पलवल: रिश्वत नहीं दे पाए तो लगाते रहे चक्कर, नहीं मिला लाइसेंस

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पलवल: रिश्वत नहीं दे पाए तो लगाते रहे चक्कर, नहीं मिला लाइसेंस

पलवल: रिश्वत नहीं दे पाए तो लगाते रहे चक्कर, नहीं मिला लाइसेंस

मोहन सिंह, पलवल: हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद अब पीड़ित लोग भी आपबीती बताने लगे हैं। काउंसिल के चेयरमैन धनेश अदलखा पर रिश्वत लेकर फार्मेसी लाइसेंस जारी करने के आरोप में स्टेट विजिलेंस ने मामला दर्ज कराया है। दो लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जबकि धनेश फरार है। पता चला है कि पलवल-फरीदाबाद के 90 से ज्यादा युवा तीन साल से फार्मेसी लाइसेंस के लिए चक्कर काटने को मजबूर हैं।

आरोप है कि 50 से 75 हजार रुपये की रिश्वत न मिलने के कारण उनके रजिस्ट्रेशन अटके हुए हैं। उनकी फाइल को कुछ न कुछ आपत्ति लगाकर रोका हुआ है। फार्मेसी काउंसिल के चेयरमैन समेत तीन लोगों के खिलाफ रिश्वत मामले में एफआईआर के बाद यहां के युवाओं को उम्मीद है कि शायद अब व्यवस्था बदलेगी और उन्हें लाइसेंस मिल सकेगा। इसके बाद उनके रोजगार का रास्ता साफ हो सकेगा।

ज्यादातर मामलों में आपत्ति फार्मेसी का डिप्लोमा पंजाब व राजस्थान सहित दूसरे राज्यों का होने की बात कहकर लगाई हुई है। आरोप है कि रजिस्ट्रेशन और रेन्यूवल के नाम पर रिश्वत मांगी जा रही है। हसनपुर निवासी राजेंद्र और होडल के विनोद ने बताया कि उन्होंने हरियाणा के बाहर से फार्मेसी की थी। तीन साल से उनकी फाइल जमा है और रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा रहा है। पलवल की सुषमा ने बताया कि उन्होंने यूपी से 12वीं की और फार्मेसी का डिप्लोमा किया। कोरोनाकाल से पहले रजिस्ट्रेशन के लिए फाइल दी थी, लेकिन आज तक जमा नहीं हुई।

देवेंद्र ने बताया कि उन्होंने पंजाब से फार्मेसी की और दो साल से रजिस्ट्रेशन के लिए चक्कर काट रहे हैं। पलवल के करीब 60 युवा रजिस्ट्रेशन के लिए पिछले दो-तीन साल से चक्कर लगा रहे हैं। यहां के युवाओं ने बताया कि दूसरे राज्यों से फार्मेसी का डिप्लोमा होने कारण उनका रजिस्ट्रेशन पर अड़ंगा लगाया जा रहा है। घूस का दायरा बढ़ाने के लिए उन यूनिवर्सिटी व कॉलेजों को भी शामिल कर लिया गया, जिनकी विश्वसनीयता पर किसी तरह के सवाल भी नहीं थे। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला भी इस बाबत आ चुका है, लेकिन फार्मेसी काउंसिल ने इन आदेश तक की अनदेखी कर दी।

रिश्वत देकर अपात्रों ने करवा लिया रजिस्ट्रेशन
फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन होने के बाद ही लाइसेंस मिलता है। लाइसेंस के आधार पर ही फार्मेसी की पढ़ाई करने वाले युवा मेडिकल स्टोर आदि खोल सकते हैं या उन पर काम कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद ही अस्पतालों में भी काम करने के मौके मिलते हैं। काउंसिल में फाइल जमा करने के बाद कर्मचारी बताते कि फाइल को अलमारी बंद कर दिया जाता था। नाम नहीं लिखने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया कि लगभग तीन वर्ष में रजिस्ट्रेशन के नाम पर करोड़ों रुपये की रिश्वत ली जा चुकी है। अपात्र लोगों ने रिश्वत देकर रजिस्ट्रेशन करवा लिया और रिश्वत नहीं देने पर पात्र लोगों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया। फरीदाबाद के भी लगभग 30 लोग फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन का इंतजार कर रहे हैं। इन्होंने पंचकूला मुख्यालय में आवेदन किया हुआ है, लेकिन अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है। इनमें से कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 7 से 8 महीने पहले शुरू की थी, लेकिन अभी तक उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है। ग्रेटर फरीदाबाद निवासी अजीत, दीपक व अनुज का रजिस्ट्रेशन 4 महीनों से पेंडिंग है। बार-बार कार्यालय के चक्कर काटने के बाद भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाता है। रजिस्ट्रेशन न होने के चलते यह लोग अपना मेडिकल स्टोर खोलने के लिए भी आवेदन नहीं पर पा रहे हैं।

मेडिकल स्टोर को लेकर पेंडिंग नहीं कोई फाइल
फरीदाबाद के सीनियर ड्रग कंट्रोलर करण सिंह गोदारा ने बताया कि जिन लोगों का फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन होता है, वही यहां दवाओं की रिटेल बिक्री का लाइसेंस लेने के लिए आवेदन करते हैं। यह प्रक्रिया ऑनलाइन होती है और सभी दस्तावेज पूरे होने पर 30 दिन के अंदर लाइसेंस दे दिया जाता है। फिलहाल उनके पास कोई आवेदन पेंडिंग नहीं है। एक सप्ताह पहले 15 लाइसेंस के लिए आवेदन आए हैं, जिन्हें लाइसेंस देने की प्रक्रिया चल रही है।

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