आया है। ‘मर्दानी’ में रानी मुखर्जी, ‘ह्यूमन’ जैसी सीरीज में शेफाली शाह-कीर्ति कुल्हारी और सलाम वेंकी में काजोल का साथ मिला। असल जिंदगी में किन महिलाओं से प्रभावित रहे हैं?
दिलचस्प बात ये है कि पहले भी मैंने प्रड्यूसर (निर्माता आदित्य चोपड़ा) की पत्नी रानी मैम और ह्यूमन में भी एक प्रड्यूसर (विपुल अमृतलाल शाह) की पत्नी शेफाली मैम के साथ काम किया तो वो भी एक कॉमन फैक्टर है। इस बार सिर्फ काजोल जी ही नहीं महिला निर्देशक के रूप में रेवती मैम भी मिलीं। जहां तक असल जिंदगी की बात है, तो मेरी अपनी जिंदगी में भी बदकिस्मती से मेरे परिवार में मर्द ज्यादा जी नहीं पाए हैं। जैसे कि मेरे पापा, मेरे बड़े पापा या फिर मेरे दादा उनको भी मैंने नहीं देखा था, ये सभी मेरे बचपन में ही गुजर गए थे। अपने नाना को भी मैंने बहुत कम समय के लिए देखा, तो मेरे परिवार की बागडोर महिलाओं ने संभाली। सभी ने बहादुरी से सारी जिम्मेदारियों का वहन किया। मैं 13 साल का था, जब मेरे पिता चल बसे। पिता के गुजरने के बाद मेरी मां ने घर-घर जा कर बर्तन धोए, झाड़ू-पोछे का काम किया। एक वक्त ऐसा भी था, जब मेरी मां सुपर मार्केट में सैनिटरी पैड बेचा करती थी।

बचपन में आपके क्या स्ट्रगल था और सपने क्या थे?
मुझे सपना देखना क्या होता है इस बारे में भी नहीं पता था। जिस माहौल में हम रहते थे, वहां पर रोजी -रोटी ही सपना था। हमारे लिए तब मॉल में जाना बहुत बड़ी बात हुआ करती थी। होटल जाकर खाना खाना किसी विदेश ट्रिप की तरह थी। मैं बैकग्राउंड डांसर के रूप में सारेगामापा में गया और वहीँ मैंने अभिनय की क्लास जॉइन कर ली। संघर्ष के उन दिनों में मुझे समझ में आया कि अपनी कमाई से एक साइकिल खरीदना भी कितनी बड़ी बात है। मेरे गुरू शोएब खान ने मुझे अभिनय की तालीम ही नहीं दी बल्कि मां की इज्जत करना भी सिखाया। मुझे याद है कि मेरी मां केटरिंग का काम किया करती थी। आम तौर पर वे अच्छे होटलों में साडी पहनकर सर्व किया करती थी। तब कई बार ऐसा हुआ है कि मां हम लोगों को चुपचाप किसी शादी या फंक्शन में अच्छा खाना खिलाने के लिए बुला लेतीं वो दिन हमारी दावत होती थी। हम लोग वहां जाकर छककर स्वादिष्ट खाना खाते थे और किसी को पता नहीं चलता था।

रोटी और खाने की इसी जद्दोजहद के साथ जिंदगी आगे बढ़ रही थी। मैंने रेलवे स्टेशनों पर नुक्कड़ नाटक भी खूब किए। मीरा रोड स्टेशन पर किया हुआ नुक्कड़ नाटक काफी वायरल हुआ था। पहले छोटे-मोठे काम मिले फिर टीवी पर महाराणा प्रताप के रूप में एक बड़ा ब्रेक मिला। मगर एक समय ऐसा भी आया, जब मैं सेल्फ डाउट करने लगा। मैं उस दौर में काफी रोया करता था। फिर जब मर्दानी मिली तो वो मेरे करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई।

अब आप एक मशहूर एक्टर हैं, तो अपनी मां के लिए क्या करना चाहेंगे?
मेरा फिलहाल का सिर्फ इतना मकसद है कि मैं मेरी मम्मी को किसी भी चीज के लिए ना नहीं कहूं . सब चीज के लिए हां कहूं बस। मैं अपनी मां की हर ख्वाहिश पूरी करना चाहता हूं। चाहे वो घूमने-फिरने की बात हो या क्षोिपंग की। मेरी मां ने हमारे लिए बहुत कष्ट उठाए हैं। मैंने देखा है कि जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और कमाने लगते हैं, तो माता-पिता के को उपेक्षित करना शुरू कर देते हैं। मैं चाहता हूं मेरी मां हमेशा मेरे परिवार की क्वीन रहे और डिसिजन मेकर भी। एक सीक्रेट है, जो बहुत जल्द मैं अपनी मां के लिए पूरा करना चाहूंगा।

