जानिए आज से बैलून, पॉलीथीन बैग समेत कौन से प्लास्टिक प्रतिबंधित और कौन से नहीं, किस देश-राज्य में पैदा होता कितना प्लास्टिक कचरा | Know which plastics including balloons, polythene bags are banned now | Patrika News
संयुक्त राष्ट्र में की थी भारत ने पहल कह सकते हैं कि , इसकी शुरुआत सबसे पहले तब हुई जब 2019 में आयोजित चौथी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में, भारत ने सिंगल यूज वाले प्लास्टिक उत्पादों के प्रदूषण से निपटने के लिए एक प्रस्ताव रखा था, जिसमें वैश्विक समुदाय द्वारा इस बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने की तत्काल आवश्यकता को स्वीकार किया गया था। वैश्विक स्तर पर इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाना एक महत्वपूर्ण कदम था।
पीएम मोदी ने 15 अगस्त को की थी घोषणा इसके बाद 15 अगस्त 2019 को देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने दो अक्तूबर 2019 से एकबारगी इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध की बात कही थी। लेकिन तब यह संभव नहीं हो पाया, क्योंकि प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की बात जितनी आसान प्रतीत होती है, यह उतनी आसान है नहीं। लेकिन अब सरकार ने जिस तरह का संकल्प और सख्ती दिखाई है, उससे यह साफ हो गया है कि अब कदम पीछे नहीं जाने वाले।
ये 19 आइटम्स हैं प्रतिंबधित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ की भावना को आगे बढ़ाते हुए, प्लास्टिक वस्तुओं के उपयोग को समाप्त करने के स्पष्ट आह्वान के अनुरूप, भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 12 अगस्त 2021 को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया गया था। इसके अंतर्गत भारत में 1 जुलाई, 2022 से पूरे देश में चिन्हित एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं, जिनकी उपयोगिता कम और प्रदूषण क्षमता अधिक है, के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज के अनुसार आज एक जुलाई से भारत में प्लास्टिक के ये 19 आइटम्स प्रतिबंधित हो गए हैं….
- प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड
- गुब्बारे और गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक
- प्लास्टिक के झंडे
- कैंडी स्टिक
- आइसक्रीम स्टिक
- सजावट के लिए पॉलीस्टाइनिन (थर्मोकोल)
- प्लास्टिक की प्लेट कप, गिलास, कटलरी, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे
- मिठाई के डिब्बों को रैप या पैक करने वाली फिल्म
- निमंत्रण कार्ड
- सिगरेट के पैकेट
- सब्जी-फल वाले पॉलीथीन बैग
- 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक पीवीसी बैनर
- स्टिरर (चीनी आदि घोलने के लिए उपयोग में आने वाली डंडियां)
रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली ये पांच चीजें आज से हो जाएंगी बैन
अगर आपको अब भी समझने में दिक्कत है तो आइए हम आपको रोजमर्रा की वो पांच चीजें बताते हैं जो आज से प्रतिबंधित हो गई हैं। ये पांच चीजें मुख्य रूप से इस प्रकार हैं । इन पांच चीजों की सूची भी ट्विवटर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई है….
- प्लास्टिक के पॉलिथीन बैग
- प्लास्टिक कटलरी- कांटे, चम्मच आदि
- बैलून और बैलून स्टिक्स
- प्लास्टिक स्ट्रा और घोलने वाली डंडियां
- प्लास्टिक के सब्जी-फल के बैग
𝐒𝐢𝐧𝐠𝐥𝐞-𝐔𝐬𝐞 𝐏𝐥𝐚𝐬𝐭𝐢𝐜 𝐁𝐚𝐧 on various items from 1st July 2022#QuitSingleUsePlastic pic.twitter.com/qNFnQyUFyh
— MoEF&CC (@moefcc) June 30, 2022
प्रतिबंधित किए जाने के पीछे क्या हैं तर्क
आज से जो सिंगल यूज प्लास्टिक सामग्रियां प्रतिबंधित की गई हैं, उनमें वो चीजें हैं जो कि रीसाइकिल नहीं हो पाती हैं, या जिनको रीसाइकिल करना मुश्किल होता है। इसलिए पानी की बोतल या पैकेट बंद दूध के पॉलीथीन बैग अब भी प्रतिबंधित नहीं हैं, क्योंकि उपयोग में आ चुकने के बाद भी बंद होने के कारण इनको कंपनियां फिर से इस्तेमाल कर लेती हैं। इनको उपयोग के बाद इनमें कचरे की मिक्सिंग बहुत कम हो पाती है। लेकिन जाे प्लास्टिक की सामग्री प्रतिबंधित की गई हैं उनमें अधिकांश वो चीजे हैं जिनमें कचरा मिक्स हो जाता है। कम माइक्रोन (यानी पतली पॉलीथीन) की होने के कारण उनका रीसाइकिल होना और छांट पाना उनको मुश्किल होता है। इसलिए उनको रीसाइकिल नहीं किया जा सकता है। राजस्थान प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रवण शर्मा ने बताया कि वो सारी चीजें बैन की गई हैं, जो खुली होती हैं। जो बाजार से डिब्बाबंद प्लास्टिक में आती हैं , उनको प्रतिबंधित नहीं किया गया है।
-Remember the date!
