डॉक्टर साहब, फल काट रहा था हाथ में कट लग गया… श्रद्धा के शव के टुकड़े करने के बाद अस्पताल गया था आफताब

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डॉक्टर साहब, फल काट रहा था हाथ में कट लग गया… श्रद्धा के शव के टुकड़े करने के बाद अस्पताल गया था आफताब

डॉक्टर साहब, फल काट रहा था हाथ में कट लग गया… श्रद्धा के शव के टुकड़े करने के बाद अस्पताल गया था आफताब

नई दिल्ली: 26 साल की श्रद्धा वाकर हत्याकांड में पुलिस उस डॉक्टर तक पहुंच गई है जिसने आफताब अमीन पूनावाला के दाहिने हाथ पर लगे घाव का इलाज किया था। दरअसल, अपनी लिव-इन पार्टनर के शव के 36 टुकड़े करते समय आफताब के हाथ में भी चाकू के घाव लगे थे। मई के आखिरी हफ्ते में वह डॉक्टर के पास इलाज के लिए गया था। उसके हाथ में 5-6 टांके लगाने पड़े थे। पुलिस जब आफताब के घर की तलाशी कर रही थी तभी डॉक्टर की एक पर्ची मिली जिसके बाद यह बात पता चली। पुलिस ने डॉक्टर का बयान ले लिया है और अब वह केस में मुख्य गवाह माने जा रहे हैं। पुलिस अब आफताब के नार्को टेस्ट के लिए अदालत जाने वाली है क्योंकि वह सवालों के गोलमोल जवाब दे रहा है। पुलिस को शक है कि उसने सोची-समझी साजिश के तहत हत्या की है।

हां, मुझे अच्छे से याद है वह दिन। 18 मई की सुबह करीब 11 बजे होंगे। जब वह (आफताब अमीन) मेरे हॉस्पिटल आया था। उसके दाएं हाथ में दो-तीन इंच लंबा कट लगा था। खून निकल रहा था। लग रहा था कि जैसे तेज धार वाले किसी चाकू जैसे हथियार से कटा है। उसके 5-6 टांके लगाए गए थे।

अपेक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर अनिल कुमार सिंह

दिल्ली आना प्लान का हिस्सा
एक जांचकर्ता ने बताया, ‘मर्डर केस में अब तक की जांच में पता चला है कि हो सकता है अचानक दिल्ली शिफ्ट होना आफताब के प्लान का हिस्सा हो। दोनों के छतरपुर फ्लैट में शिफ्ट होने के महज 3-4 दिन बाद ही श्रद्धा की हत्या हो गई।’ छतरपुर स्थित अपेक्स हॉस्पिटल के डॉ. अनिल सिंह ने बताया कि मई में आफताब अस्पताल में आया था, उसके हाथ पर कट के निशान थे। उन्होंने कहा, ‘वह अंग्रेजी में बोल रहा था और काफी आक्रामक और हाइपर लग रहा था। वह तेज आवाज में और लगातार बातें कर रहा था। आमतौर पर ऐसे मरीज नहीं होते हैं लेकिन वह कुछ अलग था।’ डॉक्टर ने बताया कि उन्होंने आफताब के हाथ पर 5-6 टांके लगाए थे। जब डॉक्टर ने पूछा कि हाथ में जख्म कैसे लगा, तो उसने कहा था कि फल काटते समय चाकू फिसल गई और हाथ में लग गया। डॉक्टर ने पूछा था कि कोई झगड़ा तो नहीं हुआ तो उसने ‘ना ना’ कहा था।

ना तो वह दर्द से करा रहा था और ना ही उसने जरा सी भी उफ की थी। वह बहुत अच्छे से इंग्लिश बोल रहा था और पूरे वक्त उसने मेरी आंखों में आंखें डालकर बड़े ही कॉन्फिडेंस से बात की थी। उस वक्त मुझे एक पल भी ऐसा नहीं लगा कि वह किसी लड़की की हत्या कर उसके शव के टुकड़े-टुकड़े करके यहां आया है।

