पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की अर्जी पर फैसला कब? SC में आज अहम सुनवाई
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या में फांसी की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) की याचिका को लेकर अहम दिन है। कोर्ट आज मामले में फैसला सुना सकता है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से फैसला लेने में देरी पर नाराजगी जाहिर थी। दरअसल राजोआना को पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी। राजोआना ने सजा को उम्रकैद में बदलने की अर्जी दाखिल की हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह शुक्रवार तक मामले में हलफनामा दायर करे।
सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले केंद्र सरकार की ओर से फैसला लेने में देरी पर नाराजगी जाहिर की थी और सुनवाई टाल दी थी। 2 मई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर दो महीने के भीतर फैसला ले। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को गंभीरता से लिया है कि याचिका राष्ट्रपति के सामने 24 मार्च 2013 से पेंडिंग है। कोर्ट ने गृह मंत्रालय से 30 अप्रैल तक रिपोर्ट देने को कहा था।
गृह मंत्रालय के हलफनामे में कहा गया कि दया याचिका पर विचार नहीं हो सकता है क्योंकि यह संगठन की ओर से दायर की गई है। दोषी की ओर से दया याचिका दायर नहीं हुई है। साथ ही अन्य दोषियों की अर्जी अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। दरअसल पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या 1995 में की गई थी। इस मामले में मौत की सजा पाए राजोआना ने 26 साल जेल काटने के आधार पर अपनी सजा उम्रकैद में बदले जाने की गुहार लगाई है।
बलवंत सिंह राजोआना कौन?
बलवंत सिंह राजोआना कौन है (Who is Balwant Singh Rajoana), ये जानना भी जरूरी है। इस हमले में पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने मानव बम की भूमिका निभाई थी। इसे तैयार करने और सुसाइड बॉम्बर बनाने में बलवंत सिंह राजोआना का हाथा था। लुधियाना जिले के राजोआना गांव में जन्मा बलवंत 1987 में पंजाब पुलिस में बतौर कॉन्स्टेबल शामिल हुआ था। कहा जाता है कि यह तय हुआ था कि अगर कहीं दिलावर हत्या करने में असफल होता है तो उसके बाद ये जिम्मेदारी बलवंत उठाएगा।
बेअंत सिंह की हत्या को सही ठहराते हुए बलवंत ने 1996 में कोर्ट में कहा था,’जज साहब, बेअंत सिंह खुद को मसीहा समझने लगा था और हजारों मासूमों की जान लेकर खुद को गुरु गोबिंद सिंह और राम जी की तरह मानने लगा था। इसलिए मैंने उसे खत्म करने का फैसला लिया।’ बलवंत ने आगे कहा था कि सिख दंगों में युवा सिखों की हत्या का बदला लेने के लिए उसने ऐसा किया। बेअंत सिंह हत्याकांड में बलवंत को पुलिस ले 1995 में गिरफ्तार किया था। 2007 में सीबीआई की अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई। जोआना पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302/307/120-बी के तहत दंडनीय अपराधों और विस्फोटक पदार्थ कानून की धारा 3 और 4 के तहत मुकदमा चलाया गया।
31 जुलाई 2007 को कोर्ट ने इस चर्चित मामले में फैसला सुनाया। मास्टरमाइंड जगतारा सिंह और बलवंत सिंह राजोआना को सजा-ए-मौत दी गई जबकि तीन दोषियों गुरमीत, लखविंदर और शमशेर को उम्रकैद मिली। एक दोषी नसीब सिंह को 10 साल की जेल मिली। फैसले के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की गई, जहां जगतारा की सजा उम्र कैद में बदल गई, लेकिन बलवंत की सजा बरकरार रखी गई।
अब तक क्यों नहीं हुई फांसी?