सलाम वेंकी में आपको मौका कैसे मिला और आपने इतने संवेदनशील चरित्र को कैसे अंजाम दिया?
मुझे लगता है, उन्होंने मेरी मर्दानी देखी थी। रेवती मैम और फिल्म के लेखक के दिमाग में तो वेंकी के रोल के लिए मैं ही था। मुझे जब कॉल आया तो यही कहा गया कि फिल्म में मेरे साथ काजोल मैम हैं और रेवती मैम इसका डायरेक्शन करेंगी। मुझे ताकीद की गई कि मैं इस प्रोजेक्ट की बात को गुप्त रखूं , तब तक मुझे अपने रोल के बारे में जानकारी नहीं थी। जब मैंने अपने रोल के बारे में सुना तो इंटरवल पॉइंट तक आते -आते मैं बहुत जज्बाती हो गया था। मैंने इस रोल और कहानी से खुद को इसलिए भी जुड़ा हुआ पाया, क्योंकि असल जिंदगी में भी मैं अपनी मॉम के बहुत करीब हूं। फिल्म करने से पहले मुझे मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी जैसी बीमारी के बारे में पता नहीं था। मेरा किरदार वेंकी इसमें इसी बीमारी से पीड़ित दिखाया गया है। ये एक ऐसी रेयर बीमारी है, जिसमें पीड़ित के शरीर के मसल्स धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। इस तरह के मरीज अमूमन 13 -14 साल से ज्यादा जी नहीं पाते। मुझे रेवती मैम ने एक विडियो भेजा, जिसमें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित पेशंट की पूरी जर्नी थी। मैं तो उस वेंकटेश से कभी मिल ही नहीं पाया, जिसके जीवन पर यह फिल्म बनी है। मैंने रेवती मैम के विजन, स्क्रिप्ट और अपनी कल्पना शक्ति के आधार पर इस किरदार को बुना।

काजोल जैसी अभिनेत्री का साथ कैसा रहा?
काजोल मैम के साथ तो सब हंसी-मजाक में काम हो जाता है। वे सेट पर बात करती रहेंगी और फिर अचानक सीरियस सीन को चुटकियों में इतनी खूबसूरती से निभा ले जाएंगी कि आपको पता ही नहीं चल पाएगा। रानी मैम का भी यही अंदाज है। काजोल मैम बहुत मस्ती करती हैं और रानी मैम सबकी क्लास लेती हैं। हमको पता नहीं चलता है कि एक मिनट के बाद ये इमोशनल सीन करके हमें रुला देंगी, तो ये गिव एंड टेक हमेशा रहता है। काजोल मैम बहुत कूल हैं, लेकिन उनके सामने मैं कूल नहीं रह पाता, क्योंकि मेरे दिमाग में तो वो द काजोल ही हैं ना। अभी मैं उनके बारे में इतनी बात कर रहा हूं, लेकिन अगर मैम रहेंगी तो बोलती बंद हो जाती है।

काजोल को लेकर आपकी मेमोरीज क्या रही हैं?
मैं हाल ही में ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ दोबारा देखने गया, तो वापस से सब यादें ताजा हो गईं। हां ये भी है कि कुछ कुछ होता है में रानी मैम और काजोल मैम भी दोनों हैं। अभी हम लोग एक रियलिटी शो में गए थे तो वहां पर मैं मैम के साथ था। वो बहुत यादगार था। वैसे मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं। मुझे अंदाजा है कि मेरी हद क्या है? मजेदार बात ये है कि वे बातचीत और बर्ताव में काफी सहज हैं, मगर मैं डर और रिस्पेक्ट के कारण थोड़ा सहमा रहता हूं।

अगर आप फिल्म के हीरो के रूप में नजर आएं, तो किस हीरोइन के हीरो बनना चाहेंगे?
कटरीना कैफ मेरी हमेशा से ही पसंदीदा रही हैं। बहुत बड़ा क्रश था उन पर। हर एक फोटो लाइक करता था मैं। जब शादी हुई तो दिल टूटा, बहुत बुरा लगा खुद के लिए। पता था,आउट ऑफ रीच हैं वे लेकिन बहुत दिल टूटा। मगर मैं जानता हूं कि मैं उनको एक फैन के तौर पर पसंद करता हूं। मुझे उनकी पर्सनल जिंदगी के बारे में ज्यादा पता है नहीं। कैटरीना के अलावा मुझे अनन्या पसंद हैं, क्योंकि वे बहुत ही बबली हैं।

आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स?
इसके बाद मैं ऑलरेडी तीन फिल्मों कि शूटिंग कर चुका हूं। लेकिन उसके बारे में ज्यादा बता नहीं पाऊंगा। वो सब 2023 में आएंगी, जो कि यशराज केसाथ हैं।