नेहरू, शास्त्री और लोहिया का इलाज करने वाले दिल्ली के मशहूर डॉक्टर का निधन, दी थी RML अस्पताल को पहचान

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नेहरू, शास्त्री और लोहिया का इलाज करने वाले दिल्ली के मशहूर डॉक्टर का निधन, दी थी RML अस्पताल को पहचान

नेहरू, शास्त्री और लोहिया का इलाज करने वाले दिल्ली के मशहूर डॉक्टर का निधन, दी थी RML अस्पताल को पहचान

नई दिल्ली: प्रख्यात कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आरके करौली हर हफ्ते पंडित जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री की सेहत की जांच के लिए जाते थे। वे राम मनोहर लोहिया अस्पताल (तब विलिंग्डन अस्पताल) के डाक्टरों की उस टीम का हिस्सा थे, जिसने नेहरू के निधन के बाद उनका पोस्टमॉर्टम किया था। जब लालबहादुर शास्त्री 1966 में ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान से वार्ता करने के लिए जा रहे थे तब भी डॉ. करौली ने उनकी सेहत की जांच की थी। वे भारत के चार राष्ट्रपतियों डॉ. जाकिर हुसैन, डॉ. फखरूद्दीन अली अहमद, वीवी गिरी और नीलम संजीव रेड्डी के पर्सनल डॉक्टर भी रहे।

उन्हीं डॉ. करौली का गुरुवार को निधन हो गया। उन्हें डॉ. विलिंग्डन भी कहा जाता था। डॉ. करौली का पूरा नाम डॉ. रामकुमार करौली था। उन्होंने 1953 में विलिंग्डन अस्पताल को जॉइन किया था। उनके सामने यह राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल हुआ। वे लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज से एमडी की डिग्री लेकर आए थे। वह जब आरएमएल अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट थे, तब भी ओपीडी में बैठते थे। वे जब आरएमएल में आए थे, तब ये एक डिस्पेंसरी से ज्यादा कुछ नहीं था। यहां के डॉक्टर सरकारी बाबुओं से लेकर भारत के राष्ट्रपति का इलाज करते थे। डॉ. करौली के रहते आरएमएल देश का चोटी का अस्पताल बन चुका था।

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लोहिया से क्यों मिलते थे?

डॉ. करौली 9 गुरुद्वारा रकाबगंज रोड में रहते थे। उनके पड़ोसी थे समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया। वे 7 गुरुद्वारा रकाबगंज रोड में रहते थे। डॉ. करौली बताते थे कि वे राम और भारत के संबंधों को समझने के लिए डॉ. लोहिया के पास सुबह जाते थे। डॉ. लोहिया ने राम, कृष्ण और शिव पर विस्तार से लिखा है। उन्हें इस बात का हमेशा अफसोस रहा कि लोहिया का पोस्ट्रेट के कारण निधन हो गया था। हालांकि वे यह नहीं मानते थे कि उनके इलाज में आरएमएल के डॉ.क्टरों ने किसी तरह की लापरवाही की थी। डॉ. करौली बेहद आध्यात्मिक थे। वे ज्योतिष शास्त्र के भी प्रकांड विद्वान थे।

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आम और खास दोनों के डॉ.क्टर

नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) के पूर्व डायरेक्टर मदन थपलियाल कहते हैं कि ड़ॉ. करौली आम और खास दोनों के डॉ.क्टर थे। वे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रियों के साथ आम लोगों को भी पूरी ईमानदारी से देखते थे। रिटायर होने के बाद वे प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे थे। निधन से एक महीना पहले तक एक्टिव थे। वे लगभग 80 फीसदी रोगियों से कोई फीस नहीं लेते थे। डॉ. करौली बार-बार मांग करते रहे कि लालबहादुर शास्त्री की मौत के कारणों के बारे में देश को पता चले। अफसोस कि उनके जीवनकाल में यह हो न सका।

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