दिल्‍ली दंगे 2020: पहली नजर में सबूत पर्याप्‍त हैं… पांच आरोपियों पर चलेगा हत्या का मुकदमा

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दिल्‍ली दंगे 2020: पहली नजर में सबूत पर्याप्‍त हैं… पांच आरोपियों पर चलेगा हत्या का मुकदमा

दिल्‍ली दंगे 2020: पहली नजर में सबूत पर्याप्‍त हैं… पांच आरोपियों पर चलेगा हत्या का मुकदमा

नई दिल्‍ली: नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के वेलकम इलाके में 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान दंगाइयों की भीड़ ने प्रेम सिंह (40) की चाकुओं से हत्या कर दी थी। गवाहों के बयान और जांच एजेंसी की ओर से अडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत की अदालत में पेश किए गए सबूतों के आधार पर इमरान उर्फ चीरा, आसिफ, मोहम्मद शहजाद, मोहम्मद शारिक और मोहम्मद इमरान के खिलाफ पहली नजर में हत्या, दंगा और आर्म्स एक्ट सहित अन्य कई धाराओं में ट्रायल चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। इस मामले में 25 फरवरी 2020 को सब इंस्पेक्टर अमित भारद्वाज ने वेलकम थाने में डीडी एंट्री दर्ज कराई थी। डीडी एंट्री के अनुसार एक व्यक्ति को जीटीबी हॉस्पिटल में बेहोशी की हालत में भर्ती कराया गया था। जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। तफ्तीश के दौरान मृतक की पहचान प्रेम सिंह (40) के रूप में हुई। वह परिवार के साथ ब्रजपुरी गली नंबर तीन में रहते थे। उन्हें दंगाइयों की भीड़ ने रोड नंबर 66 पर यमुना विहार के सामने धारदार हथियारों से हमला किया था। पुलिस ने डीडी एंट्री के आधार पर हत्या, दंगा और आर्म्स एक्ट सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की।

तफ्तीश के दौरान, पुलिस ने रमन कोहली नामक गवाह को आरोपियों के फोटोग्राफ दिखाए तो उन्होंने इमरान और आसिफ को पहचान लिया। गवाह ने पुलिस को बताया कि जिस दिन दंगाइयों की भीड़ ने प्रेम सिंह पर चाकू से हमला किया था, दोनों लोग उस भीड़ में शामिल थे। यही नहीं, दिवाकर दूबे नामक गवाह ने भी दोनों आरोपियों को पहचानते हुए कहा कि उस दिन इमरान के हाथ में पिस्टल थी और आसिफ के हाथ में चाकू था। पुलिस ने दोनों आरोपियों को अरेस्ट कर लिया। पुलिस ने पब्लिक के तीन और गवाहों मनीष पाहवा, अशोक जैन और प्रमोद ने मोहम्मद शारिक, शहजाद और इमरान की पहचान की। लिहाजा पुलिस ने इन तीनों को भी अरेस्ट कर लिया। गवाहों ने पुलिस को बताया कि पिस्टल, लाठी डंडों सहित और खतरनाक हथियारों के साथ दंगाइयों की भीड़ लगातार भडकाऊ नारे लगा रही थी।

पांचों आरोपियों पर आरोप तय की कार्रवाई के दौरान बचाव पक्ष ने कहा कि पांचों आरोपियों में से किसी के ऊपर कोई चार्ज ही नहीं बनता। लिहाजा उन्हें केस से डिसचार्ज कर देना चाहिए। बचाव पक्ष की दलील थी कि पुलिस ने इस मामले में न तो आरोपियों की टीआईपी कराई और न ही उनकी सीडीआर निकाली। जिससे यह साबित हो सके कि उस दिन आरोपी उस जगह पर मौजूद थे जहां पर इस वारदात को अंजाम दिया गया। अडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों और जांच एजेंसी द्वारा जुटाए गए सबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर कहा कि पहली नजर में पांचों आरोपियों के खिलाफ हत्या, दंगा और आर्म्स एक्ट सहित अन्य धाराओं के तहत ट्रायल चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।

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