आफताब के हाथ में टांके लगाने वाले डॉक्टर

टांके लगाते वक्त भी दर्द नहीं
डॉक्टर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि 18 मई की सुबह मेरे स्टाफ ने बताया कि इमरजेंसी में एक पेशेंट आया है। उसके हाथ में कट लगा है। उसके टांके लगाने हैं। वह उसके पास पहुंचे। उसकी बांह में कट लगा था और खून बह रहा था। उससे पूछा कि कैसे कट लग गया तो उसने बताया कि घर पर फल काटते हुए चाकू लग गया। डॉक्टर ने बताया कि उन्हें भी उसकी बातों पर भरोसा हो गया। वह शुरू से ही इंग्लिश बोल रहा था। उन्होंने उससे हिंदी में बात की, तो भी वह इंग्लिश में ही बात करना पसंद कर रहा था। वह फर्राटेदार इंग्लिश बोल रहा था। टांके लगाते वक्त भी वह दर्द महसूस नहीं कर रहा था। एक बार को उन्हें यह कुछ अजीब भी लगा, लेकिन फिर लगा कि वह मजबूत दिल वाला होगा। इसलिए इतना कट लगने के बाद टांके लगते वक्त उफ्फ तक नहीं कर रहा है।

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देखने में वह थोड़ा अजीब व्यवहार जरूर कर रहा था, लेकिन यह शक वाला नहीं था। शुरू में जब वह हॉस्पिटल आया तो बैठा नहीं। खड़ा ही रहा। वह डॉक्टर की सुनने को तैयार नहीं था, बस अपनी ही बात पहले कह रहा था। मानो उसे अपना इलाज कराने की जल्दबाजी हो। बातों ही बातों में आफताब ने डॉक्टर को यह भी बताया था कि वह दिल्ली का नहीं है। वह मुंबई का रहने वाला है। यहां वह गुरुग्राम में आईटी सेक्टर में जॉब करने आया है। उसकी इस बात को उन्होंने बड़ी ही सकारात्मक तरीके से लिया कि देखो मुंबई के युवा भी यहां जॉब करने आ रहे हैं।

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लगा ही नहीं मर्डर करके आया है
डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि उन्होंने यह बात अपनी पत्नी डॉ. रेखा सिंह को भी बताई, जिनका मायका मुंबई में है। आफताब का ट्रीटमेंट करने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी को बताया कि एक यंग पेशेंट आया था। उसमें गजब का कॉन्फिडेंस था। जितनी देर भी वह हॉस्पिटल में रहा, उसमें कुछ जल्दबाजी देखी गई। वह अपनी बातें अधिक कर रहा था। टांके लगने के बाद उसे अस्पताल में ही कुछ देर आराम करने के लिए भी कहा। लेकिन वह रुका नहीं, चला गया। डॉक्टर सिंह के अनुसार,उससे बात करते वक्त एक बार भी यह नहीं लगा कि वह इतना ब्रूटल मर्डर करके आ रहा है। वह कहीं से भी बदहवास या डरा हुआ नहीं लग रहा था।

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डॉक्टर सिंह ने बताया कि इसके पकड़े जाने के बाद पुलिस उसे लेकर उनके हॉस्पिटल आई। जब पुलिस ने उन्हें बताया कि इसने इतने खतरनाक तरीके से हत्या की है, जिसमें शव के टुकड़े कर दिए और यह भी करीब 6 महीने पहले। तब उन्होंने उसे पहचान लिया। वह यह जानकर बड़े ही हैरान रह गए कि क्या ऐसा लड़का भी ऐसी खतरनाक हरकत कर सकता है। पुलिस ने उनसे पूछा कि वह यहां क्या इलाज कराने आया था। डॉक्टर ने पुलिस को वह सब बता दिया। दो दिन पहले पुलिस के साथ आया आफताब तब भी ऐसे ही लग रहा था, जैसे वह 6 महीने पहले टांके लगवाने आया था। लेकिन इस दिन उससे उनकी कोई बात नहीं हुई।

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