पढ़ने की ललक ने बनाया कविता को करोड़पति, KBC 14 में कोल्हापुर की होममेकर के इतिहास रचने की कहानी

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पढ़ने की ललक ने बनाया कविता को करोड़पति, KBC 14 में कोल्हापुर की होममेकर के इतिहास रचने की कहानी

पढ़ने की ललक ने बनाया कविता को करोड़पति, KBC 14 में कोल्हापुर की होममेकर के इतिहास रचने की कहानी

पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, ये कहावत तो हम सबने सुनी है। साथ ही यह भी सच है कि किसी चीज की सच्ची लगन हो, तो कोई भी परिस्थिति आपकी राह नहीं रोक सकती। ये दोनों ही बातें बखूबी लागू होती हैं, कोल्हापुर की कविता चावला पर। एक होम मेकर के रूप में घर-परिवार, बच्चे की जिम्मेदारी निभाते हुए भी कविता को रिएलिटी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति 14’ के हॉट सीट तक पहुंचने की ऐसी ललक जगी कि वे दो दशक तक इस लक्ष्य पर डटी रहीं और आखिरकार शो के 14वें सीजन की पहली करोड़पति बनकर ही मानी।

एक होममेकर और वो भी सिर्फ 12वीं पास, लेकिन पढ़ने का जज्बा ऐसा कि खुद घर पर पढ़ाई करके टीवी रिएलिटी शो कौन बनेगा करोड़पति (Kaun Banega Crorepati 14) के लिए ऐसी तैयारी की कि अपने ज्ञान के आधार पर करोड़पति बन गईं। ये कहानी है, कोल्हापुर की कविता चावला की, जो केबीसी 14 की पहली करोड़पति बन चुकी हैं। नवभारतटाइम्स डॉट कॉम से खास बातचीत में उन्होंने काफी कुछ बताया।

आर्थिक हालातों के चलते 12वीं तक ही पढ़ सकीं
घर के आर्थिक हालातों के चलते सिर्फ 12वीं तक की पढ़ाई कर पाईं 45 वर्षीय कविता बताती हैं, ’12वीं तक की पढ़ाई भी मैं पैरेंट्स की बहुत मान-मनौव्वल के बाद कर पाई। पहले दसवीं के बाद ही घरवाले शादी कर देना चाहते थे, पर मैंने जिद की कि मुझे आगे पढ़ना है। मेरी टीचर्स ने भी मम्मी-डैडी को मनाया कि मुझे पढ़ने दें तब उन्होंने मुझे आगे पढ़ने दिया। हालांकि, 12वीं के बाद घर की परिस्थितियां ऐसी थीं कि मुझे मां के साथ सिलाई-बुनाई के काम में हाथ बंटाना पड़ा, उसी में वक्त निकल गया। फिर शादी हो गई, बेटा हो गया, तो घर की जिम्मेदारियों में आगे पढ़ने का ख्याल नहीं आया, लेकिन मेरी शादी के एक साल बाद ही 2000 में केबीसी आया और मुझे एक नया सपना मिल गया। तभी से मैंने इसे अपना लक्ष्य बना लिया।’

कौन बनेगा करोड़पति 14 में एक करोड़ जीत चुकीं कविता चावला


बेटे को पढ़ाते हुए की शो के लिए तैयारी
कविता ने केबीसी के पहले सीजन यानी साल 2000 से ही इस शो में जाने का सपना सजा लिया था। बकौल कविता, ‘साल 2000 में जब केबीसी शुरू हुआ, जब मैंने पहली बार देखा तब से मेरे दिमाग में था कि मुझे भी इसमें जाना है। लोग ज्ञान के बल पर इस शो में नाम, शोहरत, सम्मान सब पा रहे थे तो ये मेरा सपना था कि मैं भी इसमें जाऊं। तब से मैं कोशिश कर रही हूं, तैयारी कर रही हूं। पहली बार 2012 में कॉल आई पर तब मेरे पास छोटा सा कीबोर्ड वाला फोन था, उससे मुझे समझ नहीं आया कि क्या करना है तो मेरा मौका बेकार चला गया। फिर, पिछले साल मैं फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट तक पहुंची थी, पर हॉट सीट तक नहीं पहुंच पाई, लेकिन इस बार वो सपना पूरा हो गया। मेरा सपना था कि मैं कोल्हापुर की पहली महिला करोड़पति बनूं और वो सच हो गया।’ इस शो के लिए तैयारी कैसे की? इस पर उन्होंने बताया, ‘मैं अपने बेटे को खुद ही पढ़ाती थी। उसे केजी से आठवीं तक मैंने खुद पढ़ाया है और तब उसके साथ-साथ खुद भी पढ़ती थी। मुझे यकीन था कि ये नॉलेज मेरे काम आएगी। मैं उसे इस तरह से ही पढ़ाती थी कि मैं खुद भी पढ़ा रही हूं।’

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जो ठान लेती हूं, उसे छोड़ती नहीं हूं
कविता को इन 22 सालों में पहले कभी निराशा नहीं हुई कि इतने साल की कोशिश के बावजूद वे हॉट सीट तक नहीं पहुंच पाई? ‘यह पूछने पर वह तुरंत कहती हैं, मैं बचपन से बहुत जिद्दी हूं। मैं जो ठान लेती हूं, उसे छोड़ती नहीं हूं। अपने बेटे को भी सिखाती हूं कि लाइफ में कुछ करना है, तो लगे रहो। अगर हार मान लिया तो जो पहले की मेहनत की वो भी बर्बाद हो जाएगी। यही बात मैं उन औरतों से भी कहूंगी जो सोचती हैं कि अब तो शादी हो गई, बच्चे हो गए तो अब हम क्या कर सकते हैं? कहां वक्त मिलेगा? तो वक्त निकालना पड़ता है। आपको अपने सपने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, तो सपने जरूर पूरे होते हैं।’


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घर पर कई बार की थी करोड़पति बनने की नकल
केबीसी के दौरान सबसे यादगार पल पूछने पर कविता बताती हैं, ‘जब अमिताभ बच्चन साहब ने अपनी कुर्सी से उतरकर एक करोड़ चिल्लाया, वो पल मेरे लिए सबसे यादगार था। पहले जब मैं टीवी पर उन्हें दूसरों के लिए ये कहते देखती थी, वो जश्न देखती थी, तो सोचती थी कि मेरी जिंदगी में ये पल कब आएगा। मैं उन विजेताओं के साथ कई बार रोई हूं, मुझे ये महसूस होता था कि मैं करोड़पति बनी हूं। कई बार मैं खुद ही अमिताभ बच्चन सर से बातें करती थी और सोचती थी कि मैं केबीसी में हूं।’ इस एक करोड़ रुपये से क्या करेंगी? इस पर वह कहती हैं, ‘मैं अपने बेटे विवेक को पढ़ाऊंगी। मैं ज्यादा नहीं पढ़ी, पर उसको पढ़ाऊंगी, ताकि आगे जाकर वो हमारे देश का नाम रोशन करे। उसने बीसीए किया है और आगे विदेश जाकर पढ़ना चाहता है, तो अपना सपना सच करने के बाद अब मैं उसका सपना सच करूंगी।’