द्रौपदी मुर्मू को मूर्ति कहने पर तेजस्वी यादव पर बीजेपी का हमला- महिलाओं का अपमान है ये

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द्रौपदी मुर्मू को मूर्ति कहने पर तेजस्वी यादव पर बीजेपी का हमला- महिलाओं का अपमान है ये

द्रौपदी मुर्मू को मूर्ति कहने पर तेजस्वी यादव पर बीजेपी का हमला- महिलाओं का अपमान है ये

भाजपा ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव द्वारा एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का अपमान करने के लिए जमकर लताड़ा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने रविवार को फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है कि भारतीय राजनीति का सबसे घिनौना चेहरा आज तेजस्वी जी के वक्तव्य से उजागर हुआ है। माननीय द्रौपदी मुर्मू जी जो एक गांव की आदिवासी महिला होने के बावजूद उड़ीसा विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में पुरस्कृत हो चुकी हैं। जिनका राज्यपाल का कार्यकाल ऐसा निर्विवाद रहा कि हेमंत सोरेन को भी उनका समर्थन करना पड़ा। वह तेजस्वी यादव को मूर्ति नजर आती हैं।

संजय जायसवाल ने लिखा है कि राष्ट्रीय जनता दल में परंपरा रही है कि बड़े-बड़े तथाकथित समाजवादी नेता एक घरेलू महिला को अपना नेता मान लेते हैं। तेजस्वी यादव जी के नजर में किसी खास नेता की पत्नी अथवा बेटी होना ही विद्वान की पहचान है। एक गांव से पढ़कर आदिवासी महिला का राष्ट्रपति बनना उन्हें अपमान लगता है। सभी राजपरिवारों में यह बीमारी है कि कोई व्यक्ति, जिसका किसी परिवार से संबंध नहीं हो, वह कैसे राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री बन सकता है। इसीलिए हर कदम पर वह विरोध करते दिखते हैं। 

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बता दें तेजस्वी यादव ने कहा कि राष्ट्रपति भवन में हमें राष्ट्रपति बैठाना है ना कि कोई मूर्ति। इतना ही नहीं तेजस्वी ने द्रौपदी मुर्मू की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आज तक हमने कभी उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस करते नहीं देखा है। तेजस्वी यादव ने कहा कि हमने कभी उन्हें बोलते हुए नहीं सुना है और मुझे नहीं लगता है कि आप लोगों ने भी सुना होगा। यशवंत सिन्हा को तो आप सब ने हर जगह बोलते हुए सुना है, लेकिन जो सत्ता पक्ष से एनडीए की उम्मीदवार बनाई गई हैं, वो जब से उम्मीदवार बनी हैं, उन्होंने एक भी प्रेस वार्ता नहीं किया है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने हमला बोलते हुए कहा कि तेजस्वी ने बचपन में महिला मुख्यमंत्री को देखा है। इसलिए उन्हें हर पिछड़ी, अनुसूचित जाति, जनजाति की महिला मूर्ति ही नजर आती है‌। कभी अपने घर से बाहर की भी दुनिया देखें। इस समाज में अपने बल पर मुकाम हासिल करने वाले लाखों लोग हैं। पर जीवन में कभी पढ़ाई की हो तब तो राष्ट्रपति का महत्व समझ में आएगा।

उन्होंने कहा कि हम सब अच्छे से जानते हैं कि हमारे गांव मे जो अपने आपको आठवां या नवां पास कहते थे, वह वाकई कितना किताब पढ़े रहते थे। जो कागज पड़ने पर आमकदम को आजादी के अमृत सरोवर में डूबा दे, वह बिहार का नाम डूबाएगा ही। आज पूरे भारत मे नेता विरोधी दल के द्वारा भावी राष्ट्रपति के अपमान का आक्रोश हर बिहारी को झेलना पड़ रहा है।

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