तिहाड़ टू चंपारण! ‘कालिया’ की एंट्री से मुकेश पाठक गैंग में खलबली, उत्तर बिहार की धरती फिर होगी लाल?
सीतामढ़ी: उत्तर बिहार के चर्चित अपराधियों में एक नाम मुकेश पाठक का भी रहा है। भले ही गांधी की कर्मभूमि पूर्वी चंपारण जिले की धरती पर पाठक का जन्म हुआ, पर उसके अपराध की दुनिया का कर्मक्षेत्र चंपारण के आलावा शिवहर, सीतामढ़ी और दरभंगा की धरती विशेष तौर पर रही है। नक्सली से गैंगस्टर बने संतोष झा के साथ रहकर पाठक ने विभिन्न जिलों में कई आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया था। कई आपराधिक वारदातों की प्राथमिकी में पाठक का नाम शामिल है।
वसूली के पैसे को लेकर अदावत
कहा जाता है कि संतोष झा और उसके गैंग की नजर कभी विशेष कर कंस्ट्रक्शन कंपनियों पर रहती है। वह लेवी/रंगदारी वसूला करता था। इससे वह अकूत धन जमा कर लिया था। तब मुकेश भी संतोष झा के साथ था। संतोष झा रंगदारी में मिले पैसे से विभिन्न जिलों में जमीन खरीदना शुरू कर दिया। वह विभिन्न कार्यों में पूंजी फंसाने लगा। जानकर कहते हैं कि गैंग में एक अहम स्थान रखने के बावजूद मुकेश को वह आमदनी नहीं हो पाती थी, जिसकी उसे अपेक्षा थी।
पाठक ने बनाया अपना गैंग
वर्ष 2018 में सीतामढ़ी सिविल कोर्ट परिसर में दिन के उजाले में गोली मारकर संतोष झा की हत्या कर दी गई थी। तब यह कहा गया था कि संतोष हत्याकांड में मुकेश पाठक का ही हाथ है। उस दौरान संतोष के गैंग से पाठक अलग हो चुका था। इसी कारण पाठक पर अधिक शंका की जा रही थी। इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो पुलिस ही बता सकती है, लेकिन यह भी सच है कि संतोष झा के गैंग के सदस्य संतोष झा की हत्या के लिए मुख्य दोषी पाठक को ही मानते रहे हैं। संतोष के हत्या के बाद से ही इसके गैंग के हिटलिस्ट में मुकेश है। फिलहाल पाठक भागलपुर केंद्रीय कारा में है। इसी कारण संतोष झा का गुट उसका तो कुछ नहीं बिगाड़ सका है, लेकिन उसके गैंग के अन्य सदस्यों पर उसकी पैनी नजर है।
मुकेश पाठक गैंग का सदस्य था ओमप्रकाश सिंह
शनिवार की सुबह चंपारण की धरती पर गोलियों से हत्या के शिकार बने ओमप्रकाश सिंह को पाठक के गैंग का सदस्य बताया जा रहा है। इस बात का खुलासा खुद संतोष झा गैंग के प्रवक्ता राज झा ने मीडिया में जारी बयान के माध्यम से किया है। सभी लोगों को बस इतना ही मालूम था कि मौत के शिकार बने ओमप्रकाश बिजली विभाग में संवेदक का काम करता था। राज झा ने बयान से उसके दूसरे रूप यानी पाठक के करीबी होने और संतोष झा की हत्या के लिए आर्म्स मुहैया कराने में सहयोग करने की भूमिका का खुलासा किया है।
तिहाड़ जेल में कैद है ‘कालिया’
जानकारों का कहना है कि संतोष झा की हत्या के बाद उसके गैंग का संचालन विकास झा उर्फ कालिया करने लगा, जो वर्षों से दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है। वह सीतामढ़ी के बथनाहा थाना क्षेत्र के माधोपुर गांव का रहने वाला है। इधर, मुकेश पाठक अपने गैंग के संचालन की चाबी अपने ही हाथ में रखे हुए है। कहा जा रहा है कि भले ही कालिया तिहाड़ में कैद है, लेकिन उसके गैंग के सदस्य उसके लिए अब भी काम करते हैं। उसके एक इसारे पर गैंग के सदस्य घटना को अंजाम देने से पीछे नहीं हटते हैं। कालिया के जेल में बंद रहने के बाद कई लोगों की हत्याएं हुई है और उसमें विकास झा उर्फ कालिया के गैंग का नाम आया था। यानी कालिया का गैंग सक्रिय है। संभव है ओमप्रकाश सिंह की हत्या में उसका हाथ हो।
72 घंटे का समय सीमा तय
