पंजाब : भगवंत मान ने विश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिये 22 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया

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पंजाब : भगवंत मान ने विश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिये 22 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया

पंजाब : भगवंत मान ने विश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिये 22 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया

चंडीगढ़, 19 सितंबर (भाषा) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए 22 सितंबर को राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है।

कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर पंजाब की सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया था, जिसके मद्देनजर मान ने यह फैसला लिया है।

सत्तारूढ़ पार्टी ‘आप’ ने हाल में दावा किया था कि उसकी छह महीने पुरानी सरकार को गिराने की कोशिश के तहत भाजपा ने उसके 10 विधायकों से संपर्क किया और उन्हें 25-25 करोड़ रुपये की पेशकश की।

पंजाब में ‘आप’ की प्रचंड बहुमत की सरकार है। राज्य की 117 सदस्यीय विधानसभा में उसके 92 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 18 सदस्य हैं, शिरोमणि अकाली दल के तीन, भाजपा के दो और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का एक सदस्य है। वहीं, एक निर्दलीय विधायक भी है।

मान ने सोमवार को एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘आपने यह सुना होगा कि कैसे उन्होंने भारी जनादेश से चुनी हुई सरकार को सत्ता से बाहर करने के प्रयास के तहत हमारे विधायकों से संपर्क करने और उन्हें पैसे तथा अन्य प्रलोभन देने की कोशिश की।’’

मान ने कहा कि लोगों ने 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान विपक्षी दलों को खारिज कर ‘आप’ में विश्वास व्यक्त किया, जबकि विपक्ष के पास लोगों को प्रभावित करने के लिए बड़ी रकम थी।

उन्होंने कहा कि मित्रों का विश्वास अमूल्य होता है। मुख्यमंत्री ने कहा, “हम उस विश्वास को बनाए रखेंगे।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “ इसी विश्वास को कानूनी रूप से दिखाने के लिए हम 22 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुला रहे हैं। सत्र के दौरान हम दिखाएंगे कि चुने हुए विधायक पंजाब को एक जीवंत राज्य बनाने के सपने को साकार करने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं।”

इस बीच, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने मुख्यमंत्री मान से “विश्वास मत का नाटक नहीं करने” के लिए कहा। उन्होंने कहा कि रिश्वत के आरोपों को केवल सीबीआई या उच्च न्यायालय द्वारा एक स्वतंत्र जांच द्वारा सत्यापित किया जा सकता है और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर कोई उद्देश्य हासिल नहीं किया जा सकता।

बादल ने एक बयान में कहा, “यदि आप किसी चीज से नहीं डरते हैं, तो आपको स्वतंत्र जांच से नहीं डरना चाहिए।”

विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने इस कदम को सरकार की ‘विफलताओं’ से ध्यान भटकाने के लिए पंजाब के लोगों के साथ किया जा रहा ‘पूरी तरह से राजनीतिक धोखा’ बताया।

चुग ने कहा,“अब ऑपरेशन लोटस की कहानी के आधार पर विधानसभा का सत्र बुलाया गया है। आप सरकार ने न केवल इसे नाम दिया है, बल्कि लोगों का ध्यान भटकाने और गुमराह करने की पूरी साजिश भी रची है।”

सत्तारूढ़ ‘आप’ ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को एक शिकायत देकर आरोप लगाया था कि भाजपा ने उसके विधायकों को तोड़ने की कोशिश की है। इसके बाद पंजाब पुलिस ने 14 सितंबर को एक मामला दर्ज किया था।

कुछ दिन पहले वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने आरोप लगाया था कि भाजपा के कुछ नेताओं ने ‘ऑपरेशन लोटस’ के तहत ‘आप’ के सात से 10 विधायकों को पैसे तथा मंत्री पद देने के लिए संपर्क किया था।

चीमा ने इस मुद्दे पर पार्टी विधायकों के साथ राज्य के डीजीपी से मुलाकात कर गहन जांच की मांग की थी।

भाजपा की पंजाब इकाई के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले हफ्ते पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से ‘आप’ के इस “निराधार” आरोप की जांच की मांग की थी कि भाजपा ने उसके विधायकों को तोड़ने की कोशिश की है।

प्रदेश भाजपा प्रमुख अश्विनी शर्मा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने यहां राज्यपाल के साथ मुलाकात के दौरान उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश से जांच की मांग की थी।

दिल्ली के मुख्यमंत्री और ‘आप’ प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी पिछले हफ्ते भाजपा पर पंजाब में पार्टी के 10 विधायकों को 25-25 करोड़ रुपये में खरीदने की कोशिश का आरोप लगाया था।

केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि भाजपा हर राज्य में विधायकों को खरीदने के लिए “ऑपरेशन लोटस” चला रही है। उनका आरोप था कि पार्टी या तो पैसे से या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों का डर दिखाकर विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है।

केजरीवाल ने कहा था, “…उन्होंने दिल्ली और अब पंजाब में हमारे विधायकों को खरीदने की कोशिश की, लेकिन हमने उन्हें (भाजपा) बेनकाब कर दिया।”

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