More than 12 identified items have been banned by @moefcc from 1st July 2022.#QuitSingleUsePlastic pic.twitter.com/Ip4VhMRJxT
— MoEF&CC (@moefcc) June 30, 2022
Are you ready for the 𝐒𝐢𝐧𝐠𝐥𝐞-𝐔𝐬𝐞 𝐏𝐥𝐚𝐬𝐭𝐢𝐜 𝐁𝐚𝐧 on various items, happening from 1st July 2022…..#PrakritiKaKhayal pic.twitter.com/kLdE16y6WC— MoEF&CC (@moefcc) June 30, 2022
पॉलीथीन का माइक्रोन कनेक्शन, दिसंबर 2022 से सख्त होंगे प्रतिबंध
भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम 2021 के अंतर्गत 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, आयात, संग्रहण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर 30 सितंबर 2021 से और 120 माइक्रोन से कम मोटाई वाले इस सामान पर 31 दिसंबर, 2022 से प्रतिबंध लगाया गया है। बता दें जितना कम माइक्रोन होगा, पॉलीथीन उतनी ही अधिक पतली होगी।
कौन से राज्यों में होता है कम या अधिक कचरा पैदा सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार, देश में गोवा और दिल्ली में प्रति व्यक्ति सबसे अधिक कचरा पैदा करते हैं और कुल प्लास्टिक कचरा के पैमाने पर देखें तो महाराष्ट्र में सबसे अधिक तथा तमिलनाडू और गुजरात में दूसरे और तीसरे नंबर पर कचरा उत्पादन किया जा रहा है। बात करें राजस्थान की तो, राजस्थान में कमोबेश पूरे देश में करीब सबसे कम प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। बड़े राज्यों में सिर्फ बिहार ही इस पैमाने पर राजस्थान से बेहतर प्रदर्शन करते दिख रहा है।
दिल्ली सबसे आगे सीपीसीबी की 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में देश का करीब 7 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा पैदा होता है जबकि दिल्ली की आबादी (देश की करीब 1 प्रतिशत) और क्षेत्रफल देश की तुलना में बहुत कम है। रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन प्लास्टिक का प्रयोग करने वाले राज्यों में दिल्ली सबसे आगे है। प्लास्टिक के इस इस्तेमाल की वजह से ही देश में दिल्ली के अंदर सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा पैदा हो रहा है जबकि प्लास्टिक की खपत करने वालों में महाराष्ट दूसरे और तमिलनाडु तीसरे पायदान पर है।
दिल्ली कचरा उत्पादन की भी कैपिटल वर्ष 2019-20 के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली के अंदर प्रतिवर्ष कुल 2,30,525 टन (टीपीए) प्लास्टिक कचरे का उत्पादन हुआ है, इस तरह यहां पर प्रति व्यक्ति अपशिष्ट उत्पादन गोवा के बाद देश में सबसे अधिक है। इसके अतिरिक्त शेष सबसे अधिक कचरा उत्पादन में मुंबई, चेन्नई और कोलकाता शामिल हैं। मुंबई सहित महराष्ट्र में कुल 443724 टीपीए, चेन्नई सहित तमिलनाडु में 431472 टीपीए और कोलाकाता सहित पश्चिम बंगाल में 300236 टीपीए प्लास्टिक कचरे का उत्पादन होता है। जबकि राज्स्थान में यह मात्रा 51965 टीपीए ही है।
राजस्थान में पैदा होता है देश का 1.49 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा पूरे देश की बात करें तो 35 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा उपलब्ध कराए गए ब्यौरों के अनुसार कुल अनुमानित प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन वर्ष 2019-20 के दौरान लगभग 34,69,780 टीपीए रहा था। इसमें यह साफ है कि अधिकतम प्लास्टिक कचरे की मात्रा महाराष्ट्र में और उसके बाद तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल और गुजरात और दिल्ली में उत्पन्न होती है। जबकि 2019-20 के दौरान राजस्थान में अनुमानित प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन लगभग 51965.5 टीपीए है। जो कि पूरे देश का 1.49 प्रतिशत ठहरता है। रिपोर्ट के अनुसार , राज्य में 69 प्लास्टिक निर्माण और 16 मल्टीलेयर प्लास्टिक इकाइयाँ पंजीकृत हैं और कोई अपंजीकृत प्लास्टिक इकाइयाँ नहीं हैं। साथ ही इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई के बावजूद उपयोग, निर्माण, भंडारण, आयात, बिक्री या परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि राज्य में इस प्रतिबंध का उल्लंघन देखा गया है और 2020 तक कुल 4000 किलो प्लास्टिक जब्त किया गया है।
