डॉक्टर साहब अवकाश पर तो मरीज “बेसहारा”, इलाज के इंतजार में वह सिस्टम से हारा | doctor crises in rajaasthan phc | News 4 Social
ऐेसे हालातों के बीच कई जगह डॉक्टर की गैर हाजिरी में अन्य स्टाफ के जरिये ही दवा बदलने या परामर्श जैसा अनाधिकृत कार्य भी कराया जा रहा है। पिछले एक वर्ष में चिकित्सा विभाग का पूरा जोर सरप्लस, डेपुटेशन नियुक्तियां समाप्त करने और तबादलों पर ही रहा है। जबकि अस्पतालों की आवश्यकता की पड़ताल कर स्वीकृत पद बढ़ाए जाते तो मरीजों को ज्यादा राहत मिलती।
राजधानी के हालात : डॉक्टर अवकाश पर तो वापस जाओ… शहर में करीब 150 डिस्पेंसरियां हैं। डिस्पेंसरियां एक चिकित्सक के भरोसे ही है। डॉक्टर अवकाश पर है तो मरीजों को बिना इलाज ही वापस लौटना पड़ता है।
दौसा : चिकित्सा मंत्री परसादीलाल मीणा का जिला : जिले में 47 पीएचसी है। सभी में एक ही चिकित्सक नियुक्त है। अवकाश के दिन नर्सिंगकर्मी रहते हैं। डॉक्टर एक से अधिक दिन अवकाश पर जाता है तो भी उस पीएचसी पर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो पाती। इमरजेंसी केस होने पर आस-पास की पीएचसी की तरफ मरीजों को दौड़ लगानी पड़ती है।
बीकानेर : मंत्री बी.डी.कल्ला का जिला : नोखा ब्लॉक की 17 पीएचसी में से 8 पर चिकित्सकों के पद रिक्त हैं। कक्कू को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) बनाया गया है, लेकिन यहां स्वीकृत 6 पदों में से एक डॉक्टर है, वह भी संविदा पर। रविवार को पत्रिका टीम ने अस्पताल का जायजा लिया तो यहां डॉक्टर नहीं मिला। जिले में 64 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। सभी में एकल चिकित्सक हैं। चिकित्सक अवकाश पर रहते हैं तो वहां आयुष चिकित्सक मरीज देखता है। पुराना मरीज आता है तो पर्ची के आधार पर नर्सिंग स्टाफ दवा दे देता है।
हर जिले की यही कहानी…देखें कुछ बानगी बूंदी : 28 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर एक ही चिकित्सक है। इनके अवकाश पर रहने पर नर्सिंग कर्मी मरीजों का उपचार करता है।
पाली : 88 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है। जिनमें से 74 पर एक चिकित्सक नियुक्त है। डॉक्टर अवकाश पर हे तो इलाज भगवान भरोसे।
जालोर : 69 पीएचसी में से 54 पर 1-1 ही डॉक्टर है। 15 पर तो चिकित्सक ही नहीं है। अभी 25 चिकित्सको की नई पोस्टिंग हुई है, जिनमें से 20 ने हाल ही में ज्वाइन किया है।
बच्ची को बुखार आ रहा, दिखाने आई, तो डॉक्टर ही नहीं स्वरुपसर निवासी मैना देवी ने बताया कि उसके 12 माह की बच्ची लविका को बुखार आ रहा है, उसे अस्पताल में दिखाने आई, तो डॉक्टर नहीं मिला और कम्पांउडर ने ही बीमारी पूछकर दवाई दे दी।
अभी 16500, जरूरत तत्काल 20 हजार की राज्य में इस समय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधीन अस्पतालों के लिए चिकित्सकों के करीब 16500 पद स्वीकृत हैं। जिन्हें तत्काल 20 हजार किए जाने की आवश्यकता है। इस समय राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की ओर से की जा रही 2 हजार चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती में करीब 5 गुना अधिक आवेदन आने से सरकार के लिए यह काम अधिक मुश्किल नहीं है।
