न खाने के होते थे पैसे, न मिलता था काम, कर्ज में डूबी थीं वर्षा बुमरा, DID सुपर मॉम की अनकही कहानी

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न खाने के होते थे पैसे, न मिलता था काम, कर्ज में डूबी थीं वर्षा बुमरा, DID सुपर मॉम की अनकही कहानी

न खाने के होते थे पैसे, न मिलता था काम, कर्ज में डूबी थीं वर्षा बुमरा, DID सुपर मॉम की अनकही कहानी

डीआईडी सुपर मॉम सीजन 3 की विनर बनीं वर्षा बुमरा। हरियाणा की रहने वाली इस कंटेस्टेंट ने अपने साथ के कई धुरंधरों को कांटे की टक्कर दी और शो की ट्रॉफी अपने नाम कर ली। साथ ही 7.5 लाख रुपये भी जीत लिए। वहीं साधना मिश्रा फर्स्ट रनर अप और सादिका खान सेकेंड रनर अप रहीं। वर्षा के जीतने के बाद उनके सभी चाहने वाले खुशी से झूम उठे। बधाई देने का तांता लग गया। पति संग दिहाड़ी मजदूर का काम करने वाली वर्षा बुमराह ने कब सोचा था कि उनका डांस का शौक उनकी जिंदगी बदल कर रख देगा। कड़े संघर्ष और चुनौतियों के बाद डीआईडी सुपर मॉम्स 3 की विनर साबित हुई हैं। अपने सफर को बयान करते हुए वे रो पड़ती हैं। उनसे एक बातचीत।

DID Super Moms Season 3 का खिताब जीतने के अपने अनुभव के बारे में Varsha Bumra कहती हैं, ‘सच कहूं तो यह मेरे लिए सपना सच होने जैसा है! डीआईडी सुपर मॉम्स का पूरा सफर मेरे लिए सीखने का एक बढ़िया अनुभव रहा। मुझे खुशी है कि मैंने यह ट्रॉफी जीती। मैंने यहां पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की थी और मैं अपनी मेंटर वर्तिका झा और सभी जजों की बेहद आभारी हूं, जिन्होंने मुझे लगातार सपोर्ट किया और एक डांसर के रूप में मेरी काबिलियत बढ़ाने में मेरी मदद की। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं अपने बेटे और हज्बैंड के लिए कुछ कर पाऊंगी। मैं बताना चाहूंगी कि यह मुकाबला बहुत कड़ा था और मैंने अपनी सहयोगी कंटेस्टेंट्स से काफी कुछ सीखा है। जहां मैं इस यादगार सफर को खत्म कर रही हूं, वहीं मैं उन दोस्तों को संजोकर रखूंगी जो मैंने यहां बनाए हैं और उस ज्ञान को, जो मैंने यहां हासिल किया है। मैं वो सारी रिहर्सल, मस्ती, हंसी-मजाक मिस करूंगी, जिनका मैं हिस्सा थी। मुझे बेहद खुशी है कि मुझे अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिला और मैं डीआईडी सुपर मॉम्स और जी टीवी की आभारी हूं, जिन्होंने मुझे यह मौका दिया।

‘मैं और मेरे हज्बैंड दिहाड़ी मजदूरी करते हैं’
वर्षा बताती हैं, ‘मैं हरियाणा से हूं और एक अरसे से मैं और मेरे हज्बैंड कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में दिहाड़ी मजदूर का काम करते आए हैं। सीजन टू सीजन हम अनाज मंडी में भी काम करते रहे हैं। हम जब दिहाड़ी मजदूरी पर काम करते हैं, तो प्रति दिन हमें 400 रुपए मिलते हैं, कभी किस्मत अच्छी हो तो एक दिन के 500 रुपए भी मिल जाते हैं। हमारी जिंदगी में कई तरह की मजबूरियां और कठिनाइयां रहीं, मगर मेरे हज्बैंड ने सदा मेरा साथ दिया। मुझे हमेशा से डांस का शौक रहा, मगर मैंने कहीं से सीखा नहीं है।’