ओमप्रकाश की हत्या से भी यह स्पष्ट हो गया है कि संतोष झा की हत्या के बाद भी उसका गैंग सुस्त नहीं पड़ा है, बल्कि अपराध जगत में सक्रिय है। इसी से आशंका व्यक्त की जा रही है कि मुकेश पाठक और विकास झा के गैंग में एक बार फिर गैंगवार छिड़ सकती है। जानकर यहां तक कह रहे हैं कि मुकेश पाठक गैंग ने ओमप्रकाश की हत्या का बदला लेने के लिए अपने बीच 72 घंटे का समय-सीमा तय किया है।
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वसूली के पैसे को लेकर अदावत
कहा जाता है कि संतोष झा और उसके गैंग की नजर कभी विशेष कर कंस्ट्रक्शन कंपनियों पर रहती है। वह लेवी/रंगदारी वसूला करता था। इससे वह अकूत धन जमा कर लिया था। तब मुकेश भी संतोष झा के साथ था। संतोष झा रंगदारी में मिले पैसे से विभिन्न जिलों में जमीन खरीदना शुरू कर दिया। वह विभिन्न कार्यों में पूंजी फंसाने लगा। जानकर कहते हैं कि गैंग में एक अहम स्थान रखने के बावजूद मुकेश को वह आमदनी नहीं हो पाती थी, जिसकी उसे अपेक्षा थी।
पाठक ने बनाया अपना गैंग
वर्ष 2018 में सीतामढ़ी सिविल कोर्ट परिसर में दिन के उजाले में गोली मारकर संतोष झा की हत्या कर दी गई थी। तब यह कहा गया था कि संतोष हत्याकांड में मुकेश पाठक का ही हाथ है। उस दौरान संतोष के गैंग से पाठक अलग हो चुका था। इसी कारण पाठक पर अधिक शंका की जा रही थी। इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो पुलिस ही बता सकती है, लेकिन यह भी सच है कि संतोष झा के गैंग के सदस्य संतोष झा की हत्या के लिए मुख्य दोषी पाठक को ही मानते रहे हैं। संतोष के हत्या के बाद से ही इसके गैंग के हिटलिस्ट में मुकेश है। फिलहाल पाठक भागलपुर केंद्रीय कारा में है। इसी कारण संतोष झा का गुट उसका तो कुछ नहीं बिगाड़ सका है, लेकिन उसके गैंग के अन्य सदस्यों पर उसकी पैनी नजर है।
मुकेश पाठक गैंग का सदस्य था ओमप्रकाश सिंह
शनिवार की सुबह चंपारण की धरती पर गोलियों से हत्या के शिकार बने ओमप्रकाश सिंह को पाठक के गैंग का सदस्य बताया जा रहा है। इस बात का खुलासा खुद संतोष झा गैंग के प्रवक्ता राज झा ने मीडिया में जारी बयान के माध्यम से किया है। सभी लोगों को बस इतना ही मालूम था कि मौत के शिकार बने ओमप्रकाश बिजली विभाग में संवेदक का काम करता था। राज झा ने बयान से उसके दूसरे रूप यानी पाठक के करीबी होने और संतोष झा की हत्या के लिए आर्म्स मुहैया कराने में सहयोग करने की भूमिका का खुलासा किया है।
तिहाड़ जेल में कैद है ‘कालिया’
जानकारों का कहना है कि संतोष झा की हत्या के बाद उसके गैंग का संचालन विकास झा उर्फ कालिया करने लगा, जो वर्षों से दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है। वह सीतामढ़ी के बथनाहा थाना क्षेत्र के माधोपुर गांव का रहने वाला है। इधर, मुकेश पाठक अपने गैंग के संचालन की चाबी अपने ही हाथ में रखे हुए है। कहा जा रहा है कि भले ही कालिया तिहाड़ में कैद है, लेकिन उसके गैंग के सदस्य उसके लिए अब भी काम करते हैं। उसके एक इसारे पर गैंग के सदस्य घटना को अंजाम देने से पीछे नहीं हटते हैं। कालिया के जेल में बंद रहने के बाद कई लोगों की हत्याएं हुई है और उसमें विकास झा उर्फ कालिया के गैंग का नाम आया था। यानी कालिया का गैंग सक्रिय है। संभव है ओमप्रकाश सिंह की हत्या में उसका हाथ हो।
72 घंटे का समय सीमा तय
ओमप्रकाश की हत्या से भी यह स्पष्ट हो गया है कि संतोष झा की हत्या के बाद भी उसका गैंग सुस्त नहीं पड़ा है, बल्कि अपराध जगत में सक्रिय है। इसी से आशंका व्यक्त की जा रही है कि मुकेश पाठक और विकास झा के गैंग में एक बार फिर गैंगवार छिड़ सकती है। जानकर यहां तक कह रहे हैं कि मुकेश पाठक गैंग ने ओमप्रकाश की हत्या का बदला लेने के लिए अपने बीच 72 घंटे का समय-सीमा तय किया है।