ढाई साल में कूड़े के पहाड़ को खत्म करेंगे, विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने किए बड़े वादे, पढ़ें एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

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ढाई साल में कूड़े के पहाड़ को खत्म करेंगे, विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने किए बड़े वादे, पढ़ें एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

ढाई साल में कूड़े के पहाड़ को खत्म करेंगे, विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने किए बड़े वादे, पढ़ें एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

एमसीडी चुनाव में दिल्ली की तीनों प्रमुख पार्टियां जीत के दावे कर रही हैं। बीजेपी के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ एमसीडी में अपनी सत्ता बचानी है, तो दूसरी तरफ 15 साल में एमसीडी में किए गए कामों के बारे में भी जनता को बताना है। इसमें पार्टी कितनी सफल हो पाएगी और अगर बीजेपी दोबारा सत्ता में आती है, तो उसकी क्या प्राथमिकताएं होंगी, इस बारे में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी से बातचीत की सुदामा यादव नेः

आज चुनाव प्रचार खत्म होने वाला है। आपका आंकलन क्या कहता है?

बीजेपी चौथी बार एमसीडी में सरकार बनाने जा रही है। हमें 200 के आस-पास सीटें मिलने वाली हैं। मुख्यमंत्री कूड़े का पहाड़ दिखाकर बीजेपी को घेरना चाहते हैं। पर ये कूड़े का पहाड़ तो तभी बना ना, जब हमने घर-घर से कूड़ा उठाया। मगर ये तो कहते हैं कि हमने कुछ किया ही नहीं।

मतलब आप मान रहे हैं कि ये कूड़े के पहाड़ आपने बनाए?

हमने जानबूझकर नहीं बनाए। अगर सही तरीके से कूड़ा उठेगा, तो उसे कहीं तो ले जाकर डालना ही पड़ेगा। इसी वजह से कुछ जगहों पर कूड़ा इकट्ठा हुआ। दिक्कत यह रही पहले कूड़े के निपटारे के लिए या तो अच्छी तकनीकों का अभाव था या उनकी लागत बहुत ज्यादा थी। उन्हें अपनाने में कई तरह की दूसरी चुनौतियां भी थीं। कूड़े के निपटारे की उन्नत तकनीकें पिछले कुछ सालों में भारत में तेजी से विकसित हुईं, जिन्हें एमसीडी ने भी हाथोंहाथ अपनाया। कूड़े के पहाड़ पर मशीनें लगाकर उसका तेजी से वहीं पर निपटारा भी किया जा रहा है। अगले ढाई सालों में हम कूड़े के इन पहाड़ों को पूरी तरह से खत्म कर देंगे।

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आप 15 सालों से एमसीडी की सत्ता में रहे, 8 साल से केंद्र में भी आपकी सरकार है। फिर यह काम पहले क्यों नहीं हो पाया?

कूड़े के पहाड़ खत्म करने में फंड की समस्या थी। तीनों एमसीडी को फंड दिल्ली सरकार को देना था, लेकिन केजरीवाल सरकार ने कभी पर्याप्त फंड नहीं दिया। बजट ही नहीं होगा, तो काम कैसे किया जाएगा। दिल्ली सरकार को एमसीडी के 32 हजार करोड़ रुपये देने हैं, लेकिन ये पैसा अभी तक भी नहीं दिया है। शीला दीक्षित की सरकार में ऐसी दिक्कतें नहीं आती थीं, इसलिए उस समय काफी काम हुए। मगर अब ऐसी समस्या नहीं आने वाली। केंद्र सरकार ने तीनों एमसीडी को एक कर दिया है, जिससे ये अड़चनें दूर हो जाएंगी और सीधे फंड मिला करेगा।

केंद्र सरकार निगमों को डायरेक्ट फंड दे ही नहीं सकती। फिर कैसे होगा ये सब?

केंद्र सरकार कानून बनाकर इसका प्रावधान कर सकती है। अंडमान-निकोबार में भी तो केंद्र सरकार ही डायरेक्ट लोकल बॉडी को फंड्स देती है। पार्लियामेंट का काम ही कानून बनाना है। अगर किसी राज्य में ऐसी दिक्कत आ रही है कि राज्य सरकार नगर निगम को पैसा नहीं दे रही है, तो केंद्र सरकार कानून बनाकर उसका हल निकाल सकती है। यहां भी ऐसा संभव है। पार्लियामेंट में एमसीडी एक्ट के संशोधन से यहां पर भी ऐसा करना संभव है। इसके बाद तो एमसीडी को डायरेक्ट फंड उपलब्ध कराने में कोई अड़चन ही नहीं रहेगी।

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एकीकरण के वक्त केंद्र सरकार ने यह प्रावधान क्यों नहीं किया?

हमें उम्मीद है कि एकीकरण के बाद निगम की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और फंड्स को लेकर दिल्ली सरकार पर निर्भरता कम होगी। अगर दिक्कत आती है, तो केंद्र सरकार आगे के प्रावधानों पर विचार कर सकती है।

चुनाव प्रचार में इतने सारे मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और बड़े-बड़े नेता क्यों उतारने पड़ रहे हैं?

लोग आम आदमी पार्टी को पसंद ही नहीं कर रहे हैं। उनका जनरल ही मैदान छोड़कर भाग गया। आम आदमी पार्टी को मालूम था कि उनकी जनसभाएं फ्लॉप होंगी, तभी तो उन्होंने अभी तक कोई बड़ी जनसभा नहीं की और लोगों के सवालों से बचते रहे। वहीं हमने बदरपुर में एक छोटी सी जगह पर हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सभा की, तो उसमें 10 हजार लोग आ गए। हम हर चुनाव पूरी मजबूती से लड़ते हैं। 2017 में भी इसी तरह से चुनाव लड़ा था। अरविंद केजरीवाल तो तब भी शिकायत कर रहे थे। हम तो अपने प्रधानमंत्री के नाम और काम पर भी वोट मांगेंगे। उसमें हर्ज क्या है।

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चौथी बार सत्ता में आते हैं, तो आपकी क्या प्राथमिकताएं रहेंगी?

सबसे पहला काम तो कूड़े के पहाड़ को खत्म करना है। इसके लिए पार्टी के सीनियर नेता अमित शाह ने डेडलाइन तय कर दी है। हम ढाई साल में कूड़े के पहाड़ों को खत्म करेंगे। इसके अलावा बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नई डिस्पेंसरियां खोली जाएंगी। नई भर्तियां की जाएंगी। 100 वर्ग गज के मकानों का नक्शा पास कराने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। एमसीडी में जो बार-बार भ्रष्टाचार का मुद्दा आता है, उसे पूरी तरह से खत्म करना भी हमारी प्राथमिकता है।

बहुत सारे दावेदार, जिनके टिकट कट गए, वो अब बागी होकर आप ही के उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं? इससे नुकसान होगा?

ऐसे कुछ लोग थे शुरुआत में, लेकिन अब वो मान गए हैं और पार्टी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग, जो पार्टी विरोधी गतिविधियों में लगे हुए थे, ऐसे 10-11 को पार्टी से निष्कासित भी किया गया है। तो अब पर ऐसी कोई समस्या नहीं है।

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