निजी व्यक्ति और सोसाइटी में किसको बेचने पर सरकार को लाभ होता: कोर्ट | Government would have benefited by selling to whom in private person | Patrika News
कोर्ट ने 18 अप्रेल 2022 को एसीबी से पूछा कि निजी व्यक्ति और सोसाइटी दोनों में से जमीन बेचने पर सरकार को अधिक रकम किससे मिलती। एसीबी ने जवाब में बताया कि निजी व्यक्ति (शैलेन्द्र गर्ग) को जमीन बेचने पर 44 लाख रुपए से अधिक और सोसाइटी को बेचने पर 25 लाख रुपए से अधिक रकम मिलती। इसी प्रकार 195 नंबर के पॉइंट पर पूछा कि फाइल गुम होने के बाद 2011 में एफआइआर देरी से क्यों दर्ज कराई गई। एसीबी ने जेडीए व यूडीएच के तत्कालीन व वर्तमान अधिकारियों से पूछताछ के बाद इसका जवाब पेश किया। हालांकि धांधली सामने आने पर एकल पट्टा रद्द कर दिया गया था।
एसीबी ने सवालों पर जुटाई यह जानकारी: एकल पट्टा प्रकरण में जमीन की डीएलसी व बाजार रेट क्या है, रेलवे ने जमीन अवाप्ति पर अवॉर्ड राशि क्या दी। फाइल किस-किस अधिकारी के पास गई और उन्होंने कब-कब टिप्पणी की। सरकार का सर्कुलर, नियम क्या है। परिवादी, आरोपी, गवाह, प्रभावित लोगों, जेडीए व यूडीएच अफसरों के बयान, जमीन कब-कब और कितनी रकम में बिकी, सोसाइटी के पट्टेधारकों को पट्टा जमा करवाने के लिए क्या धमकाया गया। सोयायटी ने 50 प्लॉट काटे, इनमें इकोलॉजी जोन में कितने थे। जेडीए व यूडीएच व परिवादी से रिकॉर्ड सहित अन्य जानकारी जुटाकर एसीबी ने 20 जुलाई को कोर्ट में रिपोर्ट पेश की।
एकल पट्टा प्रकरण: यूं चला मामला
● एसीबी में परिवादी रामशरण सिंह की शिकायत पर गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने में हुई धांधली को लेकर कंपनी व सोसाइटी के पदाधिकारी, यूडीएच व जेडीए अधिकारियों के खिलाफ 9 मई 2013 को परिवाद दर्ज कराया।
● जांच के बाद 3 दिसम्बर 2014 को एफआइआर दर्ज की, इसमें कंपनी के शैलेन्द्र गर्ग व विजय मेहता को नामजद कर अन्य सरकारी अफसरों के खिलाफ जांच लंबित रखी। ● अनुसंधान में निष्काम दिवाकर, संजय बोहरा, शैलेन्द्र गर्ग व भीमसेन गर्ग को आरोपी माना। इनमें भीमसेन गर्ग व संजय बोहरा की मृत्यु हो चुकी है। निष्काम व शैलेन्द्र गर्ग को गिरफ्तार कर 27 नवम्बर 2015 में चार्जशीट पेश की और अनुसंधान लंबित रखा।
● एसीबी ने 11 जुलाई 2016 को कोर्ट में दूसरी चार्जशीट पेश की, इस दौरान यूडीएच के पूर्व सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन 10 के तत्कालीन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारी अनिल अग्रवाल व विजय मेहता को गिरफ्तार किया। एसीबी ने तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल व तत्कालीन यूडीएच के उप सचिव एन.एल. मीणा के खिलाफ अनुसंधान लंबित रखा।
● एसीबी के तत्कालीन एएसपी शरद चौधरी ने जांच की और मंत्री व मीणा के खिलाफ अपराध प्रमाणित नहीं माना। इसके बाद एसपी योगेश दाधीच ने जांच की और 7 जुलाई 2021 को कोर्ट में रिपोर्ट पेश की। अनुसंधानमें अन्य किसी के खिलाफ अपराधनहीं माना।
● कोर्ट ने शरद चौधरी और योगेश दाधीच की रिपोर्ट खारिज कर दी और एसीबी को आदेश दिए कि डीआइजी स्तर के अधिकारी से 29 प्वाइंट की जांच करवाकर तीन माह में रिपोर्ट पेश करें।
