दिल्ली में अधिकारों पर झगड़ा, वाशिंगटन, बर्लिन, कैनबरा… दुनिया के इन शहरों में आखिर क्या है व्यवस्था
दरअसल केंद्र के अध्यादेश के पीछे वाशिंगटन डीसी, बर्लिन, फ्रांस, ओटावा और कैनबरा जैसे दुनिया भर के राजधानी शहरों में शासन का मॉडल है। इस अध्यादेश के जरिए केंद्र दिल्ली के एलजी के प्रशासनिक नियंत्रण से संबंधित शक्तियों को बहाल किया है। स्टडी किए गए सभी अंतरराष्ट्रीय मॉडलों में, राजधानी शहर केंद्रीय या संघीय सरकार के नियंत्रण में है। ये राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ तालमेल सुनिश्चित करता है।
उदाहरण के लिए, अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी संघीय सरकार के सीधे नियंत्रण में है। यहां केवल एक मेयर है और कोई निर्वाचित सरकार नहीं है। डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया एक अनूठी व्यवस्था द्वारा शासित है। यहां कानून प्रवर्तन, शिक्षा और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे सहित प्रशासन पर केंद्र सरकार का अधिकार है। जर्मनी की राजधानी बर्लिन भी संघीय सरकार के अधिकार में है। जबकि इसकी अपनी राज्य सरकार है। संघीय सरकार यहां सुरक्षा, विदेशी मामलों और समग्र नीति समन्वय से संबंधित मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
फ्रांस की राजधानी पेरिस में केंद्र और क्षेत्रीय प्राधिकरण दोनों का शासन है। सुरक्षा, परिवहन और शहरी नियोजन जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्र सरकार का अधिकार है। जबकि क्षेत्रीय सरकार के पास लोकल एडमिनिस्ट्रेशन और सांस्कृतिक मामलों की जिम्मेदारी है। ऑस्ट्रेलिया में कैनबरा ऑस्ट्रेलियाई राजधानी क्षेत्र (एसीटी) में स्थित है। इस पर संघीय सरकार का कंट्रोल है। हालांकि, एसीटी की अपनी सरकार है, लेकिन केंद्र सरकार प्रशासन, योजना और प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर महत्वपूर्ण नियंत्रण रखती है। कनाडा की राजधानी ओटावा, कनाडा की राजधानी शहर, संघीय सरकार द्वारा प्रशासित है जिसका भूमि उपयोग योजना, प्रमुख बुनियादी ढांचे के विकास और राजनयिक संबंधों सहित शहर के शासन के विभिन्न पहलुओं पर अधिकार क्षेत्र है।
केंद्र सरकार के सूत्रों ने टीओआई को बताया कि राजधानी में केंद्र और दिल्ली के मौजूदा शासन के बीच कटुता एक बिंदु पर आ गई थी। इससे दिन-प्रतिदिन का गवर्नेंस प्रभावित हो रहा था। दिल्ली सचिव (सर्विसेज) ने 16 मई को मुख्य सचिव से शिकायत की थी कि दिल्ली सरकार के मंत्रियों की कथित रूप से परेशान और धमकाया जा रहा है। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली के प्रशासनिक नियंत्रण से संबंधित मामले में पक्ष में फैसला सुनाने के बाद होने लगा था। एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने तर्क दिया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा के लिए जिम्मेदार है। ऐसे में दिल्ली के प्रशासन पर इसका नियंत्रण होने से राजधानी शहर में प्रभावी समन्वय और सुरक्षा उपायों का कार्यान्वयन सुनिश्चित होता है। वास्तव में, जब दिल्ली को वर्ष 1991 में एक संवैधानिक संशोधन द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) घोषित किया गया था, तो यह अवधारणा स्पष्ट कर दी गई थी। चूंकि दिल्ली केंद्र सरकार की सीट है, इसलिए दोहरी सत्ता और जिम्मेदारी नहीं हो सकती है। यह प्वाइंट आउट भी किया गया था।
केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि प्रशासन पर नियंत्रण होने से केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने की अनुमति मिलती है कि स्थानीय हितों पर राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी जाए। दिल्ली भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में कार्य करती है। केंद्र सरकार का नियंत्रण यह सुनिश्चित करता है कि शहर के लिए नीतियां और निर्णय राष्ट्रीय उद्देश्यों के साथ मेल में हों। इससे बेहतर आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे का विकास और सांस्कृतिक संरक्षण हो सके। सूत्रों ने कहा कि दिल्ली बड़ी संख्या में राजनयिक मिशनों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मेजबानी कर रहा है। राजधानी शहर पर केंद्र सरकार का नियंत्रण विदेशी सरकारों के साथ प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करता है। इन राजनयिक संस्थाओं के सुचारू कामकाज की सुविधा प्रदान करता है। एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि केंद्र के साथ दिल्ली का प्रशासनिक नियंत्रण शासन में एकरूपता सुनिश्चित करता है। इससे रेगुलेशन और लेजिसलेशन से उत्पन्न होने वाले संभावित संघर्षों या विसंगतियों से बचा जाता है।