ऐेसे हालातों के बीच कई जगह डॉक्टर की गैर हाजिरी में अन्य स्टाफ के जरिये ही दवा बदलने या परामर्श जैसा अनाधिकृत कार्य भी कराया जा रहा है। पिछले एक वर्ष में चिकित्सा विभाग का पूरा जोर सरप्लस, डेपुटेशन नियुक्तियां समाप्त करने और तबादलों पर ही रहा है। जबकि अस्पतालों की आवश्यकता की पड़ताल कर स्वीकृत पद बढ़ाए जाते तो मरीजों को ज्यादा राहत मिलती।
राजधानी के हालात : डॉक्टर अवकाश पर तो वापस जाओ… शहर में करीब 150 डिस्पेंसरियां हैं। डिस्पेंसरियां एक चिकित्सक के भरोसे ही है। डॉक्टर अवकाश पर है तो मरीजों को बिना इलाज ही वापस लौटना पड़ता है।
दौसा : चिकित्सा मंत्री परसादीलाल मीणा का जिला : जिले में 47 पीएचसी है। सभी में एक ही चिकित्सक नियुक्त है। अवकाश के दिन नर्सिंगकर्मी रहते हैं। डॉक्टर एक से अधिक दिन अवकाश पर जाता है तो भी उस पीएचसी पर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो पाती। इमरजेंसी केस होने पर आस-पास की पीएचसी की तरफ मरीजों को दौड़ लगानी पड़ती है।
बीकानेर : मंत्री बी.डी.कल्ला का जिला : नोखा ब्लॉक की 17 पीएचसी में से 8 पर चिकित्सकों के पद रिक्त हैं। कक्कू को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) बनाया गया है, लेकिन यहां स्वीकृत 6 पदों में से एक डॉक्टर है, वह भी संविदा पर। रविवार को पत्रिका टीम ने अस्पताल का जायजा लिया तो यहां डॉक्टर नहीं मिला। जिले में 64 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। सभी में एकल चिकित्सक हैं। चिकित्सक अवकाश पर रहते हैं तो वहां आयुष चिकित्सक मरीज देखता है। पुराना मरीज आता है तो पर्ची के आधार पर नर्सिंग स्टाफ दवा दे देता है।
हर जिले की यही कहानी…देखें कुछ बानगी बूंदी : 28 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर एक ही चिकित्सक है। इनके अवकाश पर रहने पर नर्सिंग कर्मी मरीजों का उपचार करता है।
पाली : 88 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है। जिनमें से 74 पर एक चिकित्सक नियुक्त है। डॉक्टर अवकाश पर हे तो इलाज भगवान भरोसे।
जालोर : 69 पीएचसी में से 54 पर 1-1 ही डॉक्टर है। 15 पर तो चिकित्सक ही नहीं है। अभी 25 चिकित्सको की नई पोस्टिंग हुई है, जिनमें से 20 ने हाल ही में ज्वाइन किया है।
बच्ची को बुखार आ रहा, दिखाने आई, तो डॉक्टर ही नहीं स्वरुपसर निवासी मैना देवी ने बताया कि उसके 12 माह की बच्ची लविका को बुखार आ रहा है, उसे अस्पताल में दिखाने आई, तो डॉक्टर नहीं मिला और कम्पांउडर ने ही बीमारी पूछकर दवाई दे दी।
अभी 16500, जरूरत तत्काल 20 हजार की राज्य में इस समय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधीन अस्पतालों के लिए चिकित्सकों के करीब 16500 पद स्वीकृत हैं। जिन्हें तत्काल 20 हजार किए जाने की आवश्यकता है। इस समय राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की ओर से की जा रही 2 हजार चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती में करीब 5 गुना अधिक आवेदन आने से सरकार के लिए यह काम अधिक मुश्किल नहीं है।