तबादलों का प्रेशर- ज्यादातर मंत्री आयोजन और अभियान में 17 सितंबर से रहे व्यस्त | pressure of transfers in MP , the minister-officer entangled in tussle | Patrika News

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तबादलों का प्रेशर- ज्यादातर मंत्री आयोजन और अभियान में 17 सितंबर से रहे व्यस्त | pressure of transfers in MP , the minister-officer entangled in tussle | Patrika News

तबादलों का प्रेशर- ज्यादातर मंत्री आयोजन और अभियान में 17 सितंबर से रहे व्यस्त | pressure of transfers in MP , the minister-officer entangled in tussle | Patrika News

मंत्रियों के बंगलों के चक्कर काट-काटकर कर्मचारी व उनके परिजन भी काफी परेशान हुए, क्योंकि अधिकतर मंत्री भोपाल में कम ही रुके हैं। इस कारण अब तबादलों की डेडलाइन खत्म होने के बाद बैकडेट या तारीख बढ़ाने का विकल्प ही बचता है।

इस तरह रही व्यस्तता
राज्य सरकार ने 17 सितंबर से 5 अक्टूबर तक के लिए तबादलों से प्रतिबंध हटाया था। इस बार व्यस्तता ऐसी रही कि 17 सितंबर को कूनो में पीएम नरेंद्र मोदी चीतों को छोडऩेे आए थे। इस कारण पहले दिन तबादलों पर कोई काम नहीं हुआ।

इसके बाद सीएम जनसेवा अभियान, पीएम मोदी का जन्मोत्सव, पचमढ़ी, उज्जैन व रातापानी में बैठकें और 46 निकायों के चुनाव सहित अन्य कामों में मंत्री व्यस्त रहे। अब 11 अक्टूबर को फिर पीएम नरेंद्र मोदी उज्जैन में महाकाल लोक के उद्घाटन के लिए आ रहे हैं। इस कारण भी व्यस्तता बनी ही रही।

भोपाल में नहीं रुके ज्यादातर मंत्री
इस दौरान अधिकतर मंत्री भोपाल में कम ही रुके। तबादलों के लिए तय समय में जो मंत्री भोपाल में ज्यादा रहे, उनमें नरोत्तम मिश्रा, विश्वास सारंग, भूपेंद्र सिंह, कमल पटेल, प्रभुराम चौधरी आदि हैं। जबकि अधिकतर मंत्री आते-जाते रहे। वहीं कुछ मंत्री तो लगभग गायब ही रहे।

बड़े विभागों में ज्यादा दिक्कतें
सबसे ज्यादा दिक्कत बड़े विभागों में हैं, क्योंकि यहां के कर्मचारी तबादलों के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन मंत्रियों से मुलाकात तक नहीं हो पाई। बड़े विभागों में स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, ग्रामीण विकास, बिजली और नगरीय प्रशासन जैसे विभाग हैं।

तबादलों पर रस्साकशी
कुछ विभाग ऐसे हैं, जहां पर मंत्री मनपसंद तबादलों के चक्कर में अफसरों से पटरी नहीं बैठा पा रहे हैं। मसलन, उच्च शिक्षा में बड़ी संख्या में तबादले होने हैं, लेकिन यहां सूचियां अटक रही हैं। मंत्री मोहन यादव लगातार उज्जैन में रहे हैं। उस पर एसीएस शैलेंद्र सिंह से उनकी पटरी नहीं बैठ रही। शैलेंद्र सिंह नवंबर में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। वे बेहद सख्त अफसरों में माने जाते हैं, जिसके चलते मंत्री की पटरी नहीं बैठ रही। इससे पूर्व जब बीते साल तबादले खुले थे, तब उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव के ओएसडी के पैसे मांगने का कथित मामले की शिकायत भाजपा संगठन तक पहुंच गई थी। इस बार भी उच्च शिक्षा में रस्साकशी मची है।

इतने होने हैं तबादले –
200 कर्मचारियों तक – 20 प्रतिशत तबादले
201 से 2000 कर्मचारियों तक – 10 प्रतिशत तबादले
2000 से ज्यादा कर्मचारी होने पर- 05 प्रतिशत तबादले



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