राजस्थान मेंं प्रतिव्यक्ति भी प्लास्टिक का कचरा अपेक्षाकृत रूप से काफी कम है। इसके आप नीचे सीपीसीपी के दिए गए चार्ट् से समझ सकते हैं…. अब पूरे देश में दिखेगी सख्ती अब तक राज्य स्तरीय बैन प्लास्टिक पर लगाए गए थे। अब केंद्र सरकार ने प्लास्टिक प्रबंधन संशोधन नियमावली 2021 को अधिसूचित कर प्लास्टिक की उपयोगिता को कम करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत अब ऐसी प्लास्टिक जो एक बार प्रयोग होने के बाद दोबारा प्रयोग के लिए नहीं लाई जा सकती उसे रोकने के लिए सख्त प्रावधान किए जा रहे हैं। दरअसल, पर्यावरण को सबसे अधिक खतरा ऐसी ही प्लास्टिक से ही माना जा रहा है।
इस बैन के दायरे में मुख्य रूप से 75 माइक्रोन से कम की प्लास्टिक सामग्री शामिल है। अगर किसी भी जगह पर 75 माइक्रोन की श्रेणी की प्लास्टिक का प्रयोग पाया जाता है तो उस पर कार्रवाई का भी प्रावधान किया है। वहीं प्लास्टिक कप, ग्लास, कांटे, चम्मच, थर्माकोल समेत अन्य उत्पाद पर आज एक जुलाई 2022 से रोक की व्यवस्था लागू करने की तैयारी है। जैसा कि ऊपर बताया गया है, दिसंबर 2022 से इस चरण के तहत 120 माइक्रोन तक की प्लास्टिक को रोकने की तैयारी की जा रही है। इस श्रेणी में इस दिशा में चरणबद्ध तरीके से कदम उठाने का दावा किया जा रहा है।
प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर एक लाख जुर्माना प्रतिबंधित प्लास्टिक के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग के मानदंडों का कोई भी उल्लंघन – पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत निर्धारित दंड और दंड को आकर्षित करेगा। अधिनियम के अनुसार, जो कोई भी अनुपालन करने में विफल रहता है तो, पांच साल तक के कारावास या एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों की सजा सुनाई जा सकती है। यदि विफलता या उल्लंघन जारी रहता है, तो हर दिन के हिसाब से उस अवधि के दौरान जब तक कि उल्लंघन जारी रहता है अतिरिक्त जुर्माना पांच हजार रुपए तकलगाया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र में की थी भारत ने पहल कह सकते हैं कि , इसकी शुरुआत सबसे पहले तब हुई जब 2019 में आयोजित चौथी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में, भारत ने सिंगल यूज वाले प्लास्टिक उत्पादों के प्रदूषण से निपटने के लिए एक प्रस्ताव रखा था, जिसमें वैश्विक समुदाय द्वारा इस बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने की तत्काल आवश्यकता को स्वीकार किया गया था। वैश्विक स्तर पर इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाना एक महत्वपूर्ण कदम था।
पीएम मोदी ने 15 अगस्त को की थी घोषणा इसके बाद 15 अगस्त 2019 को देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने दो अक्तूबर 2019 से एकबारगी इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध की बात कही थी। लेकिन तब यह संभव नहीं हो पाया, क्योंकि प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की बात जितनी आसान प्रतीत होती है, यह उतनी आसान है नहीं। लेकिन अब सरकार ने जिस तरह का संकल्प और सख्ती दिखाई है, उससे यह साफ हो गया है कि अब कदम पीछे नहीं जाने वाले।
ये 19 आइटम्स हैं प्रतिंबधित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ की भावना को आगे बढ़ाते हुए, प्लास्टिक वस्तुओं के उपयोग को समाप्त करने के स्पष्ट आह्वान के अनुरूप, भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 12 अगस्त 2021 को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया गया था। इसके अंतर्गत भारत में 1 जुलाई, 2022 से पूरे देश में चिन्हित एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं, जिनकी उपयोगिता कम और प्रदूषण क्षमता अधिक है, के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज के अनुसार आज एक जुलाई से भारत में प्लास्टिक के ये 19 आइटम्स प्रतिबंधित हो गए हैं….
