जीवाजी क्लब पर छापा, समर्थकों की घेराबंदी… ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए बीजेपी में अब सब ठीक नहीं?

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जीवाजी क्लब पर छापा, समर्थकों की घेराबंदी… ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए बीजेपी में अब सब ठीक नहीं?

जीवाजी क्लब पर छापा, समर्थकों की घेराबंदी… ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए बीजेपी में अब सब ठीक नहीं?

भोपाल/ग्वालियर: ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia News) को बीजेपी में आए हुए ढाई साल से ज्यादा का वक्त बीत गया। शुरुआती दौर में उनके समर्थकों को खूब सम्मान मिला। हालिया कुछ घटनाओं पर नजर दौड़ाएंगे तो आपके मन में यह सवाल आएगा कि क्या बीजेपी कथित तौर महाराज और उनके समर्थकों का पत्ता साफ करने में जुट गई। ऐसे संकेत दोनों तरफ से मिल रहे हैं। सिंधिया समर्थक कुछ मंत्री भी सरकार से दो-दो हाथ करने में जुट गए हैं। बीते एक सप्ताह के अंदर इन मामलों काफी तेजी देखने को मिली है। सिंधिया समर्थक एक कद्दावर मंत्री पर आरोप लगाने वाली महिला का वीडियो वायरल हुआ। साथ ही एक सप्ताह पहले सिंधिया परिवार के जीवाजी क्लब पर पुलिस का छापा पड़ा है। यहां जुआ खेलते कुछ लोगों को पकड़ा गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया इसके खुद सरंक्षक हैं।

जीवाजी क्लब पर पहली बार छापा

दरअसल, ग्वालियर स्थित जीवाजी क्लब का निर्माण सिंधिया राजपरिवार ने करवाया है। यह काफी नामी क्लब है। इससे काफी बड़े-बड़े लोग जुड़े हैं। ग्वालियर क्राइम ब्रांच की टीम ने एक सप्ताह पहले यहां पर छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान एक कमरे में कुछ व्यापारी जुआ खेलते मिले। उन्हें थाने से ही जमानत मिल गई। अब सियासी गलियारे में यह चर्चा है कि स्थानीय पुलिस ने यहां घुसने की हिमाकत कैसे की। क्या ऊपर से कोई आदेश मिले, जिसकी वजह से पुलिस ने यहां धावा बोला।

जीवाजी क्लब की स्थापना ज्योतिरादित्य सिंधिया के पूर्वजों ने की

जीवाजी क्लब की स्थापना 124 साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के पूर्वजों ने की थी। वर्तमान समय में जीवाजी क्लब के मुख्य संरक्षक भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ही हैं। जीवाजी क्लब के नाम के साथ ही सिंधिया घराने का नाम भी लिया जाता है लेकिन इसी जीवाजी क्लब में पिछले दिनों पुलिस ने दबिश देकर यह बात साबित कर दी है कि अब सिंधिया पर भी सरकार शिकंजा कसने लगी है।

नगर निगम ने वसूला 12 लाख 88 हजार 712 रुपए का संपत्ति कर

पुलिस की दबिश के अलावा नगर निगम के अमले ने भी जीवाजी क्लब पर अपना शिकंजा कसा है। नगर निगम आयुक्त किशोर कन्याल के निर्देश पर नगर निगम की एक टीम जीवाजी क्लब पहुंची। जीवाजी क्लब पर संपत्ति कर बकाया है। नगर निगम की टीम संपत्ति कर की वसूली के लिए जीवाजी क्लब पहुंची। यहां नगर निगम की टीम ने जीवाजी क्लब से 12 लाख 88 हजार 712 रुपए का संपत्ति कर वसूला। यह पहला मौका है जब जीवाजी क्लब से नगर निगम की टीम ने इस तरह से संपत्ति कर की वसूली की है। नगर निगम आयुक्त किशोर कन्याल को नरेंद्र सिंह तोमर के खेमे का बताया जाता है। इसके पीछे यह भी देखा जा रहा है कि कहीं न कहीं तोमर और सिंधिया के बीच में सब कुछ ठीक नहीं है। यही वजह है कि नरेंद्र सिंह तोमर के नजदीकी किशोर का न्यायालय जीवाजी क्लब से संपत्ति कर वसूल करके सिंधिया के लिए एक मैसेज दिया है।

समर्थक मंत्री पर आरोप लगाती महिला का वीडियो

यही नहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से आए उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव पर आरोप लगाती एक महिला का वीडियो वायरल है। महिला उनके ऊपर कई संगीन आरोप लगा रही थी। वीडियो होटल कर्मियों ने रेकॉर्ड किया था। इसके वायरल होते ही एमपी में सियासी भूचाल आ गया। बाद में आरोप लगाने वाली महिला पलट गई। इस पर कांग्रेस ने मांग की कि मंत्री को ब्लैकमेल करने वाली महिला को गिरफ्तार किया जाए। दत्तीगांव ने कहा कि हमें बदनाम करने की साजिश है। सरकार इस पर खामोश रही है।