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बारिष के मौसम में नहीं होता था काम
वह आगे बताती हैं, ‘जाहिर सी बात है, मेरे माता-पिता भी दिहाड़ी मजदूर रहे हैं, तो डांस कहां से सीखती। मगर जब हज्बैंड को मेरे डांस के शौक के बारे में पता चला, तो उन्होंने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया। डांस में मैंने वर्तिका मैम (कोरियोग्राफर वर्तिका झा) को फॉलो करना शुरू किया। अपने काम से जितना भी समय मिलता, मैं रिहर्सल किया करती थी। मेरा पांच साल का बेटा भी है। मैंने कड़ा संघर्ष देखा है। बारिश के मौसम में हमारे पास काम नहीं होता था और ठंड के मौसम में भी काम ना के बराबर रहता। जब काम नहीं होता था, तो घर चलाने के लिए हमें कर्ज लेना पड़ता था। कई बार हम महीनों का किराया नहीं दे पाते थे, खाने तक के पैसे नहीं होते थे। मगर जी टीवी के मंच ने मुझे DID सुपर मॉम्स में भाग ले कर जीतने का मौका दिया, तो आज मेरी जिंदगी बदल गई है।

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दूसरों के लिए घर बनाए, अब अपना बनाना है
मुझे इस रियलिटी कॉन्टेस्ट में कुल मिला कर साढ़े सात लाख का कैश प्राइज भी मिला है। अब जब यह कैश प्राइज हाथ आया है, तो हमने तय किया है कि बेटे का भविष्य संवारूंगी। पैसों की तंगी के चलते हम अब तक बेटे का स्कूल में एडमिशन नहीं करवा पाए थे, मगर अब उसे स्कूल में दाखिला दिलवाऊंगी। पिछले तीन साल से वो बच्चों वाली बाइक लेने की जिद करता रहा है, मगर हम कभी उसे दिला नहीं पाए, तो अब मैं उसकी ये ख्वाहिश पूरी कर सकती हूं। हम एक छोटा-सा घर खरीदना चाहते हैं। हमारा सपना है कि सालों से दूसरों के घरों के लिए ईंटें उठाई हैं, अब अपने घर की ईंट उठाना चाहते हैं।

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जीत पर बेटा नाच रहा था, पति की आंखें नम थीं
मेरे लिए डांस का यह सफर शुरू से चुनौतीपूर्ण रहा, क्योंकि मैं डांस के मामले में नौसिखिया रही हूं, जबकि दूसरे कंटेस्टेंट डांस सीखे हुए थे। किसी ने भरतनाट्यम, तो किसी ने क्लासिकल में डिग्री ली हुई थी। शुरू में मुझे डांस के स्टेप्स ग्रास्प करने में दिक्कत होती थी। मुझे समय लगता था, मगर वर्तिका मैम ने मुझे बहुत सिखाया। मेरी जीत में उनका भी हाथ है। हालांकि साधना मिश्रा और सादिका खान भी बहुत ही कमाल की डांसर हैं। इनसे मुझे कड़ा मुकाबला करना पड़ा, मगर जब विनर के रूप में मेरा नाम अनाउंस हुआ, तो मेरा बेटा बैनर लेकर नाचने लगा। मेरे हज्बैंड की आंखें नम थीं।


रेमो सर ने मेरा लोन चुकाने का ऐलान किया
मैं अपने तमाम जजेस के सपोर्ट का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं। हम इस कॉन्टेस्ट में भाग लेने के लिए हरियाणा से कर्ज लेकर आए थे। हम जब यहां आ गए, तो कर्ज देने वालों ने फोन करके परेशान करना शुरू कर दिया कि हम उनके पैसे लौटाएं। उनका कहना था कि हम यहां बहुत ऐश कर रहे हैं, महंगे-महंगे कॉस्ट्यूम पहन रहे हैं। उसके पैसे खूब हैं, मगर कर्ज लौटाने के नहीं, तो मैं परेशान हो गई थी और डांस पर से मेरा फोकस हट गया था, तब रेमो सर ने अनाउंस किया था कि हम यहां कोई ऐश नहीं कर रहे और ये कॉस्ट्यूम हमें चैनल की तरफ से मिलते हैं। उन्होंने ऐलान किया कि हमारा सारा कर्ज वे चुकता करेंगे। वहीं मीका सर (सिंगर मीका सिंह) ने मेरे बेटे के एजुकेशन में सपोर्ट करने की बात कही। मैं बहुत खुशकिस्मत हूं, जो मुझे ये प्लैटफॉर्म मिला, इतनी कमाल की ऑडियंस मिली और इतने उदार जजेस मिले। मैं अपने जैसी आम और साधारण महिलाओं को प्रेरित करना चाहूंगी। भविष्य में डांस एकेडमी खोलने का सपना है।