दरभंगा स्लीपर सेल से गया ब्लास्ट तक, कैसे सुशासन की नाक के नीचे फैलते रहे जिहादी
पटना: बिहार की राजधानी पटना का फुलवारीशरीफ इलाका अब चर्चा में है। नए आतंकी मॉड्यूल के खुलासे के बाद सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिरकार राजधानी के पास बेस बनाने की आतंक के इस मॉड्यूल ने इतनी बड़ी हिमाकत कैसे कर दी? सवाल तो ये भी है कि क्या आतंकियों के लिए बिहार सेफ जोन जैसा साबित हो रहा था? अगर आप साल के पन्ने पलटें और अभी से 16 साल पीछे जाएं तो आपको काफी कुछ पता चल जाएगा। आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि बिहार में महाबोधि मंदिर में ब्लास्ट भले ही पहला आतंकी हमला था लेकिन उससे पहले ही स्लीपर सेल ने यहां पांव पसारना शुरू कर दिया था। समझिए कैसे…
सुशासन की नाक के नीचे स्लीपर सेल
- 20 जुलाई 2006- ये वो दिन था जब बिहार के मधुबनी से मो. कमाल नाम के एक शख्स को एक स्पेशल टीम ने दबोच लिया। पता चला कि ये वही कमाल है जिस पर मुंबई लोकल ट्रेन में ब्लास्ट का आरोप था।
- 2 जनवरी 2008- मधुबनी से ही सबाऊद्दीन नाम के शख्स को यूपी से आई एक खास टीम ने अपने कब्जे में ले लिया। हड़कंप मच गया, लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मामला क्या है। लेकिन थोड़ी ही देर में सब साफ हो गया। पता चला कि जिस सबाऊद्दीन को गिरफ्तार किया गया उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश के रामपुर सीआरपीएफ कैंप में ब्लास्ट से जुड़ा आरोप था।
- 21 फरवरी 2012- इस तारीख को दरभंगा जिले के शिवधारा से एक संदिग्ध कफील अहमद को पुलिस ने दबोच लिया। कफील को बदनाम आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का उस्ताद यानि मेंटॉर बताया गया था। आरोप था कि कफील अहमद ही वो शख्स था जो नौजवानों को गुमराह कर उनका ब्रेनवॉश कर रहा था।
- 21 जनवरी 2013- दरभंगा के ही लहेरियासराय से आतंकी हमले की साजिश रचने वाले दानिश अंसारी को पुलिस ने दबोच लिया था। उसपर आतंकी हमले की साजिश का आरोप था। यही नहीं आरोप था कि दानिश इंडियन मुजाहिदीन के सरगना यासीन भटकल का बेहद करीबी था।
जब बिहार से दबोचा गया सबसे खूंखार आतंकी
- 28 अगस्त 2013- इस दिन को तो भूलना मुश्किल है। हालांकि ये थी तो एक बड़ी कामयाबी लेकिन इससे ये भी पता चल गया था कि बिहार आतंक का सेफ हैवेन बन गया है। इसी दिन पूर्वी चंपारण के पास बिहार-नेपाल बॉर्डर से इंडियन मुजाहिदीन के खूंखार आतंकी यासीन भटकल को दबोचा गया था। वो बिहार से नेपाल निकलने की फिराक में था। लेकिन बिहार पुलिस ने उसे बॉर्डर पार करने से पहले ही दबोच लिया।
- अगस्त 2019- इसी महीने में बिहार में गया जिले से बांग्लादेशी आतंकी संगठन JMM के मेंबर को गिरफ्तार किया गया। उसके ठीक कुछ महीने पहले गुजरात ब्लास्ट के आरोपी तौसीफ की गिरफ्तारी गया से ही की गई थी। तौसीफ तो कई साल से टीचर बनकर गया जिले में छिपा हुआ था। लेकिन एक साइबर कैफे मालिक को उसके हुलिए पर शक हो गया और वो दबोच लिया गया।
