तीसरी लहर के पीक में रोज आएंगे 60 से 65 हजार कोविड केस! जानें, क्या है डेल्टा थमने का अनुमान
हाइलाइट्स
- IIT प्रफेसर मणींद्र अग्रवाल ने सूत्र मॉडल से जताया अनुमान
- नए कोविड वेरिएंट आने पर हर्ड इम्यूनिटी 80 % पर आएगी
- डेटा उपलब्ध- ‘वायरस बच्चों को गंभीर रूप से बीमार नहीं करता’
प्रवीण मोहता. कानपुर
आईआईटी कानपुर के प्रफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कहा है कि कोविड की तीसरी लहर के बारे में एक महीने पहले किए गए आकलन में कोई बदलाव नहीं आया है। अगस्त के मध्य तक सारी पाबंदियां हटाई गईं तो अक्टूबर-नवंबर में कोरोना की तीसरी लहर पीक पर पहुंच सकती है। वायरस ने रूप नहीं बदला तो हर दिन अधिकतम 60-65 हजार केस आने की आशंका है। दूसरी तरफ केरल में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां हटा ली जाएं तो अगस्त के मध्य में वहां 25 हजार केसों के साथ पीक आ जाएगा।
अगर संभले तो निकल जाएगी
अपने गणितीय मॉडल से महामारी के बारे में सटीक आकलन करने वाले प्रफेसर अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने हाल-फिलहाल कोई नई भविष्यवाणी नहीं की है। कई राज्यों में सुधरते हालात के बीच सामाजिक मेल-मिलाप पर पाबंदियां खत्म हो रही हैं। अगस्त के मध्य तक सारी पाबंदियां हटने और वायरस की पहुंच बढ़ने को आधार बनाकर मॉडल में शामिल किया गया तो नतीजा मिला कि अक्टूबर-नवंबर तक तीसरी लहर का पीक आएगा। लहर झटके की तरह निकल जाएगी।
75% संक्रमण पर थमेगा डेल्टा
वायरस के मूल स्वरूप में सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्यूनिटी) का मानक 65 प्रतिशत आबादी में सीरो पॉजिटिविटी मानी गई। डेल्टा वेरिएंट की संक्रामकता के बाद हर्ड इम्यूनिटी 75 फीसदी पर मानी गई। भारत 70 प्रतिशत के आसपास पहुंच चुका है, इसलिए ही कहा जा रहा है कि तीसरी लहर पहली के मुकाबले हल्की होगी। वायरस का नए वेरिएंट आने पर हर्ड इम्यूनिटी 80 प्रतिशत पर आएगी। इसके अलावा वैक्सिनेशन भी एक बड़ा फैक्टर है।
बढ़त-घटत का मतलब नहीं
दिल्ली में बीते 2-3 दिनों में नए केसों में मामूली बढ़ोतरी को तीसरी लहर से जोड़े जाने पर उन्होंने कहा, ऐसे लोगों को सांख्यिकीय की साधारण समझ नहीं है। 20-50 केसों का घटना-बढ़ना बड़ी बात नहीं है। रिपोर्टिंग के दौरान कई बार नंबर ऊपर-नीचे हो जाते हैं। केस बढ़कर 150-200 के स्तर पर आएं तो गंभीर होना पड़ेगा। री-प्रॉडक्शन और रीच का बढ़ना 1-2 दिन में तय नहीं होता है।
पाबंदी हल्की करे केरल
केरल में लगातार बढ़ रहे केसों पर उन्होंने कहा कि सरकार को अब पाबंदियों को हल्का करना चाहिए। इससे अगस्त के मध्य में 25 हजार केसों के साथ राज्य पीक पर पहुंच जाएगा। लॉकडाउन जैसी पाबंदियां जारी रहीं तो आंकड़े 18-20 हजार के आसपास घूमते रहेंगे। पूर्वोत्तर के राज्यों में संभावित पीक के आकलन के लिए सबसे अहम जरूरत सीरो सर्वे है। इन राज्यों की सर्वे रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। मणिपुर सरकार ने वादा किया है कि वे जल्द रिपोर्ट देंगे।
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‘वायरस बच्चों को गंभीर रूप से बीमार नहीं करता’
उत्तर प्रदेश में 16 अगस्त से चरणबद्ध तरीके से स्कूल-कॉलेज खोलने के राज्य सरकार के फैसले को प्रफेसर ने सही ठहराया। उन्होंने कहा, प्रदेश में सीरो-पॉजिटिविटी 72-73 प्रतिशत है। वायरस बच्चों को गंभीर रूप से बीमार नहीं करता है। इसके समर्थन में पर्याप्त डेटा उपलब्ध है। राष्ट्रीय सर्वे में बच्चों में बड़ों के बराबर ही सीरो-पॉजिटिविटी मिली है। खतरा इस बात का है कि वे बीमारी घर न ले आएं, लेकिन समझना होगा कि वयस्कों में भी काफी हद तक हर्ड इम्यूनिटी आ गई है। टीकाकरण भी जारी है।