(उपरोक्त तथ्य एसीबी के मुताबिक) कोर्ट ने एसीबी को 94 पेज में 208 पॉइंट दिए, इनमें 29 पॉइंट के जवाब मांगे, एसीबी ने जवाब किया पेश
कोर्ट ने 18 अप्रेल 2022 को एसीबी से पूछा कि निजी व्यक्ति और सोसाइटी दोनों में से जमीन बेचने पर सरकार को अधिक रकम किससे मिलती। एसीबी ने जवाब में बताया कि निजी व्यक्ति (शैलेन्द्र गर्ग) को जमीन बेचने पर 44 लाख रुपए से अधिक और सोसाइटी को बेचने पर 25 लाख रुपए से अधिक रकम मिलती। इसी प्रकार 195 नंबर के पॉइंट पर पूछा कि फाइल गुम होने के बाद 2011 में एफआइआर देरी से क्यों दर्ज कराई गई। एसीबी ने जेडीए व यूडीएच के तत्कालीन व वर्तमान अधिकारियों से पूछताछ के बाद इसका जवाब पेश किया। हालांकि धांधली सामने आने पर एकल पट्टा रद्द कर दिया गया था।
एसीबी ने सवालों पर जुटाई यह जानकारी: एकल पट्टा प्रकरण में जमीन की डीएलसी व बाजार रेट क्या है, रेलवे ने जमीन अवाप्ति पर अवॉर्ड राशि क्या दी। फाइल किस-किस अधिकारी के पास गई और उन्होंने कब-कब टिप्पणी की। सरकार का सर्कुलर, नियम क्या है। परिवादी, आरोपी, गवाह, प्रभावित लोगों, जेडीए व यूडीएच अफसरों के बयान, जमीन कब-कब और कितनी रकम में बिकी, सोसाइटी के पट्टेधारकों को पट्टा जमा करवाने के लिए क्या धमकाया गया। सोयायटी ने 50 प्लॉट काटे, इनमें इकोलॉजी जोन में कितने थे। जेडीए व यूडीएच व परिवादी से रिकॉर्ड सहित अन्य जानकारी जुटाकर एसीबी ने 20 जुलाई को कोर्ट में रिपोर्ट पेश की।
एकल पट्टा प्रकरण: यूं चला मामला
● एसीबी में परिवादी रामशरण सिंह की शिकायत पर गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने में हुई धांधली को लेकर कंपनी व सोसाइटी के पदाधिकारी, यूडीएच व जेडीए अधिकारियों के खिलाफ 9 मई 2013 को परिवाद दर्ज कराया।
● जांच के बाद 3 दिसम्बर 2014 को एफआइआर दर्ज की, इसमें कंपनी के शैलेन्द्र गर्ग व विजय मेहता को नामजद कर अन्य सरकारी अफसरों के खिलाफ जांच लंबित रखी। ● अनुसंधान में निष्काम दिवाकर, संजय बोहरा, शैलेन्द्र गर्ग व भीमसेन गर्ग को आरोपी माना। इनमें भीमसेन गर्ग व संजय बोहरा की मृत्यु हो चुकी है। निष्काम व शैलेन्द्र गर्ग को गिरफ्तार कर 27 नवम्बर 2015 में चार्जशीट पेश की और अनुसंधान लंबित रखा।
● एसीबी ने 11 जुलाई 2016 को कोर्ट में दूसरी चार्जशीट पेश की, इस दौरान यूडीएच के पूर्व सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन 10 के तत्कालीन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारी अनिल अग्रवाल व विजय मेहता को गिरफ्तार किया। एसीबी ने तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल व तत्कालीन यूडीएच के उप सचिव एन.एल. मीणा के खिलाफ अनुसंधान लंबित रखा।
● एसीबी के तत्कालीन एएसपी शरद चौधरी ने जांच की और मंत्री व मीणा के खिलाफ अपराध प्रमाणित नहीं माना। इसके बाद एसपी योगेश दाधीच ने जांच की और 7 जुलाई 2021 को कोर्ट में रिपोर्ट पेश की। अनुसंधानमें अन्य किसी के खिलाफ अपराधनहीं माना।
● कोर्ट ने शरद चौधरी और योगेश दाधीच की रिपोर्ट खारिज कर दी और एसीबी को आदेश दिए कि डीआइजी स्तर के अधिकारी से 29 प्वाइंट की जांच करवाकर तीन माह में रिपोर्ट पेश करें।
(उपरोक्त तथ्य एसीबी के मुताबिक) कोर्ट ने एसीबी को 94 पेज में 208 पॉइंट दिए, इनमें 29 पॉइंट के जवाब मांगे, एसीबी ने जवाब किया पेश