- फरवरी 2021- इस महीने बिहार में छपरा से रिटायर टीचर महफूज अंसारी का बेटे जावेद को पुलिस ने दबोचा था। जावेद पर लगे आरोप भी काफी संगीन थे। उस पर जम्मू-कश्मीर के आतंकियों को हथियार सप्लाई करने का आरोप था।
जानिए आतंक के वायरस के बिहार में पसरने की वजह
पटना में इस तरह के मामलों के मशहूर एक्सपर्ट डॉक्टर संजय कुमार के मुताबिक ‘इसमें जो सबसे अहम बात है वो ये कि ये पूरी तरह से स्टेट इंटेलीजेंस की नाकामी है। दूसरी बात ये कि बिहार का बॉर्डर नेपाल और बांग्लादेश से मिलता है जो राज्य सरकार बखूबी जानती है। उसके बाद भी सीमांचल के इलाकों में सरकार ने अपने इंटेलीजेंस सोर्स का वैसा नेटवर्क नहीं बनाया जो होना चाहिए। तीसरी चीज ये कि वोट की राजनीति कभी-कभी नेताओं को आंखे मूंदने पर मजबूर कर देता है कि ताकि एक समुदाय विशेष की नाराजगी न झेलनी पड़े।’
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ये आंकड़े बता रहे सच
2006 से पहले न तो बिहार में इतने बड़े आतंकी पकड़े गए थे और ना ही कोई आतंकी हमला हुआ था। इससे पहले बिहार का एक बच्चा आतंकवाद की चिड़िया तक का नाम नहीं जानता था। फिर आखिर कैसे सुशासन की नाक के नीचे आतंक के दरभंगा मॉड्यूल से महाबोधि मंदिर और पटना सीरियल ब्लास्ट तक हो गए? आखिर कमी कहां थी? एक्सपर्ट की राय के हिसाब से बिहार सरकार को आतंकी मॉड्यूल को तोड़ने के लिए अभी सबसे ज्यादा जरूरत नेटवर्क मजबूत करने की है।
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पटना: बिहार की राजधानी पटना का फुलवारीशरीफ इलाका अब चर्चा में है। नए आतंकी मॉड्यूल के खुलासे के बाद सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिरकार राजधानी के पास बेस बनाने की आतंक के इस मॉड्यूल ने इतनी बड़ी हिमाकत कैसे कर दी? सवाल तो ये भी है कि क्या आतंकियों के लिए बिहार सेफ जोन जैसा साबित हो रहा था? अगर आप साल के पन्ने पलटें और अभी से 16 साल पीछे जाएं तो आपको काफी कुछ पता चल जाएगा। आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि बिहार में महाबोधि मंदिर में ब्लास्ट भले ही पहला आतंकी हमला था लेकिन उससे पहले ही स्लीपर सेल ने यहां पांव पसारना शुरू कर दिया था। समझिए कैसे…
सुशासन की नाक के नीचे स्लीपर सेल
- 20 जुलाई 2006- ये वो दिन था जब बिहार के मधुबनी से मो. कमाल नाम के एक शख्स को एक स्पेशल टीम ने दबोच लिया। पता चला कि ये वही कमाल है जिस पर मुंबई लोकल ट्रेन में ब्लास्ट का आरोप था।
- 2 जनवरी 2008- मधुबनी से ही सबाऊद्दीन नाम के शख्स को यूपी से आई एक खास टीम ने अपने कब्जे में ले लिया। हड़कंप मच गया, लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मामला क्या है। लेकिन थोड़ी ही देर में सब साफ हो गया। पता चला कि जिस सबाऊद्दीन को गिरफ्तार किया गया उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश के रामपुर सीआरपीएफ कैंप में ब्लास्ट से जुड़ा आरोप था।
