धोनी के घर में डेब्यू कर रहा गांगुली की आंखों का तारा, अफ्रीका का पुर्जा-पुर्जा ढीला करेगा कोहली का ‘इंजीनियर’

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धोनी के घर में डेब्यू कर रहा गांगुली की आंखों का तारा, अफ्रीका का पुर्जा-पुर्जा ढीला करेगा कोहली का ‘इंजीनियर’


धोनी के घर में डेब्यू कर रहा गांगुली की आंखों का तारा, अफ्रीका का पुर्जा-पुर्जा ढीला करेगा कोहली का ‘इंजीनियर’

नई दिल्ली: टीम इंडिया साउथ अफ्रीका के खिलाफ पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के घर रांची में दूसरा वनडे खेल रही है। इस मैच के लिए टीम इंडिया में बड़ा बदलाव हुआ है और बीसीसीआई प्रमुख सौरव गांगुली की आंखों का तारा शाहबाज अहमद को डेब्यू कैप मिला है। यह वही शाहबाज हैं, जिन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग में विराट कोहली की टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की ओर से कोहराम मचा रखा था। अब जब उन्हें टीम इंडिया में जगह मिली है तो एक बार फिर उनसे वैसे ही प्रदर्शन की उम्मीद होगी।

बचपन से ही क्रिकेट को लेकर गजब का उत्साह
टीम इंडिया में बेटे के चयन पर शाहबाज के बचपन के दिनों को याद करते हुए पिता जान अहमद ने कहा था, ‘बचपन में मैं उसके साथ खूब क्रिकेट खेला करता था। मैं गेंदबाजी करता था जबकि वह बल्लेबाजी। वह चार साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलने लग गया था। मैं घंटों तक उसे गेंदबाजी करता रहता था। मैं इस दौरान थक जाता था लेकिन वह नहीं। मैच को खत्म करने के लिए मैं उसे एक आसान गेंद कर दिया करता था ताकि वह छक्का जड़ के यह समझे की वह जीत गया और मैच खत्म।’ शाहबाज के पिता जान अहमद सब डिविजनल मजिस्ट्रेट कोर्ट में रीडर के तौर पर काम करते हैं।

13 km दूर थी अकादमी, पिता के पास नहीं थे ऑटो के पैसे
कुछ सालों बाद शाहबाज के पिता का ट्रांसफर हाथिन, पलवल में हो गया। यहां शाहबाज एकेडमी में क्रिकेट का प्रशिक्षण लेने लगे। इसके बाद शाहबाज ने मानव रचना यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग की। शाहबाज के पिता ने कहा, ‘वह जब 15 साल का हुआ था तो रोज अकेले 13 किलोमीटर बस से एकेडमी जाता था। मेरा काम ऐसा था कि मैं उसके साथ नहीं जा सकता था और इतने पैसे भी नहीं थे कि मैं उसे ऑटो से भेज पाता। इस दौरान वह हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन के कई कैंप में भी भाग लिया लेकिन कहीं भी उसका चयन नहीं हुआ।’

हताश होकर पहुंचा कोलकाता, यूं बना गांगुली की आंखों का तारा
इससे हताश होकर शाहबाज कोलकाता चले गए। यहां पर वह लोकल लीग में खेलना शुरू किया और इसी दौरान तपन मेमोरियल क्लब की नजर उन पर पड़ी। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में बीसीसीआई के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली शाहबाज से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अंडर-23 के कोच सौराशीष लाहिड़ी से उन्हें बंगाल की टीम शामिल करने की सिफारिश कर दी। शाहबाज ने भी अपनी मेहनत और लगन से किसी को निराश नहीं किया और उन्हें साल 2018 में फर्स्ट क्लास में डेब्यू का मौका मिला। वह घरेलू क्रिकेट में इसी साल खूब चर्चा रहे थे जब उन्होंने रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल मैच में बंगाल के लिए मध्यप्रदेश के खिलाफ उन्होंने 116 रन बनाने के अलावा 8 विकेट भी झटके थे।

आईपीएल में बदली किस्मत, विराट की टीम के लिए जमकर खेला
हालांकि उनके करियर का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्हें इंडियन प्रीमियर लीग में विराट कोहली की कप्तानी वाली रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेलने का मौका मिला था। आईपीएल में नाम आने के बाद उनके परिवार में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनके चाचा मोहम्मद फारुख बताते हैं कि आईपीएल में मिले पैसे से शाहबाज ने जो सबसे पहला काम अपने दादा के लिए 42 इंच का टीवी खरीदा, ताकि वह उसे खेलते हुए देख सके। मोहम्मद फारुख नूंह एक स्कूल में हेडमास्टर हैं।

उन्होंने कहा, ‘जब तक आरसीबी की टीम में उसे नहीं चुना नहीं गया था वह एक अन्य खिलाड़ी के साथ रूम शेयर कर रहा करते थे। शाहबाज को खाना पकाना नहीं आता था ऐसे में अपने रूममेट के साथ किसी तरह खाने की व्यवस्था करते थे लेकिन बावजूद इसके वह घर में कुछ नहीं बोलता था कि कहीं उस पर वापस आने का दबाव ना बना दिया जाए।’

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