दिल्ली एम्स की नौकरी छोड़ी, पहली बार में MLA बने… 2023 में किसकी नींद उड़ाएंगे डॉ हीरालाल अलावा?

93
दिल्ली एम्स की नौकरी छोड़ी, पहली बार में MLA बने… 2023 में किसकी नींद उड़ाएंगे डॉ हीरालाल अलावा?

दिल्ली एम्स की नौकरी छोड़ी, पहली बार में MLA बने… 2023 में किसकी नींद उड़ाएंगे डॉ हीरालाल अलावा?

भोपाल: मध्यप्रदेश की राजनीति (MP Tribal Politics) आदिवासियों के इर्द-गिर्द घूम रही है। सभी सियासी दल आदिवासियों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बीजेपी ने प्रदेश में पेसा एक्ट लागू कर प्रदेश में 2023 विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा दाव चला है। इसके बाद सभी सियासी दल काट ढूंढने में जुट गए हैं। आदिवासी संगठन जयस भी 2023 के चुनाव की तैयारियों में जुटी है। इसके संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा पहले दिल्ली एम्स में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी करते थे। 2016 में नौकरी से इस्तीफा देकर सियासी पारी की शुरुआत की थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे और जीत हासिल की। इस बार 80 से अधिक विधानसभा सीटों पर उनकी तैयारी चल रही है।

पंचायत चुनाव के दौरान जयस ने बड़े पैमाने पर आदिवासी इलाकों में सेंधमारी की है। 2023 से पहले कई सियासी दल जयस को अपने पाले में करने की कोशिश कर सकती है। जयस के संरक्षक और विधायक डॉ हीरालाल अलावा ने नवभारत टाइम्स.कॉम से एक्सक्लूसिव बातचीत की है। उन्होंने सियासत से लेकर नौकरी छोड़ने तक के मसले पर बात की है। साथ ही साफ किया है कि 2023 में उनका स्टैंड क्या रहेगा।

सवाल: आदिवासी वोटरों पर सबकी नजर है, आपकी रणनीति क्या है?
जवाब:
डॉ हीरालाल अलावा ने कहा कि हमने पार्टी से नए युवाओं को जोड़ने की कवायद शुरू की है। हमने राजनीति में भागीदारी के लिए जयस महापंचायत की है। नए और पढ़े लिखे युवाओं को हम पार्टी से जोड़ रहे हैं। ये युवा पार्टी से जुड़ रहे हैं। साथ ही हम प्रदेश में 80 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

सवाल: 2023 के विधानसभा चुनाव में जयस किसके साथ?
जवाब:
उन्होंने कहा कि जयस सामाजिक के साथ-साथ एक वैचारिक संगठन हैं। यह आदिवासियत की बात करती है। हम किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हैं। हम आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन की बात करते हैं। आदिवासी समाज को हक और अधिकार दिलाने की बात करते हैं। हम आठ सालों से उनके लिए संघर्ष कर रहे हैं। डॉ अलावा ने कहा कि हम स्वतंत्र रूप से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। हमने यह तय नहीं किया है कि हम किसके साथ जाएंगे। बातचीत के दरवाजे सबके लिए खुले हैं।

सवाल: बीजेपी के साथ आपलोग जा सकते हैं?
जवाब:
विधायक हीरालाल अलावा ने कहा कि बीजेपी अभी सत्ता में है। उनके पास आदिवासियों को हक और अधिकार देने के कई विकल्प हैं। अगर बीजेपी सत्ता में रहकर आदिवासियों को हक नहीं दे सकती है तो हम उनके साथ कैसे जाएंगे। जयस के एजेंडों पर जो गंभीरता से विचार करेगा, हम उनके साथ बात करेंगे।

सवाल: आदिवासी वोटरों का बिखराव हो रहा है, कई संगठन आ गए हैं?
जवाब:
उन्होंने कहा कि आरोप लगाने वाले लोग लगाते रहते हैं। आजादी के बाद अब आदिवासी समाज में राजनीतिक चेतना आई है। नए युवा विधानसभा और लोकसभा में पहुंचने के लिए ताल ठोक चुके हैं। जमीन पर हमने काफी मेहनत की है। पंचायत चुनाव के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में हमने 80 फीसदी सीटें जीती हैं। सभी पार्टी अपने-अपने एजेंडे के साथ मैदान में उतरेगी। आदिवासी मुद्दों की बात हमने की है। अन्य वर्ग के लोग भी हमारे साथ जुड़ रहे हैं। आदिवासी पंचायत में अब दूसरे समाज के लोग भी जुड़ रहे हैं। प्रदेश की जनता हम पर भरोसा कर रही है।

सवाल: पीएफआई से जुड़े लोग गरीब आदिवासी महिलाओं से शादी कर रहे?
जवाब:
डॉ हीरालाल अलावा ने कहा कि आदिवासियों का शोषण लंबे समय से होते आ रहे हैं। आजाद भारत में जंगल पर कब्जा किया जा रहा है। उनसे जंगल छीना जा रहा है। आदिवासियों के खिलाफ कई प्रकार षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। जयस आदिवासियों के साथ खड़ा है। अगर कोई उनके साथ छेड़छाड़ करेगा तो हम उनके साथ खड़े हैं।

सवाल: एम्स की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम क्यों रखा?
जवाब:
उन्होंने कहा कि दिल्ली एम्स जैसे संस्थान से नौकरी छोड़कर सियासी पारी शुरू करना अपने आप में बड़ा फैसला था। अगर उसमें असफल होते थे तो उसका नुकसान होता। परिवार के लोगों ने पहले मना भी किया था कि नौकरी नहीं छोड़ो। यह मेरे लिए एक बड़ा फैसला था। मेरा सपना था सामाजिक नेतृत्व देने का, उसमें कुछ हद तक सफल दिख रहे हैं। हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहकर आदिवासियों को उनका हक दिलाएंगे। हम आदिवासी युवाओं के लिए एक प्रेरणा बने हैं। समाज के लोगों को उनका हक दिलाना ही हमारा जुनून था। उसका असर है कि एमपी में 26 साल बाद पेसा एक्ट लागू हुआ है।

सवाल: ‘आप’ के साथ 2023 में गठबंधन करेंगे?
जवाब:
उन्होंने कहा कि आप, बीजेपी और कांग्रेस समेत सभी पार्टियों के अपने एजेंडे हैं। जयस का अपना एजेंडा है। पढ़े-लिखे आदिवासी युवाओं ने इसे खड़ा किया है। आज की तारीख में किसी के साथ गठबंधन की कोई संभावना नहीं है।

इसे भी पढ़ें
Ratlam: सांसद के काफिले के आगे सड़क पर लेट गए जयस कार्यकर्ता, गाड़ियों पर पत्थर फेंके, पुलिस नहीं आती तो बिगड़ जाते हालात

उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News