- प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड
- गुब्बारे और गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक
- प्लास्टिक के झंडे
- कैंडी स्टिक
- आइसक्रीम स्टिक
- सजावट के लिए पॉलीस्टाइनिन (थर्मोकोल)
- प्लास्टिक की प्लेट कप, गिलास, कटलरी, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे
- मिठाई के डिब्बों को रैप या पैक करने वाली फिल्म
- निमंत्रण कार्ड
- सिगरेट के पैकेट
- सब्जी-फल वाले पॉलीथीन बैग
- 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक पीवीसी बैनर
- स्टिरर (चीनी आदि घोलने के लिए उपयोग में आने वाली डंडियां)
रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली ये पांच चीजें आज से हो जाएंगी बैन
अगर आपको अब भी समझने में दिक्कत है तो आइए हम आपको रोजमर्रा की वो पांच चीजें बताते हैं जो आज से प्रतिबंधित हो गई हैं। ये पांच चीजें मुख्य रूप से इस प्रकार हैं । इन पांच चीजों की सूची भी ट्विवटर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई है….
- प्लास्टिक के पॉलिथीन बैग
- प्लास्टिक कटलरी- कांटे, चम्मच आदि
- बैलून और बैलून स्टिक्स
- प्लास्टिक स्ट्रा और घोलने वाली डंडियां
- प्लास्टिक के सब्जी-फल के बैग
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प्रतिबंधित किए जाने के पीछे क्या हैं तर्क
आज से जो सिंगल यूज प्लास्टिक सामग्रियां प्रतिबंधित की गई हैं, उनमें वो चीजें हैं जो कि रीसाइकिल नहीं हो पाती हैं, या जिनको रीसाइकिल करना मुश्किल होता है। इसलिए पानी की बोतल या पैकेट बंद दूध के पॉलीथीन बैग अब भी प्रतिबंधित नहीं हैं, क्योंकि उपयोग में आ चुकने के बाद भी बंद होने के कारण इनको कंपनियां फिर से इस्तेमाल कर लेती हैं। इनको उपयोग के बाद इनमें कचरे की मिक्सिंग बहुत कम हो पाती है। लेकिन जाे प्लास्टिक की सामग्री प्रतिबंधित की गई हैं उनमें अधिकांश वो चीजे हैं जिनमें कचरा मिक्स हो जाता है। कम माइक्रोन (यानी पतली पॉलीथीन) की होने के कारण उनका रीसाइकिल होना और छांट पाना उनको मुश्किल होता है। इसलिए उनको रीसाइकिल नहीं किया जा सकता है। राजस्थान प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रवण शर्मा ने बताया कि वो सारी चीजें बैन की गई हैं, जो खुली होती हैं। जो बाजार से डिब्बाबंद प्लास्टिक में आती हैं , उनको प्रतिबंधित नहीं किया गया है।
-Remember the date!
