पहले बच्चे को गोद लिया, बीमार हुआ तो वापस छोड़ दिया | first adopted the child then left back | Patrika News
एम्स में हुई जांच
मातृछाया प्रबंधन ने इस बच्चे के वापस आने पर एम्स में विशिष्ट जांच कराई। वहां के चिकित्सकों ने स्पष्ट बताया कि अभी न तो बच्चे में कोई कैंसर के लक्षण हैं और न ही वर्तमान स्थिति के अनुसार भविष्य में कैंसर होने की संभावना है।
1 साल रखने के बाद कहा- आगे नहीं पाल सकते
दत्तक संस्था मातृछाया के पदाधिकारी प्रदीप सक्सेना ने बताया कि सितंबर 2018 में ग्वालियर के एक दंपती ने तय प्रक्रिया के तहत एक बच्चा गोद लिया था। गर्मी के मौसम में उसे जब सतना से ग्वालियर ले जा रहे थे तो रास्ते में उसकी तबीयत खराब हो गई। उसका ग्वालियर में इलाज कराया गया। उस दौरान उसकी डब्लूबीसी काउंट अनियमित आ रहा था। ठीक होने के बाद जब दंपती ने बच्चे के आगे भी बीमार होने पर कुछ जांचें कराईं तो उस रिपोर्ट को देखने के बाद किसी चिकित्सक ने यह आशंका जताई कि आगे चल कर बच्चे को ब्लड कैंसर हो सकता है। हालांकि इस संबंध में उसने कोई रिपोर्ट नहीं लिखी। इसी आशंका के मद्देनजर इस दंपती ने बच्चे को वापस लौटाने का निर्णय लिया। मातृछाया को बताया कि उनके पास पहले से एक विकलांग बच्चा है, जिसे विशेष केयर की आवश्यकता है। वह बिना मां के नहीं रहता है। ऐसे में इस बच्चे को आगे नहीं पाल सकेंगे। इसके बाद तय प्रक्रिया के तहत बच्चे को वापस कर गए।
गुड्डे-गुड़ियों का खेल नहीं
समाजशास्त्र के सेवानिवृत्त प्राध्यापक राजीव रंजन सिंह ने तल्ख टिप्पणी की है। कहा, बच्चे को गोद लेना गुड्डे-गुड़ियों का खेल नहीं है। महज एक बीमारी की आशंका के कारण बच्चे को वापस करना दंपती की गलत सोच को दर्शाता है। यही स्थिति अगर उनके अपने बच्चे के साथ होती तो क्या वो छोड़ देते। हालांकि वे कहते हैं कि बच्चे के लिए अच्छा हुआ, क्योंकि वह उस घर में रहता तो वास्तविक प्यार नहीं पाता। सुझाव दिया कि बच्चे को गोद देने से पहले दंपतियों की विचारधारा और वैचारिक सोच का भी अध्ययन करना चाहिए।
अब मथुरा के दंपती ने अपनाया
एम्स की रिपोर्ट आने के बाद मातृछाया ने फिर से इस बच्चे के दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ की। इसके बाद मथुरा के एक दंपती ने इस बच्चे को अपनाया। तब से वह बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और स्कूल जा रहा है। बच्चा और दंपती पूरी तरह खुश हैं। मातृछाया के अनुसार यह बच्चा मैहर स्थित केजेएस सीमेंट फैक्ट्री परिसर के मंदिर में मिला था। उसने सोने के आभूषण पहन रखे थे।
एम्स में हुई जांच
मातृछाया प्रबंधन ने इस बच्चे के वापस आने पर एम्स में विशिष्ट जांच कराई। वहां के चिकित्सकों ने स्पष्ट बताया कि अभी न तो बच्चे में कोई कैंसर के लक्षण हैं और न ही वर्तमान स्थिति के अनुसार भविष्य में कैंसर होने की संभावना है।
1 साल रखने के बाद कहा- आगे नहीं पाल सकते
दत्तक संस्था मातृछाया के पदाधिकारी प्रदीप सक्सेना ने बताया कि सितंबर 2018 में ग्वालियर के एक दंपती ने तय प्रक्रिया के तहत एक बच्चा गोद लिया था। गर्मी के मौसम में उसे जब सतना से ग्वालियर ले जा रहे थे तो रास्ते में उसकी तबीयत खराब हो गई। उसका ग्वालियर में इलाज कराया गया। उस दौरान उसकी डब्लूबीसी काउंट अनियमित आ रहा था। ठीक होने के बाद जब दंपती ने बच्चे के आगे भी बीमार होने पर कुछ जांचें कराईं तो उस रिपोर्ट को देखने के बाद किसी चिकित्सक ने यह आशंका जताई कि आगे चल कर बच्चे को ब्लड कैंसर हो सकता है। हालांकि इस संबंध में उसने कोई रिपोर्ट नहीं लिखी। इसी आशंका के मद्देनजर इस दंपती ने बच्चे को वापस लौटाने का निर्णय लिया। मातृछाया को बताया कि उनके पास पहले से एक विकलांग बच्चा है, जिसे विशेष केयर की आवश्यकता है। वह बिना मां के नहीं रहता है। ऐसे में इस बच्चे को आगे नहीं पाल सकेंगे। इसके बाद तय प्रक्रिया के तहत बच्चे को वापस कर गए।
गुड्डे-गुड़ियों का खेल नहीं
समाजशास्त्र के सेवानिवृत्त प्राध्यापक राजीव रंजन सिंह ने तल्ख टिप्पणी की है। कहा, बच्चे को गोद लेना गुड्डे-गुड़ियों का खेल नहीं है। महज एक बीमारी की आशंका के कारण बच्चे को वापस करना दंपती की गलत सोच को दर्शाता है। यही स्थिति अगर उनके अपने बच्चे के साथ होती तो क्या वो छोड़ देते। हालांकि वे कहते हैं कि बच्चे के लिए अच्छा हुआ, क्योंकि वह उस घर में रहता तो वास्तविक प्यार नहीं पाता। सुझाव दिया कि बच्चे को गोद देने से पहले दंपतियों की विचारधारा और वैचारिक सोच का भी अध्ययन करना चाहिए।
अब मथुरा के दंपती ने अपनाया
एम्स की रिपोर्ट आने के बाद मातृछाया ने फिर से इस बच्चे के दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ की। इसके बाद मथुरा के एक दंपती ने इस बच्चे को अपनाया। तब से वह बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और स्कूल जा रहा है। बच्चा और दंपती पूरी तरह खुश हैं। मातृछाया के अनुसार यह बच्चा मैहर स्थित केजेएस सीमेंट फैक्ट्री परिसर के मंदिर में मिला था। उसने सोने के आभूषण पहन रखे थे।