देख रहे हैं गहलोत जी! पुलिसवाला अपने साथ हुई मारपीट – अपहरण की शिकायत करने पहुंचा, थाने वाले टरकाते रहे
जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दावा करते हैं कि राजस्थान के हर थाने में परिवादियों की तुरंत सुनवाई होती है और अनिवार्य एफआईआर दर्ज होती है। इसकी एक बानगी राजधानी जयपुर में देखने को मिली है। जयपुर में गुरुवार को एटीएस में तैनात एक पुलिसकर्मी के साथ अपहरण और लूट की वारदात हो गई। आधी रात को पीड़ित पुलिसकर्मी स्थानीय थाने खोह नागोरियान पहुंचा। वहां से पुलिसकर्मियों ने अपने थाना क्षेत्र की घटना नहीं होना बताकर आदर्श नगर थाने जाने की सलाह दी। बाद में रात करीब 3 बजे पीड़ित पुलिसकर्मी आदर्श नगर थाने पहुंचा तो वहां ड्यूटी पर तैनात अधिकारी ने अगले दिन सुबह आकर रिपोर्ट दर्ज करने की बात कही। पीड़ित पुलिसकर्मी निराश होकर थाने से लौट गया। बड़ी बात यह भी है कि अपहरण और लूट की वारदात करने वाले बदमाश तीन दिन बाद भी फरार हैं।
ड्यूटी से घर लौटते समय हुआ अपहरण
पीड़ित कांस्टेबल सुनील कुमार सीकर का रहने वाला है और वह एटीएस मुख्यालय में तैनात है। वह आदर्श नगर में पिंक स्क्वायर मॉल के सामने किराए का कमरा लेकर रहता है। गुरुवार 24 नवंबर की रात 11 बजे वह ड्यूटी से फ्री होकर अपने कमरे लौट रहा था। एक ई रिक्शा को हाथ देकर रुकवाया जिसमें पहले से तीन युवक सवार थे। सुनील भी ई रिक्शा में बैठ गया।
सुनील को पिंक स्क्वायर मॉल के सामने उतरना था लेकिन ई रिक्शा में सवार बदमाशों ने कांस्टेबल सुनील को बंधक बना लिया और अपहरण कर लिया। करीब 11 किलोमीटर दूर सुनसान इलाके में ले जाकर मारपीट की और रुपए छीन लिए। साथ ही एटीएम सहित पर्स में रखे सारे दस्तावेज भी छीन लिए। मारपीट करके पेटीएम और फोनपे के पासवर्ड पूछ लिए। पीड़ित सिपाही को अंदेशा के ही बदमाश उनके खाते से और रुपए भी निकाल सकते हैं।
घटना के 16 घंटे बाद दर्ज हुई रिपोर्ट
अपहरण और लूट की घटना होने के बाद कांस्टेबल सुनील ने आधी रात को एक से मोबाइल मांग कर पुलिस कंट्रोल रूम कॉल किया। खोह नागोरियान पुलिस मौके पर पहुंची और सुनील को थाने ले गई। वहां जाने के बाद पुलिसकर्मियों ने घटना आदर्श नगर थाना क्षेत्र की होने की बताकर रवाना कर दिया। 11 किलोमीटर पैदल चलकर देर रात तीन बजे पीड़ित सुनील आदर्श नगर थाने पहुंचा। वहां ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारी ने सुनील की रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय सुबह आकर रिपोर्ट देने के लिए कहकर थाने से निकाल दिया। बाद में शुक्रवार 25 नवंबर को शाम 4 बजे अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की गई।
राजधानी में आमजन तो क्या खुद पुलिस भी सुरक्षित नहीं है
देरी से मुकदमा दर्ज होने पर आदर्श नगर थाना प्रभारी ने तर्क दिया कि पुलिस कांस्टेबल शराब के नशे में था। बीजेपी प्रवक्ता रामलाल शर्मा का कहना है कि राजधानी में आमजन तो क्या खुद पुलिस भी सुरक्षित नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि पीड़ित पुलिसकर्मी की रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय पुलिस अधिकारी उसे टकराते रहे। हो सकता है कांस्टेबल में शराब का सेवन किया होगा लेकिन अगर उसके साथ अपहरण और लूट की वारदात हुई है तो पुलिस को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। पुलिस के इस तरह के व्यवहार से पूरे सिस्टम से भरोसा उठता है। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)
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ड्यूटी से घर लौटते समय हुआ अपहरण
पीड़ित कांस्टेबल सुनील कुमार सीकर का रहने वाला है और वह एटीएस मुख्यालय में तैनात है। वह आदर्श नगर में पिंक स्क्वायर मॉल के सामने किराए का कमरा लेकर रहता है। गुरुवार 24 नवंबर की रात 11 बजे वह ड्यूटी से फ्री होकर अपने कमरे लौट रहा था। एक ई रिक्शा को हाथ देकर रुकवाया जिसमें पहले से तीन युवक सवार थे। सुनील भी ई रिक्शा में बैठ गया।
सुनील को पिंक स्क्वायर मॉल के सामने उतरना था लेकिन ई रिक्शा में सवार बदमाशों ने कांस्टेबल सुनील को बंधक बना लिया और अपहरण कर लिया। करीब 11 किलोमीटर दूर सुनसान इलाके में ले जाकर मारपीट की और रुपए छीन लिए। साथ ही एटीएम सहित पर्स में रखे सारे दस्तावेज भी छीन लिए। मारपीट करके पेटीएम और फोनपे के पासवर्ड पूछ लिए। पीड़ित सिपाही को अंदेशा के ही बदमाश उनके खाते से और रुपए भी निकाल सकते हैं।
घटना के 16 घंटे बाद दर्ज हुई रिपोर्ट
अपहरण और लूट की घटना होने के बाद कांस्टेबल सुनील ने आधी रात को एक से मोबाइल मांग कर पुलिस कंट्रोल रूम कॉल किया। खोह नागोरियान पुलिस मौके पर पहुंची और सुनील को थाने ले गई। वहां जाने के बाद पुलिसकर्मियों ने घटना आदर्श नगर थाना क्षेत्र की होने की बताकर रवाना कर दिया। 11 किलोमीटर पैदल चलकर देर रात तीन बजे पीड़ित सुनील आदर्श नगर थाने पहुंचा। वहां ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारी ने सुनील की रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय सुबह आकर रिपोर्ट देने के लिए कहकर थाने से निकाल दिया। बाद में शुक्रवार 25 नवंबर को शाम 4 बजे अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की गई।
राजधानी में आमजन तो क्या खुद पुलिस भी सुरक्षित नहीं है
देरी से मुकदमा दर्ज होने पर आदर्श नगर थाना प्रभारी ने तर्क दिया कि पुलिस कांस्टेबल शराब के नशे में था। बीजेपी प्रवक्ता रामलाल शर्मा का कहना है कि राजधानी में आमजन तो क्या खुद पुलिस भी सुरक्षित नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि पीड़ित पुलिसकर्मी की रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय पुलिस अधिकारी उसे टकराते रहे। हो सकता है कांस्टेबल में शराब का सेवन किया होगा लेकिन अगर उसके साथ अपहरण और लूट की वारदात हुई है तो पुलिस को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। पुलिस के इस तरह के व्यवहार से पूरे सिस्टम से भरोसा उठता है। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)
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