नजीर हुसैन: देश की आजादी के लिए लड़ने वाला हीरो, जिसने भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत की, पढ़िए कहानी

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नजीर हुसैन: देश की आजादी के लिए लड़ने वाला हीरो, जिसने भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत की, पढ़िए कहानी


नजीर हुसैन: देश की आजादी के लिए लड़ने वाला हीरो, जिसने भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत की, पढ़िए कहानी

एनबीटी की Monday Motivation सीरीज में जानिए हिंदी सिनेमा के एक ऐसे सितारे के बारे में जो देश को आजाद करवाने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में शामिल हो गया था। यही नहीं इस सितारे ने ही भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत की थी, जिसके कारण इसे ‘भोजपुरी सिनेमा का पितामह’ तक कहा जाता था। इस सितारे का नाम था नजीर हुसैन। नजीर हुसैन एक ऐक्टर ही नहीं बल्कि जाने-माने डायरेक्टर और स्क्रीनराइटर रहे। हिंदी सिनेमा में वह अपने कैरेक्टर रोल्स के लिए जाने जाते थे।

नजीर हुसैन ने करीब 500 फिल्मों में काम किया और हर फिल्म में उनका एक अलग ही किरदार और रूप देखने को मिला। नजीर हुसैन फिल्मों में एक ऐसे शख्स के रूप में दिखते जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर-गुजरने को तैयार रहता था। एक इशारे पर ही नजीर हुसैन के आंसू निकल आते थे। इसी वजह से लोग नजीर हुसैन को ‘आंसुओं का कनस्तर’ तक बोलने लगे थे। नजीर हुसैन फिल्मों में आने से पहले रेलवे में एक फायरमैन का काम करते थे। वह एक फायरमैन से कैसे भोजपुरी सिनेमा के ‘पितामह’ बने, इसकी कहानी बड़ी ही इंस्पायरिंग है।

फायरमैन थे नजीर हुसैन, ब्रिटिश आर्मी का हिस्सा बने, जेल में कैद रहे
नजीर हुसैन का जन्म 1922 में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता रेलवे में एक गार्ड की नौकरी करते थे। नजीर हुसैन की परवरिश लखनऊ में हुई। जब वह बड़े हुए तो खुद पिता के साथ रेलवे में लग गए। वहां नजीर हुसैन ने कुछ महीनों तक एक फायरमैन की नौकरी की और फिर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश आर्मी जॉइन कर ली। ब्रिटिश आर्मी का हिस्सा बनने के बाद नजीर हुसैन काफी वक्त तक मलेशिया और सिंगापुर में रहे। यहां उन्हें कैद कर लिया गया।

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फोटो: cinestaan.com


देश की आजादी के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की INA से जुड़े

नजीर हुसैन जब युद्ध के बंदी के रूप में जेल से आजाद हुए तो वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संपर्क में आए और उनकी आजाद हिंद फौज से जुड़ गए। नजीर हुसैन का देश की आजादी में एक अहम रोल रहा और इस वजह से उन्हें जिंदगीभर के लिए रेलवे का फ्री पास दे दिया गया था। देश को आजादी मिलने के बाद नजीर हुसैन ने आजाद हिंद फौज छोड़ दी। लेकिन उन्हें कहीं कोई काम नहीं मिल रहा था। इस वजह से नजीर हुसैन ने नाटकों में काम करना शुरू कर दिया। जाने-माने फिल्ममेकर और न्यू थिएटर्स के मालिक बी. एन. सरकार ने जब नजीर हुसैन का नाटक देखा तो वह प्रभावित हो गए और उन्हें साथ काम करने के लिए कोलकाता बुला लिया।

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मोहम्मद रफी के साथ नजीर हुसैन, फोटो: Insta/Raashid Rafi

नाटकों से शुरुआत, बिमल रॉय की फिल्मों से यूं चमकी किस्मत
कोलकाता में नजीर हुसैन की मुलाकात डायरेक्टर बिमल रॉय से हुई और वह उनके असिस्टेंट बन गए। नजीर हुसैन ने बिमल रॉय के साथ मिलकर ‘पहला आदमी’ नाम से फिल्म बनाई, जोकि उनके आजाद हिंद फौज के अनुभव पर आधारित थी। नजीर हुसैन ने इस फिल्म में न सिर्फ ऐक्टिंग की, बल्कि उन्होंने इसकी कहानी और डायलॉग भी लिखे थे। यह फिल्म 1950 में रिलीज हुई और रिलीज होते ही छा गई। इस फिल्म के बाद तो नजीर हुसैन, बिमल रॉय की लगभग हर फिल्म का हिस्सा बन गए।

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फोटो: cinestaan.com

नजीर हुसैन ने की थी भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत, राजेंद्र प्रसाद ने की थी मदद
नजीर हुसैन ने आने वाले वक्त में ‘दो बीघा जमीन’, ‘देवदास’, ‘नया दौर’ और ‘मुनीमजी’ जैसी कई फिल्में कीं। नजीर हुसैन का भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत में बहुत बड़ा हाथ रहा। 1950s में नजीर हुसैन की देश के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से अचानक मुलाकात हुई और यहीं से भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत की नींव पड़ी। इसका किस्सा भी बड़ा ही दिलचस्प है। अविजीत घोष द्वारा लिखी गई किताब ‘सिनेमा भोजपुरी’ के मुताबिक, राजेंद्र प्रसाद बिहार में पैदा हुए थे। जब उन्हें पता चला कि नजीर हुसैन की पैदाइशी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की है, तो उन्होंने भोजपुरी में बात करनी शुरू कर दी।

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फोटो: Insta/bollywoodirect

‘भोजपुरी सिनेमा के पितामह’ हैं नजीर हुसैन
धीरे-धीरे बातचीत फिल्मों तक जा पहुंचीं। तब राजेंद्र प्रसाद ने नजीर हुसैन से पूछा था कि वह भोजपुरी फिल्म क्यों नहीं बनाते। राजेंद्र प्रसाद ने नजीर हुसैन को भोजपुरी फिल्म बनाने के लिए प्रोत्साहित किया और यहीं से भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत हुई। 1963 में नजीर हुसैन ने ‘गंगा मैया तोहे प्यारी चढ़ईबो’ नाम से एक भोजपुरी फिल्म बनाई। यह देश की पहली भोजपुरी फिल्म थी और इसी के साथ भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत हुई। इसके बाद नजीर हुसैन ने ‘हमार संसार’ से बतौर प्रड्यूसर शुरुआत की। 1970s में नजीर हुसैन ने सुपरहिट भोजपुरी फिल्म ‘बलम परदेसिया’ भी बनाई थी। भोजपुरी सिनेमा में नजीर हुसैन का योगदान देश कभी नहीं भूलेगा। 25 जनवरी 2014 को नजीर हुसैन इस दुनिया को अलविदा कह गए।



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