पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जगह लोग अब अपनी गाड़ी में ज्यादा कर रहे सफर

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पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जगह लोग अब अपनी गाड़ी में ज्यादा कर रहे सफर

हाइलाइट्स

  • कोविड ने बदल दिया ट्रैफिक का ट्रेंड, अब लोग कर रहे सेफ्टी पर फोकस
  • गूगल मोबिलिटी पैटर्न के मुताबिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट हब पर ट्रिप कम हो रहे हैं
  • एक्सपर्टः ट्रैफिक सिस्टम को व्यवस्थित करने के लिए कुछ बूस्ट की जरूरत

नई दिल्ली: कोविड महामारी ने राजधानी के ट्रैफिक पैटर्न को बदल कर रख दिया है। एक्सपर्ट के अनुसार राजधानी में अब ट्रैफिक के नए हॉटस्पॉट भी सामने आ रहे हैं। ट्रैफिक को लेकर जो सबसे खराब ट्रेंड सामने आ रहे हैं, वह यह है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट हब तक ट्रिप कम हो रहे हैं। एक्सपर्ट के अनुसार इस समय ट्रैफिक सिस्टम को व्यवस्थित करने के लिए कुछ बूस्ट देने की जरूरत है।
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गूगल मोबिलिटी ट्रेंड के अनुसार महामारी की वजह से राजधानी का ट्रैफिक पैटर्न बदला है। इस टूल के जरिए लोगों के ट्रैवल करने की दूरी और संख्या का आकलन किया जाता है। इसके अनुसार पिछले साल लॉकडाउन के दौरान रिटेल स्टोर, रिक्रिएशन प्लेस, पार्क, सुपरमार्केट, फार्मेसी और कार्यालय आदि के लिए ट्रिपों की संख्या 80 प्रतिशत तक कम हो गई थी। पब्लिक ट्रांजिट जिसमें बस और मेट्रो स्टेशन शामिल हैं, इनमें लॉकडाउन के दौरान ट्रिपों की संख्या 88 प्रतिशत तक कम हुई थी। लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खत्म होना शुरू हुआ, स्थितियां बदलने लगी। पिछले साल 1 अप्रैल में सुपरमार्केट और फार्मेसी की ट्रिप में 73 प्रतिशत की कमी रही। जबकि 1 मई को इसमें 64 प्रतिशत, 1 जून को 27 प्रतिशत और एक जुलाई को 26 प्रतिशत और एक अगस्त को महज 20 प्रतिशत की कमी रही।

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इस साल 26 जुलाई के मोबिलिटी ट्रेंड के मुताबिक रिटेल और रिक्रिएशन स्पॉट जैसे कैफे, शॉपिंग सेंटर, सिनेमा आदि के लिए ट्रिप विजिट में 29 प्रतिशत और ऑफिस के लिए 30 प्रतिशत ट्रिप की कमी रही, लेकिन रेजिडेंशियल एरिया के आसपास मूवमेंट 9 प्रतिशत तक अधिक रहा। एक्सपर्ट के अनुसार कोरोना के दौरान जो सबसे चिंताजनक ट्रेंड सामने आ रहा है, वह यह कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट हब जैसे मेट्रो स्टेशन और बस स्टैंड पर ट्रिप की संख्या कम हो रही है। मोबिलिटी ट्रेंड दिखा रहे हैं कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट मोड खुलने के बावजूद यहां ट्रिप में 24 प्रतिशत की कमी है। हालांकि कोविड के चलते पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नियमों में बदलाव के चलते भी यह कमी है। एक्सपर्ट के अनुसार सिटिंग कैपेसिटी के अलावा हेल्थ और सेफ्टी की वजह से भी लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बजाय निजी साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। लोग छोटी दूरी पर जाने के लिए तो निजी साधनों का ही प्रयोग करने लगे हैं। यही वजह है कि कोविड के बाद निजी गाड़ियों की संख्या सड़क पर बढ़ रही है।

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सीएसई के एक विष्लेषण के मुताबिक राजधानी के 12 मुख्य स्ट्रैच पर ट्रेवल स्पीड लॉकडाउन के पहले 24 किलोमीटर प्रति घंटे थी, जो लॉकडाउन के दौरान बढ़कर 46 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई। लेकिन लॉकडाउन के बाद अक्टूबर, नवंबर 2020 में यह वापस कम होकर 29 किलोमीटर प्रति घंटे तक सिमट गई। सीएसई की अनुमिता राय चौधरी के अनुसार भले पब्लिक ट्रांसपोर्ट खुल चुके हैं, लेकिन अब भी कई लोगों में संक्रमण का डर है और वह इनमें सफर करने का रिस्क नहीं लेना चाहते। इसी वजह से लोग अपनी गाड़ियों का इस्तेमाल अधिक कर रहे हैं। जो लोग अपनी कार होने के बावजूद मेट्रो और बस में जाते थे, वह अब सेफ्टी और सुविधा को ध्यान में रखते हुए अपनी कारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक्सपर्ट के अनुसार प्राइवेट कंपनियां लोगों को अब भी वर्क फ्रॉम होम की सुविधा के साथ कम समय के लिए ऑफिस बुला रही हैं। इसलिए अब ट्रांसपोर्ट की जरूरत नॉन शेड्यूल्ड ट्रिप और फलेक्सिबल ट्रिप की है।

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वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट के (इंटीग्रेडेट अर्बन ट्रांसपोर्ट) डायरेक्टर अमित भट्ट के अनुसार लोग सेफ्टी की वजह से भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बजाय निजी गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। दिल्ली ने मास ट्रांजिट मोड पर काफी इनवेस्ट किया है, लेकिन महामारी की वजह से यह प्रभावित है। एक्सपर्ट के अनुसार इस समय फ्लेक्सिबल, डिमांड बेस्ड ट्रांजिट मोड आदि में इनवेस्ट करने की जरूरत है। यानी एक ऐसा सिस्टम बनें, जो कंपनियों को फ्लेक्सिबल वर्किंग आवर के हिसाब से सर्विस दे सके। सेन फ्रांसिसको में ऐसा सिस्टम चल रहा है। बस का टाइम टेबल अब भी पहले की तरह है, लेकिन इंप्लाई की डिमांड बदल चुकी है।

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