दहेज में 50 एकड़ जमीन की चर्चा

दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाने वाले परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भी इन दिनों चर्चा में हैं। उन्हें उनके साले 50 एकड़ जमीन दान में दी है। दान में 50 एकड़ जमीन को लेकर गोविंद सिंह राजपूत पार्टी के अंदर ही घिर गए हैं। यह आरोप बीजेपी से जुड़े एक नेता ने ही लगाया है। इसके बाद विरोधियों ने इसे हाथों-हाथ लिया है। कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों को लूट की छूट दे दी है।

उधर से भी जारी हैं हमले

सियासी जानकार कहते हैं कि यह सिंधिया समर्थकों को घेराबंदी की कोशिश है। हमले उधर से भी हो रहे हैं। शिवपुरी इलाके से आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे से मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने राज्य के मुख्य सचिव पर ही सवाल उठा दिया था। उन्होंने कह दिया था कि सीएस उनकी सुनते नहीं हैं। इकबाल सिंह बैंस रिटायर हो रहे थे। इन विवादों के बीच शिवराज सरकार ने उनका कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया।

प्रद्युमन सिंह तोमर अपनी सरकार के खिलाफ

ग्वालियर से आने वाले प्रद्युमन सिंह तोमर शिवराज सरकार में उर्जा मंत्री हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक हैं। वह अपनी ही सरकार में अधिकारियों के सामने बेबस हैं। उनकी नाराजगी है कि अधिकारी नहीं सुनते। अपने इलाके में सड़क बनवाने के लिए वह दो महीने से खाली पैर चल रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि सरकार जब आपकी है तो सुनी क्यों नहीं जा रही है।

इमरती देवी पुलिस के विरोध में उतरीं

दरअसल, पिछले दिनों इमरती देवी डबरा पुलिस स्टेशन में पहुंच गई थीं। वहां वह टीआई पर भड़क रही थीं। एडीजी के सामने ही इमरती देवी ने कह दिया था कि डबरा टीआई लुटेरा है। उन्होंने सरेआम यह भी कहा था कि इसके ऊपर बड़े मंत्री का हाथ है। वह अपनी ही सरकार की पुलिस की बखिया उधेड़ रही थीं जबकि उन्हें खुद राज्य मंत्री का दर्जा मिला हुआ है।

वापसी की संभावनाएं देख रहे?

ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके समर्थक भी आए हैं। उपचुनाव में उन्हें टिकट भी मिला। इसके बाद बीजेपी के पुराने नेता अपने करियर को लेकर चिंतित हैं। उन्हें लग रहा है कि हमारा क्या होगा। ऐसे में हर जगह अंदर ही अंदर बगावत की आग धधक रही है। दमोह उपचुनाव में बीजेपी के पुराने नेता जयंत मलैया ने दिखा भी दिया था। इस बात का एहसास सिंधिया समर्थकों को है। अभी हाल ही में परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने दिग्विजय सिंह की तारीफ की है। इसके बाद यह अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या कांग्रेस से आए लोग यहां फिट नहीं बैठ रहे क्योंकि राजनीति में खुलकर कुछ भी नहीं कहा जाता है।

पुराने भाजपाइयों को ढूंढ रही थीं बुआ

वहीं , एक कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया पुराने भाजपाइयों को ढूंढ रही थीं। वह जब वहां पहुंची थीं, तब सब सिंधिया के साथ बीजेपी में आए लोग दिख रहे थे। इस पर यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा कि यहां सब नए लोग दिख रहे हैं, हमारे पुराने लोग कहां गए। इससे साफ है कि अभी भी पुराने और नए लोगों के दिल नहीं मिले हैं।

अनदेखी की वजह?

बीजेपी में आने के बाद मंत्री के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया कमाल के काम कर रहे हैं। हालांकि उनके लिए झटका ग्वालियर में मेयर का चुनाव रहा है। बीजेपी अपने और सिंधिया के गढ़ में चुनाव हार गई। कथित तौर पर अंदरखाने में इसे लेकर काफी चर्चा हुई है। साथ ही एक धड़ा यह भी मानता है कि टिकट सिंधिया के हिसाब से नहीं मिला था। इसके साथ ही उपचुनाव में भी कमाल का प्रदर्शन नहीं रहा था। ऐसे में बीजेपी भी अब प्रेशर पॉलिटिक्स को झेलना नहीं चाहती। साथ ही 2023 चुनाव से पहले अपने कद्दावर नेताओं की नाराजगी मोल भी नहीं लेना चाहती।

इनपुट ग्वालियर से रेनू शर्मा
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