More than 12 identified items have been banned by @moefcc from 1st July 2022.#QuitSingleUsePlastic pic.twitter.com/Ip4VhMRJxT— MoEF&CC (@moefcc) June 30, 2022
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पॉलीथीन का माइक्रोन कनेक्शन, दिसंबर 2022 से सख्त होंगे प्रतिबंध
भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम 2021 के अंतर्गत 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, आयात, संग्रहण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर 30 सितंबर 2021 से और 120 माइक्रोन से कम मोटाई वाले इस सामान पर 31 दिसंबर, 2022 से प्रतिबंध लगाया गया है। बता दें जितना कम माइक्रोन होगा, पॉलीथीन उतनी ही अधिक पतली होगी।
कौन से राज्यों में होता है कम या अधिक कचरा पैदा सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार, देश में गोवा और दिल्ली में प्रति व्यक्ति सबसे अधिक कचरा पैदा करते हैं और कुल प्लास्टिक कचरा के पैमाने पर देखें तो महाराष्ट्र में सबसे अधिक तथा तमिलनाडू और गुजरात में दूसरे और तीसरे नंबर पर कचरा उत्पादन किया जा रहा है। बात करें राजस्थान की तो, राजस्थान में कमोबेश पूरे देश में करीब सबसे कम प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। बड़े राज्यों में सिर्फ बिहार ही इस पैमाने पर राजस्थान से बेहतर प्रदर्शन करते दिख रहा है।
दिल्ली सबसे आगे सीपीसीबी की 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में देश का करीब 7 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा पैदा होता है जबकि दिल्ली की आबादी (देश की करीब 1 प्रतिशत) और क्षेत्रफल देश की तुलना में बहुत कम है। रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन प्लास्टिक का प्रयोग करने वाले राज्यों में दिल्ली सबसे आगे है। प्लास्टिक के इस इस्तेमाल की वजह से ही देश में दिल्ली के अंदर सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा पैदा हो रहा है जबकि प्लास्टिक की खपत करने वालों में महाराष्ट दूसरे और तमिलनाडु तीसरे पायदान पर है।
दिल्ली कचरा उत्पादन की भी कैपिटल वर्ष 2019-20 के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली के अंदर प्रतिवर्ष कुल 2,30,525 टन (टीपीए) प्लास्टिक कचरे का उत्पादन हुआ है, इस तरह यहां पर प्रति व्यक्ति अपशिष्ट उत्पादन गोवा के बाद देश में सबसे अधिक है। इसके अतिरिक्त शेष सबसे अधिक कचरा उत्पादन में मुंबई, चेन्नई और कोलकाता शामिल हैं। मुंबई सहित महराष्ट्र में कुल 443724 टीपीए, चेन्नई सहित तमिलनाडु में 431472 टीपीए और कोलाकाता सहित पश्चिम बंगाल में 300236 टीपीए प्लास्टिक कचरे का उत्पादन होता है। जबकि राज्स्थान में यह मात्रा 51965 टीपीए ही है।
राजस्थान में पैदा होता है देश का 1.49 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा पूरे देश की बात करें तो 35 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा उपलब्ध कराए गए ब्यौरों के अनुसार कुल अनुमानित प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन वर्ष 2019-20 के दौरान लगभग 34,69,780 टीपीए रहा था। इसमें यह साफ है कि अधिकतम प्लास्टिक कचरे की मात्रा महाराष्ट्र में और उसके बाद तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल और गुजरात और दिल्ली में उत्पन्न होती है। जबकि 2019-20 के दौरान राजस्थान में अनुमानित प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन लगभग 51965.5 टीपीए है। जो कि पूरे देश का 1.49 प्रतिशत ठहरता है। रिपोर्ट के अनुसार , राज्य में 69 प्लास्टिक निर्माण और 16 मल्टीलेयर प्लास्टिक इकाइयाँ पंजीकृत हैं और कोई अपंजीकृत प्लास्टिक इकाइयाँ नहीं हैं। साथ ही इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई के बावजूद उपयोग, निर्माण, भंडारण, आयात, बिक्री या परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि राज्य में इस प्रतिबंध का उल्लंघन देखा गया है और 2020 तक कुल 4000 किलो प्लास्टिक जब्त किया गया है।
इस बैन के दायरे में मुख्य रूप से 75 माइक्रोन से कम की प्लास्टिक सामग्री शामिल है। अगर किसी भी जगह पर 75 माइक्रोन की श्रेणी की प्लास्टिक का प्रयोग पाया जाता है तो उस पर कार्रवाई का भी प्रावधान किया है। वहीं प्लास्टिक कप, ग्लास, कांटे, चम्मच, थर्माकोल समेत अन्य उत्पाद पर आज एक जुलाई 2022 से रोक की व्यवस्था लागू करने की तैयारी है। जैसा कि ऊपर बताया गया है, दिसंबर 2022 से इस चरण के तहत 120 माइक्रोन तक की प्लास्टिक को रोकने की तैयारी की जा रही है। इस श्रेणी में इस दिशा में चरणबद्ध तरीके से कदम उठाने का दावा किया जा रहा है।
प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर एक लाख जुर्माना प्रतिबंधित प्लास्टिक के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग के मानदंडों का कोई भी उल्लंघन – पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत निर्धारित दंड और दंड को आकर्षित करेगा। अधिनियम के अनुसार, जो कोई भी अनुपालन करने में विफल रहता है तो, पांच साल तक के कारावास या एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों की सजा सुनाई जा सकती है। यदि विफलता या उल्लंघन जारी रहता है, तो हर दिन के हिसाब से उस अवधि के दौरान जब तक कि उल्लंघन जारी रहता है अतिरिक्त जुर्माना पांच हजार रुपए तकलगाया जा सकता है।