दिल्ली मेट्रो के फेज 4 से जुड़ी बड़ी मुश्किल दूर, HC ने चीनी कंपनी से कहा- 3 दिन में जारी करो डिलीवरी ऑर्डर
Delhi Metro News: दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण का काम शुरू करने के लिए जो सामान चाहिए, वो गुजरात के हजीरा पोर्ट पर फंसा है। हाई कोर्ट ने चीनी कंपनी को तीन दिन के भीतर डिलीवरी ऑर्डर जारी का आदेश दिया है।
हाइलाइट्स
- माल ना होने से लटका दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण का काम
- गुजरात के हजारी पोर्ट पर फंसा है चीनी कंपनी का सामान
- दिल्ली HC ने कहा, 3 दिन के भीतर जारी करें डिलीवरी ऑर्डर
- शिपमेंट में टनल बोरिंग मशीन से जुड़े 100 पैकेज हैं
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक चीनी शिपिंग कंपनी को दिल्ली मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के काम से जुड़े सामानों के शिपमेंट का डिलीवरी ऑर्डर 3 दिनों के भीतर जारी करने का आदेश दिया है। जरूरी दस्तावेज न मिलने की वजह से कार्गो सूरत, गुजरात के हजीरा पोर्ट पर अटका है। 100 पैकेज वाले इस शिपमेंट में टनल बोरिंग मशीन(सुरंग बनाने वाली मशीन) के सामान बताए गए हैं, जिनका इस्तेमाल मेट्रो के चौथे चरण के काम की शुरुआत के लिए होना है। जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने आर्बिट्रेशन एंड कॉन्सिलिएशन एक्ट, 1996 के प्रावधानों के तहत दायर रॉबिन्स सेबी जेवी की याचिका पर हैंसी शिपिंग पीटीई व अन्य से जवाब भी मांगा है। शुरुआत में कोर्ट ने याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट के सामने सुनवाई के लिए रखे जाने पर सवाल उठाया, क्योंकि संबंधित मामले में आर्बिट्रेशन प्रक्रिया के मुताबिक इसकी जगह लंदन है। बाद में कोर्ट इस आधार पर मामले में सीमित दायरे में सुनवाई के लिए तैयार हो गया कि दोनों पक्षों के बीच कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर साइन किया गया फिक्सचर नोट दिल्ली में तैयार हुआ। संतुष्ट होने के बाद हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत के तौर पर यह आदेश जारी किया।
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट साकेत सीकरी और अर्जुन सयाल ने कोर्ट से शिपिंग कंपनी और अन्य को यह निर्देश दिने का अनुरोध किया था कि वो याचिकाकर्ता को अपना कार्गो हजीरा पोर्ट से छुड़ाने के लिए जरूरी दस्तावेज मुहैया कराएं। कोर्ट को प्रतिवादी कंपनी का रुख सही नहीं लगा। 14 जुलाई को नोटिस जारी होने के बावजूद प्रतिवादी की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। जस्टिस भंभानी ने कहा कि शिपमेंट में 100 पैकेज हैं, जिनमें दिल्ली मेट्रो फेज-4 के विस्तार और निर्माण में काम आने वाली टनल बोरिंग मशीन के सामान हैं। शिपमेंट हजीरा पोर्ट में इसीलिए फंसा है, क्योंकि प्रतिवादी कंपनी कार्गो डिलीवरी ऑर्डर जारी करने से मना कर रही है और इसलिए याचिकाकर्ता पोर्ट से अपना सामान हासिल नहीं कर पा रहा है।
कोर्ट को प्रतिवादी कंपनी की ओर से इसके लिए डिटेंशन चार्ज के तौर पर 173,000 यूएस डॉलर की मांग करना भी निराधार और अव्यावहारिक लगा। कोर्ट को ऐसा कोई दस्तावेज नहीं दिखा, जो पोर्ट अथॉरिटी की ओर से डिटेंशन चार्ज के तौर पर इतनी मोटी रकम मांगे जाने की पुष्टि करता हो। बहरहाल, सारे तथ्यों का आकलन करने के बाद कोर्ट को यही लगा कि डिटेंशन चार्ज से जुड़े विवाद के निपटारे तक कार्गो को पोर्ट पर छोड़ने से किसी भी पक्ष को कोई लाभ होने वाला नहीं है। इससे मेट्रो का काम और प्रभावित होगा। मामले में अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी।
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Web Title : delhi metro phase 4 work high court orders chinese shipping company to deliver goods within 3 days
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हाइलाइट्स
- माल ना होने से लटका दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण का काम
- गुजरात के हजारी पोर्ट पर फंसा है चीनी कंपनी का सामान
- दिल्ली HC ने कहा, 3 दिन के भीतर जारी करें डिलीवरी ऑर्डर
- शिपमेंट में टनल बोरिंग मशीन से जुड़े 100 पैकेज हैं
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट साकेत सीकरी और अर्जुन सयाल ने कोर्ट से शिपिंग कंपनी और अन्य को यह निर्देश दिने का अनुरोध किया था कि वो याचिकाकर्ता को अपना कार्गो हजीरा पोर्ट से छुड़ाने के लिए जरूरी दस्तावेज मुहैया कराएं। कोर्ट को प्रतिवादी कंपनी का रुख सही नहीं लगा। 14 जुलाई को नोटिस जारी होने के बावजूद प्रतिवादी की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। जस्टिस भंभानी ने कहा कि शिपमेंट में 100 पैकेज हैं, जिनमें दिल्ली मेट्रो फेज-4 के विस्तार और निर्माण में काम आने वाली टनल बोरिंग मशीन के सामान हैं। शिपमेंट हजीरा पोर्ट में इसीलिए फंसा है, क्योंकि प्रतिवादी कंपनी कार्गो डिलीवरी ऑर्डर जारी करने से मना कर रही है और इसलिए याचिकाकर्ता पोर्ट से अपना सामान हासिल नहीं कर पा रहा है।
कोर्ट को प्रतिवादी कंपनी की ओर से इसके लिए डिटेंशन चार्ज के तौर पर 173,000 यूएस डॉलर की मांग करना भी निराधार और अव्यावहारिक लगा। कोर्ट को ऐसा कोई दस्तावेज नहीं दिखा, जो पोर्ट अथॉरिटी की ओर से डिटेंशन चार्ज के तौर पर इतनी मोटी रकम मांगे जाने की पुष्टि करता हो। बहरहाल, सारे तथ्यों का आकलन करने के बाद कोर्ट को यही लगा कि डिटेंशन चार्ज से जुड़े विवाद के निपटारे तक कार्गो को पोर्ट पर छोड़ने से किसी भी पक्ष को कोई लाभ होने वाला नहीं है। इससे मेट्रो का काम और प्रभावित होगा। मामले में अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी।
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