सुनवाई के दौरान बलवंत ने कोई वकील नहीं किया था और उसके कई बार हत्या की बात कबूली। यह भी कहा कि उसे इसका कोई पछतावा नहीं है। यह बात भी मानी कि उसने ही दिलावर को तैयार किया था। बलवंता को 31 मार्च 2012 को फांसी होनी थी। लेकिन सिख समुदाय के कुछ संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रपति और केंद्रीय गृह मंत्रालय तक दया याचिकाएं दायर कीं। इन याचिकाओं पर जल्द से जल्द फैसले के लिए बलवंत ने 2016 और 2018 में जेल में भूख हड़ताल भी की। साल 2019 में संसद में प्रश्नकाल के दौरान बेअंत सिंह के पोते और सांसद रणवीत सिंह बिट्टू के एक सवाल के जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि बलवंत सिंह को माफी नहीं दी गई। 2020 में, बलवंत ने याचिका के जल्द निपटारे के लिए रिट दायर की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर हो रही देर का कारण पूछते हुए सरकार को 14 दिनों का समय दिया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले केंद्र सरकार की ओर से फैसला लेने में देरी पर नाराजगी जाहिर की थी और सुनवाई टाल दी थी। 2 मई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर दो महीने के भीतर फैसला ले। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को गंभीरता से लिया है कि याचिका राष्ट्रपति के सामने 24 मार्च 2013 से पेंडिंग है। कोर्ट ने गृह मंत्रालय से 30 अप्रैल तक रिपोर्ट देने को कहा था।
गृह मंत्रालय के हलफनामे में कहा गया कि दया याचिका पर विचार नहीं हो सकता है क्योंकि यह संगठन की ओर से दायर की गई है। दोषी की ओर से दया याचिका दायर नहीं हुई है। साथ ही अन्य दोषियों की अर्जी अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। दरअसल पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या 1995 में की गई थी। इस मामले में मौत की सजा पाए राजोआना ने 26 साल जेल काटने के आधार पर अपनी सजा उम्रकैद में बदले जाने की गुहार लगाई है।
बलवंत सिंह राजोआना कौन?
बलवंत सिंह राजोआना कौन है (Who is Balwant Singh Rajoana), ये जानना भी जरूरी है। इस हमले में पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने मानव बम की भूमिका निभाई थी। इसे तैयार करने और सुसाइड बॉम्बर बनाने में बलवंत सिंह राजोआना का हाथा था। लुधियाना जिले के राजोआना गांव में जन्मा बलवंत 1987 में पंजाब पुलिस में बतौर कॉन्स्टेबल शामिल हुआ था। कहा जाता है कि यह तय हुआ था कि अगर कहीं दिलावर हत्या करने में असफल होता है तो उसके बाद ये जिम्मेदारी बलवंत उठाएगा।
बेअंत सिंह की हत्या को सही ठहराते हुए बलवंत ने 1996 में कोर्ट में कहा था,’जज साहब, बेअंत सिंह खुद को मसीहा समझने लगा था और हजारों मासूमों की जान लेकर खुद को गुरु गोबिंद सिंह और राम जी की तरह मानने लगा था। इसलिए मैंने उसे खत्म करने का फैसला लिया।’ बलवंत ने आगे कहा था कि सिख दंगों में युवा सिखों की हत्या का बदला लेने के लिए उसने ऐसा किया। बेअंत सिंह हत्याकांड में बलवंत को पुलिस ले 1995 में गिरफ्तार किया था। 2007 में सीबीआई की अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई। जोआना पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302/307/120-बी के तहत दंडनीय अपराधों और विस्फोटक पदार्थ कानून की धारा 3 और 4 के तहत मुकदमा चलाया गया।
31 जुलाई 2007 को कोर्ट ने इस चर्चित मामले में फैसला सुनाया। मास्टरमाइंड जगतारा सिंह और बलवंत सिंह राजोआना को सजा-ए-मौत दी गई जबकि तीन दोषियों गुरमीत, लखविंदर और शमशेर को उम्रकैद मिली। एक दोषी नसीब सिंह को 10 साल की जेल मिली। फैसले के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की गई, जहां जगतारा की सजा उम्र कैद में बदल गई, लेकिन बलवंत की सजा बरकरार रखी गई।
अब तक क्यों नहीं हुई फांसी?
सुनवाई के दौरान बलवंत ने कोई वकील नहीं किया था और उसके कई बार हत्या की बात कबूली। यह भी कहा कि उसे इसका कोई पछतावा नहीं है। यह बात भी मानी कि उसने ही दिलावर को तैयार किया था। बलवंता को 31 मार्च 2012 को फांसी होनी थी। लेकिन सिख समुदाय के कुछ संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रपति और केंद्रीय गृह मंत्रालय तक दया याचिकाएं दायर कीं। इन याचिकाओं पर जल्द से जल्द फैसले के लिए बलवंत ने 2016 और 2018 में जेल में भूख हड़ताल भी की। साल 2019 में संसद में प्रश्नकाल के दौरान बेअंत सिंह के पोते और सांसद रणवीत सिंह बिट्टू के एक सवाल के जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि बलवंत सिंह को माफी नहीं दी गई। 2020 में, बलवंत ने याचिका के जल्द निपटारे के लिए रिट दायर की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर हो रही देर का कारण पूछते हुए सरकार को 14 दिनों का समय दिया था।