नाबालिग होने के बावजूद जेल में गुजारने पड़े 19 साल… 13 की उम्र में जेल गए बंटू को 32 में न्याय की उम्मीद

206
नाबालिग होने के बावजूद जेल में गुजारने पड़े 19 साल… 13 की उम्र में जेल गए बंटू को 32 में न्याय की उम्मीद

नाबालिग होने के बावजूद जेल में गुजारने पड़े 19 साल… 13 की उम्र में जेल गए बंटू को 32 में न्याय की उम्मीद

अमित आनंद चौधरी, आगरा: अपनी जिंदगी के करीब दो दशक जेल की सलाखों के पीछे गुजार चुके बंटू को अब राहत की उम्मीद है। पिछले 19 सालों से कैद बंटू की उम्र बमुश्किल 13 साल की रही होगी, जब वह जेल में आया था। बचपन, किशोरावस्था और जवानी भर के तमाम बेशकीमती दिन और रातें चहारदीवारी में गुजारने के बाद देश की न्याय व्यवस्था से उसे सुबह के उजाले की उम्मीद है। वह व्यवस्था जिसकी नाकामी की वजह से वह अपनी नाबालिग उम्र साबित करने के लिए घिसटता रहा। परिवार में किसी के नहीं होने के दर्द का एहसास उसे तब और हो गया जब नाबालिग उम्र की रिपोर्ट आ जाने के 9 साल बाद भी वह जेल में अपनी रातें काली करता रहा।

आरोपी बंटू, साल 2003 में हुए एक मर्डर के केस में जेल में बंद हो गया। ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी पाया और 2 साल बाद 2005 में उसे मौत की सजा सुनाई गई। हालांकि 2012 में सजा-ए-मौत को उम्रकैद में बदल दिया गया। निचली अदालत के इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा।

उत्तर प्रदेश की जेलों में कई सारे नाबालिग कैदियों के बंद होने के आरोप पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को इसकी पड़ताल करने का निर्देश दिया। तब कहीं जाकर बंटू को उम्मीद की रोशनी दिखाई पड़ी। उसके पास कोई भी पहचान पत्र नहीं होने की वजह से उसे उम्र साबित करने के लिए मेडिकल परीक्षण से गुजरना पड़ा। रिपोर्ट में जनवरी 2013 में उसकी उम्र 23 साल होना साबित हुआ। इसके अनुसार 2003 में वारदात के वक्त उसकी उम्र 13 साल रही होगी। इतने वक्त में वह जेल में पहले ही एक दशक का वक्त गुजार चुका था।

हालांकि बंटू की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुईं। परिवार में किसी के भी नहीं होने की वजह से उसे काफी दिक्कत हुई। उम्र को लेकर बेगुनाही साबित करने वाला बंटू के लिए कोई नहीं था। इस वजह से उसे राहत नहीं मिली और अगले 9 साल तक वह आगरा की जेल की चहारदीवारी में ही कैद रहा।

जेल में कैद अन्य बंदियों से बातचीत के दौरान बंटू के दिमाग में घटना के वक्त खुद की नाबालिग उम्र साबित करने के लिए जुवेनाइल याचिका दाखिल करने की बात आई। कैदियों की सहायता से वह रिषी मल्होत्रा नामक वकील के संपर्क कर सका, जिन्होंने आगरा की जेल में ऐसे कैदियों के मामले को डिफेंड किया है।

बंटू की तरफ से दाखिल याचिका में यह कहा गया कि फरवरी 2014 में ही उसके नाबालिग होने की पुष्टि हो गई थी। लेकिन परिवार में किसी के नहीं होने की वजह से आगे का रास्ता नहीं खुला। कोर्ट ने भी रिहाई का कोई आदेश नहीं जारी किया। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और वी. रामासुब्रामण्यम की बेंच ने इस बंटू की याचिका को सुनने पर सहमति जताया। बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए उसकी तुरंत रिहाई किए जाने का निर्देश दिया है।

उत्तर प्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Uttar Pradesh News