धर्म प्रचार मामले में फंसे आईएएस इफ्तिखारुद्दीन ने माना उनके आवास के हैं वीडियो, एसआईटी के हाथ लगी किताब बढ़ा सकती है मुसीबत

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धर्म प्रचार मामले में फंसे आईएएस इफ्तिखारुद्दीन ने माना उनके आवास के हैं वीडियो, एसआईटी के हाथ लगी किताब बढ़ा सकती है मुसीबत

IAS Iftikharuddin trapped in Dharm Prachar case admitted about video- धर्मांतरण मामले को लेकर वायरल हुए वीडियो से बुरे फंसे कानपुर के पूर्व मंडलायुक्त और उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के चेयरमैन आईएएस मो. इफ्तिखारुद्दीन (IAS Iftikharuddin) ने वीडियो उनके सरकारी आवास के होने की बात स्वीकारी है।

लखनऊ. IAS Iftikharuddin trapped in Dharm Prachar case admitted about video. धर्मांतरण मामले को लेकर वायरल हुए वीडियो से बुरे फंसे कानपुर के पूर्व मंडलायुक्त और उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के चेयरमैन आईएएस मो. इफ्तिखारुद्दीन (IAS Iftikharuddin) ने वीडियो उनके सरकारी आवास के होने की बात स्वीकारी है। एसआईटी की पूछताछ में उन्होंने कहा कि वीडियो उनके कानपुर मंडलायुक्त आवास का है। लेकिन इसमें उन्होंने धर्मांतरण संबंधित बयान नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि यह वीडियो रमजान के दौरान शूट किया गया था। उधर, एसआइटी वायरल वीडियो में कही जा रही धार्मिक बातों का परीक्षण ऑल इंडिया सर्विस कंडक्ट रूल्स के तहत कर रही है। जिसमें इफ्तिखारूद्दीन के दोषी साबित होने के बाद उन्हें 10 साल तक की सजा हो सकती है। इस मामले में एसआइटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप सकती है। बता दें कि इफ्तिखारुद्दीन 17 फरवरी 2014 से 22 अप्रैल 2017 तक कानपुर के मंडलायुक्त के पद पर तैनात रहे थे और इस दौरान ही उन पर धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप है।

सरकारी आवास में धार्मिक आयोजन

राज्य में धर्मांतरण के मामलों का खुलासा होने के बाद सोशल मीडिया में आईएएस अफसर इफ्तिखारूद्दीन के कई वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे थे जिसमें वह धर्मांतरण को लेकर बात कर रहे हैं। मामला चर्चा में आने के बाद राज्य सरकार ने इसके लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी प्रमुख और डीजी सीबीसीआईडी जीएल मीणा की अध्यक्षता में गठित टीम ने बुधवार को आईएएस इफ्तिखारुद्दीन से लंबी पूछताछ की। इस मामले में इफ्तिखारुद्दीन की पत्नी व परिवार के दो अन्य सदस्य भी उनके साथ सीबीसीआईडी मुख्यालय पहुंचे थे।

सरकारी नौकरी में रहते हुए धर्म विशेष का प्रचार

पूछताछ में जो भी खुलासे हुए हैं उनके आधार पर इफ्तिखारूदीन के लिए आने वाले दिनों में मुसीबत बन सकते हैं। कानपुर के मंडलायुक्त रहते हुए इफ्तिखारुदीन ने अपने सरकारी आवास पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित कराए। सरकारी नियमों के मुताबिक ये कोई अपराध नहीं है। लेकिन सरकारी नौकरी में रहते हुए किसी धर्म विशेष का प्रचार-प्रसार करना गलत है और इसकी किसी भी अफसर और कर्मचारी को अनुमति नहीं है। एसआईटी के हाथ एक किताब भी लगी है। इन किताबों को इफ्तिखारुद्दीन ने लिखा है। इन किताबों के जरिए इफ्तिखारूद्दीन धर्म विशेष की बातों को बढ़ाकर लोगों के सामने पेश कर रहे हैं।

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