पार्टी ऑफिस के बाद अब सोफा भी छीन लिया, BMC में पूर्व पार्षदों की आखिरी सुविधा भी खत्म, कमिश्नर का नया आदेश

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पार्टी ऑफिस के बाद अब सोफा भी छीन लिया, BMC में पूर्व पार्षदों की आखिरी सुविधा भी खत्म, कमिश्नर का नया आदेश

पार्टी ऑफिस के बाद अब सोफा भी छीन लिया, BMC में पूर्व पार्षदों की आखिरी सुविधा भी खत्म, कमिश्नर का नया आदेश


मुंबई: करीब एक साल से प्रशासक के रूप में कार्य कर रहे बीएमसी कमिश्नर आई.एस. चहल ने पूर्व नगरसेवकों के प्रति कड़ा रुख अपनाया है। पार्टी कार्यालय सील करने, पीए और समर्थकों का साथ में प्रवेश करने पर पाबंदी लगाने के बाद चहल ने पार्टी कार्यालयों के बाहर लगे सोफा, बेंच और कुर्सियों को भी हटवा दिया है। अब पूर्व नगरसेवकों के बैठने के लिए बीएमसी में कोई जगह नहीं बची है। अब पूर्व नगरसेवकों को यदि बीएमसी में किसी काम से आना है तो उन्हें खड़े-खड़े ही काम करना होगा। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के बीच शिवसेना कार्यालय पर कब्जे को लेकर लगातार टकराव देखने को मिल रहा है। इसी क्रम में 28 दिसंबर को बीएमसी में शिवसेना कार्यालय पर कब्जे को लेकर शिंदे गुट और ठाकरे गुट में आमने-सामने का टकराव हो गया, जिसे पुलिस के हस्तक्षेप के बाद शांत कराया जा सका।

इस घटना के बाद चहल ने बड़ा निर्णय लेते हुए बीएमसी में सभी राजनीतिक दलों के कार्यालयों को सील कर दिया है। बीएमसी में स्थित बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी, सपा एवं शिवसेना के कार्यालय पर नोटिस चस्पा कर उसे सील कर दिया गया। नोटिस में कहा गया है कि प्रशासक के आदेशानुसार ऑफिस को तत्काल अस्थायी रूप से सील किया जा रहा है। पार्टी ऑफिस सील होने के बाद सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने कमिश्नर चहल से पार्टी कार्यालय खोलने की मांग की, लेकिन चहल नहीं माने। इसके बाद से अब तक पार्टी कार्यालयों के बाहर सोफा, बेंच और कुर्सी पर पूर्व नगरसेवक आकर बैठते थे और अपने कार्यालय के कर्मचारियों के माध्यम से अपनी-अपनी मांग अधिकारियों के कार्यालयों में भिजवाते थे।

शिवसेना कार्यालय शिंदे गुट को मिल गया
शिवसेना कार्यालय सील होने के बाद भी उद्धव ठाकरे गुट के नेता प्रतिदिन आकर कार्यालय के बाहर लगे सोफे पर आकर बैठते थे और मीडिया से अपने बयान साझा करते थे। इसमें पूर्व मेयर से लेकर कई पूर्व नगरसेवक शामिल थे, जो प्रतिदिन बीएमसी कार्यालय में आकर बैठने लगे थे। वहीं विवाद के बाद शिंदे गुट का कोई नेता कार्यालय नहीं आया। जबकि इस दौरान केंद्रीय चुनाव आयोग ने शिवसेना और चुनाव चिह्न धनुष-बाण शिंदे को दे दिया। विधानमंडल सत्र शुरू होने से पहले वहां शिवसेना कार्यालय भी शिंदे गुट को मिल गया।

लेकिन बीएमसी मुख्यालय स्थित शिवसेना कार्यालय पर शिंदे गुट कब्ज़ा करने में सफल नहीं हुआ, जबकि ठाकरे गुट के नेता यहां जमे रहे। बीएमसी सूत्रों का कहना है कि शिंदे गुट के नेताओं ने इस संबंध में कमिश्नर चहल से शिकायत की। इसके बाद चहल ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कार्यालयों के बाहर बैठने के लिए रखे गए सोफे, बेंच और कुर्सियों को भी हटवा दिया।

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