जीतन राम मांझी के बाद आरजेडी के बड़े नेता ने नीतीश की शराबबंदी पर उठाया सवाल, कहा- दलितों पर हो रहा अत्याचार
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून के शत-प्रतिशत अनुपालन के लिए पूरी ताकत से लगे हैं। अपनी हर यात्रा में नीतीश कुमार शराबबंदी के लिए जीविका दीदियों को प्रेरित करते हैं। लेकिन उनके करीबी इस कानून के खिलाफ बयान दे रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बाद अब पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और आरजेडी के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने शराबबंदी कानून पर सवाल उठा दिया है। श्री चौधरी ने कहा है कि शराबबंदी दलितों पर अत्याचार वाला कानून है।
बिहार में शराबबंदी कानून पर विपक्ष के साथ-साथ अब सत्ता पक्ष के लोग भी सवाल उठाने लगे हैं। राजद नेता उदय नारायण चौधरी ने इसे ड्रैकोनियन कानून करार दिया है। उन्होंने कहा है कि राज्य में महादलित समुदाय के लोग इस कानून के शिकार हो रहे हैं। बड़ी संख्या में पासी मुसहर समाज के कम पढ़े लिखे लोग जेलों में बंद हैं। इस कानून की आड़ में उन पर अत्याचार हो रहा है।
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उदय नारायण चौधरी ने कहा कि शराबबंदी पर बातचीत होना चाहिए। सिर्फ सख्ती बरतने से काम नहीं होगा। हम लोगों ने भी शराबबंदी कानून का समर्थन किया था। लेकिन, इसे लागू करने के तौर तरीके बहुत सख्त हैं। उन्होंने कहा कि पासी और मुसहर समुदाय के हजारों लोग शराबबंदी कानून की वजह से जेल में बंद हैं। सभी गरीब और पिछड़े हुए हैं। उन में जागृति लाने की जरूरत है न कि डंडा चलाने की।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि समाज सुधार के लिए और भी कई कानून बनाए गए। लेकिन, शराबबंदी की वजह से दलितों पर अत्याचार किया जा रहा है। शराबबंदी को सफल बनाने के लिए जनजागृति आवश्यक है।
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इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून पर कई बार सवाल उठाए। पहले उन्होंने दलितों का मुद्दा उठाया था। पिछले दिनों डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के सामने जीतन राम मांझी ने इस कानून को हटाने की वकालत की। मांझी ने कहा कि शराबबंदी की वजह से हमारे यहां पयर्टक नहीं आ रहे हैं। उन्हें खाने पीने की आवश्यक चीजें नहीं मिलती हैं तो वह बिहार आने के बदले दूसरी जगह चले जाते हैं। इससे राज्य को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
जीतन राम मांझी के बाद उदय नारायण चौधरी का यह बयान नीतीश कुमार के लिए टेंशन बढ़ाने वाला है क्योंकि, मुख्यमंत्री किसी भी हालत में पूर्ण शराबबंदी से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने जीविका दीदियों को आंदोलन करने के लिए प्रेरित भी किया है।