- 21 फरवरी 2012- इस तारीख को दरभंगा जिले के शिवधारा से एक संदिग्ध कफील अहमद को पुलिस ने दबोच लिया। कफील को बदनाम आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का उस्ताद यानि मेंटॉर बताया गया था। आरोप था कि कफील अहमद ही वो शख्स था जो नौजवानों को गुमराह कर उनका ब्रेनवॉश कर रहा था।
- 21 जनवरी 2013- दरभंगा के ही लहेरियासराय से आतंकी हमले की साजिश रचने वाले दानिश अंसारी को पुलिस ने दबोच लिया था। उसपर आतंकी हमले की साजिश का आरोप था। यही नहीं आरोप था कि दानिश इंडियन मुजाहिदीन के सरगना यासीन भटकल का बेहद करीबी था।
जब बिहार से दबोचा गया सबसे खूंखार आतंकी
- 28 अगस्त 2013- इस दिन को तो भूलना मुश्किल है। हालांकि ये थी तो एक बड़ी कामयाबी लेकिन इससे ये भी पता चल गया था कि बिहार आतंक का सेफ हैवेन बन गया है। इसी दिन पूर्वी चंपारण के पास बिहार-नेपाल बॉर्डर से इंडियन मुजाहिदीन के खूंखार आतंकी यासीन भटकल को दबोचा गया था। वो बिहार से नेपाल निकलने की फिराक में था। लेकिन बिहार पुलिस ने उसे बॉर्डर पार करने से पहले ही दबोच लिया।
- अगस्त 2019- इसी महीने में बिहार में गया जिले से बांग्लादेशी आतंकी संगठन JMM के मेंबर को गिरफ्तार किया गया। उसके ठीक कुछ महीने पहले गुजरात ब्लास्ट के आरोपी तौसीफ की गिरफ्तारी गया से ही की गई थी। तौसीफ तो कई साल से टीचर बनकर गया जिले में छिपा हुआ था। लेकिन एक साइबर कैफे मालिक को उसके हुलिए पर शक हो गया और वो दबोच लिया गया।
- फरवरी 2021- इस महीने बिहार में छपरा से रिटायर टीचर महफूज अंसारी का बेटे जावेद को पुलिस ने दबोचा था। जावेद पर लगे आरोप भी काफी संगीन थे। उस पर जम्मू-कश्मीर के आतंकियों को हथियार सप्लाई करने का आरोप था।
जानिए आतंक के वायरस के बिहार में पसरने की वजह
पटना में इस तरह के मामलों के मशहूर एक्सपर्ट डॉक्टर संजय कुमार के मुताबिक ‘इसमें जो सबसे अहम बात है वो ये कि ये पूरी तरह से स्टेट इंटेलीजेंस की नाकामी है। दूसरी बात ये कि बिहार का बॉर्डर नेपाल और बांग्लादेश से मिलता है जो राज्य सरकार बखूबी जानती है। उसके बाद भी सीमांचल के इलाकों में सरकार ने अपने इंटेलीजेंस सोर्स का वैसा नेटवर्क नहीं बनाया जो होना चाहिए। तीसरी चीज ये कि वोट की राजनीति कभी-कभी नेताओं को आंखे मूंदने पर मजबूर कर देता है कि ताकि एक समुदाय विशेष की नाराजगी न झेलनी पड़े।’
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ये आंकड़े बता रहे सच
2006 से पहले न तो बिहार में इतने बड़े आतंकी पकड़े गए थे और ना ही कोई आतंकी हमला हुआ था। इससे पहले बिहार का एक बच्चा आतंकवाद की चिड़िया तक का नाम नहीं जानता था। फिर आखिर कैसे सुशासन की नाक के नीचे आतंक के दरभंगा मॉड्यूल से महाबोधि मंदिर और पटना सीरियल ब्लास्ट तक हो गए? आखिर कमी कहां थी? एक्सपर्ट की राय के हिसाब से बिहार सरकार को आतंकी मॉड्यूल को तोड़ने के लिए अभी सबसे ज्यादा जरूरत नेटवर्क मजबूत करने की है।