नीतीश के मंत्री ने बताई ‘सेंगोल’ की अलग परिभाषा, BJP के दावों पर उठाए सवाल, कहा- कोई दस्तावेज नहीं हुआ सार्वजनिक

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नीतीश के मंत्री ने बताई ‘सेंगोल’ की अलग परिभाषा, BJP के दावों पर उठाए सवाल, कहा- कोई दस्तावेज नहीं हुआ सार्वजनिक

नीतीश के मंत्री ने बताई ‘सेंगोल’ की अलग परिभाषा, BJP के दावों पर उठाए सवाल, कहा- कोई दस्तावेज नहीं हुआ सार्वजनिक

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नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन होना है। दूसरी तरफ 19 विपक्षी दलों ने पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन का बहिष्कार किया है। और इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का ऐलान भी किया है। वहीं दूसरी नए संसद भवन में स्थापित होने जा रहे सेंगोल पर भी सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। अलग-अलग दल अलग-अलग परिभाषा बता रहे हैं। इस बीच नीतीश सरकार के वित्त मंत्री  विजय कुमार चौधरी ने कहा कि सेंगोल प्रकरण भाजपा नेताओं द्वारा जान-बूझ कर विवादित रूप से खड़ा किया गया है। सच्चाई यह है कि अभी तक इसके संबंध में कोई दस्तावेजी प्रमाण सार्वजनिक नहीं किया गया है। 

क्यों हुआ था सेंगोल का निर्माण

उन्होने कहा कि जो बातें सामने आई हैं या जो पुराने संबंधित फोटो भी दिखाए गए हैं, उससे एक ही बात स्पष्ट होती है, कि सदियों की गुलामी के बाद आजाद भारत की पहली सरकार के गठन से पूर्व इस सेंगोल का निर्माण दैवी शक्तियों के आशीर्वाद के आह्वान के लिए हुआ था। इसी मकसद से अधीनम पीठ (तमिलनाडु) से इसे सिद्ध-सिक्त कर नेहरू जी को पुजारियों द्वारा सौंपा गया था। आम प्रचलन है कि नई सरकार को सभी की शुभकामनाएं मिलती हैं और सेंगोल का निर्माण भी ईश्वरीय आशीर्वाद से नई सरकार के सफल भविष्य की मंगलकामना थी।

सेंगोल पर बीजेपी के दावों पर उठाए सवाल

बीजेपी को घेरते हुए उन्होने कहा कि भाजपा ने इसे राजदंड बताकर सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बना दिया। इसकी तुलना चोल वंश से लेकर ब्रिटिश प्रणाली में नए राजा को दिये जाने वाले राजदंड से कर दी। आश्चर्य है कि उस प्रकार के राजदंड तो एक वंश या साम्राज्य के प्रतीक होते हैं। जो पीढ़ी -दर- पीढ़ी हस्तांतरित होते हैं। असली प्रामाणिक ऐतिहासिक धरोहरों की उपेक्षा कर मनगढ़ंत कहानियों से नया इतिहास बनाने एवं रचने की कला में भाजपा को महारत है, जिसे भारत की जनता खूब समझती है।

सत्ता का हस्तांतरण का प्रतीक है सेंगोल- शाह

आपको बता दें नए संसद भवन में स्पीकर की सीट के पास सेंगोल यानी राजदंड को भी स्थापित किया जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सेंगोल के बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी। सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी। यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। ऐतिहासिक राजदंड सेंगोल को नए संसद भवन में रखा जाएगा। इसका इस्तेमाल 14 अगस्त, 1947 को पीएम नेहरू ने किया था, जब अंग्रेजों से सत्ता का हस्तांतरण हुआ था। शाह ने कहा कि जब पीएम मोदी को सेंगोल के बारे में जानकारी मिली तो इसकी गहन जांच करवाई गई। फिर फैसला हुआ कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया। इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है।

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