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‘दिसंबर तक वयस्कों को कम से कम एक डोज’
वैक्सिनेशन की मौजूदा रफ्तार पर उन्होंने कहा कि यह उत्पादन पर निर्भर है। वैक्सीन निर्माण के लिए काफी प्रयास हुए हैं। अगस्त-सितंबर में क्रमश: 18 करोड़ और 25-30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगेगी। उम्मीद है कि दिसंबर तक वयस्कों को वैक्सीन की न्यूनतम एक डोज लग जाएगी।
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हाइलाइट्स
- IIT प्रफेसर मणींद्र अग्रवाल ने सूत्र मॉडल से जताया अनुमान
- नए कोविड वेरिएंट आने पर हर्ड इम्यूनिटी 80 % पर आएगी
- डेटा उपलब्ध- ‘वायरस बच्चों को गंभीर रूप से बीमार नहीं करता’
आईआईटी कानपुर के प्रफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कहा है कि कोविड की तीसरी लहर के बारे में एक महीने पहले किए गए आकलन में कोई बदलाव नहीं आया है। अगस्त के मध्य तक सारी पाबंदियां हटाई गईं तो अक्टूबर-नवंबर में कोरोना की तीसरी लहर पीक पर पहुंच सकती है। वायरस ने रूप नहीं बदला तो हर दिन अधिकतम 60-65 हजार केस आने की आशंका है। दूसरी तरफ केरल में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां हटा ली जाएं तो अगस्त के मध्य में वहां 25 हजार केसों के साथ पीक आ जाएगा।
अगर संभले तो निकल जाएगी
अपने गणितीय मॉडल से महामारी के बारे में सटीक आकलन करने वाले प्रफेसर अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने हाल-फिलहाल कोई नई भविष्यवाणी नहीं की है। कई राज्यों में सुधरते हालात के बीच सामाजिक मेल-मिलाप पर पाबंदियां खत्म हो रही हैं। अगस्त के मध्य तक सारी पाबंदियां हटने और वायरस की पहुंच बढ़ने को आधार बनाकर मॉडल में शामिल किया गया तो नतीजा मिला कि अक्टूबर-नवंबर तक तीसरी लहर का पीक आएगा। लहर झटके की तरह निकल जाएगी।
75% संक्रमण पर थमेगा डेल्टा
वायरस के मूल स्वरूप में सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्यूनिटी) का मानक 65 प्रतिशत आबादी में सीरो पॉजिटिविटी मानी गई। डेल्टा वेरिएंट की संक्रामकता के बाद हर्ड इम्यूनिटी 75 फीसदी पर मानी गई। भारत 70 प्रतिशत के आसपास पहुंच चुका है, इसलिए ही कहा जा रहा है कि तीसरी लहर पहली के मुकाबले हल्की होगी। वायरस का नए वेरिएंट आने पर हर्ड इम्यूनिटी 80 प्रतिशत पर आएगी। इसके अलावा वैक्सिनेशन भी एक बड़ा फैक्टर है।
बढ़त-घटत का मतलब नहीं
दिल्ली में बीते 2-3 दिनों में नए केसों में मामूली बढ़ोतरी को तीसरी लहर से जोड़े जाने पर उन्होंने कहा, ऐसे लोगों को सांख्यिकीय की साधारण समझ नहीं है। 20-50 केसों का घटना-बढ़ना बड़ी बात नहीं है। रिपोर्टिंग के दौरान कई बार नंबर ऊपर-नीचे हो जाते हैं। केस बढ़कर 150-200 के स्तर पर आएं तो गंभीर होना पड़ेगा। री-प्रॉडक्शन और रीच का बढ़ना 1-2 दिन में तय नहीं होता है।
पाबंदी हल्की करे केरल
केरल में लगातार बढ़ रहे केसों पर उन्होंने कहा कि सरकार को अब पाबंदियों को हल्का करना चाहिए। इससे अगस्त के मध्य में 25 हजार केसों के साथ राज्य पीक पर पहुंच जाएगा। लॉकडाउन जैसी पाबंदियां जारी रहीं तो आंकड़े 18-20 हजार के आसपास घूमते रहेंगे। पूर्वोत्तर के राज्यों में संभावित पीक के आकलन के लिए सबसे अहम जरूरत सीरो सर्वे है। इन राज्यों की सर्वे रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। मणिपुर सरकार ने वादा किया है कि वे जल्द रिपोर्ट देंगे।
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‘वायरस बच्चों को गंभीर रूप से बीमार नहीं करता’
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वैक्सीनेशन में अव्वल रहा केरल, फिर भी क्यों तेजी से बढ़ रहे केस?
‘दिसंबर तक वयस्कों को कम से कम एक डोज’
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