जानलेवा प्रोजेक्ट: 4 लोगों की मौत, 30 मीटर ऊंचाई पर मेट्रो का काम, नीचे चल रहे कार-बाइक | Security standards not taken care of in Bhopal Metro project | Patrika News
एमपी नगर के अरेरा हिल्स से सावरकर ब्रिज से पहले गणेश मंदिर तक आवाजाही बेहद खतरनाक हो गई है। एक तरफ पीडब्ल्यूडी का ब्रिज बन रहा है तो दूसरी ओर मेट्रो प्रोजेक्ट का काम चल रहा है। प्रगति पेट्रोल पंप से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन और आगे गणेश मंदिर तक तो स्थिति ये है कि ब्रिज पर भारी मशीनरी से काम चल रहा है तो नीचे 1200 पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) का ट्रैफिक भी गुजर रहा है। इतना ही नहीं, निर्माण साइट को लोहे की चद्दरों से सड़क से अलग किया गया है जो बेहद खतरनाक है।
एमपी नगर में दुकान संचालित करने वाले रविसिंह ठाकुर का कहना है, प्रगति से पहले और मानसरोवर तक बीआरटीएस की रैलिंग काटने के बाद उसके लोहे के एंगल रोड से अलग नहीं किए। अब इन पर गाड़ी चढ़ते ही पहिया पंचर हो जाता है। ये दुर्घटना का सबब बन रहे हैं। इतना ही नहीं, जिन लोगों को मानसरोवर के सामने से सरगम टॉकीज तक पहुंचना होता है, वे प्रगति के यहां से लेन बदलते हैं, लेकिन सरगम के पास प्रोजेक्ट साइट को लोहे की चद्दरों से ढंककर रखा गया है जो दुर्घटना की स्थिति बना रही है। प्रोजेक्ट में तो एम्स से साकेत नगर, अमराई, एमपी नगर औ सुभाष ब्रिज तक ऐसी ही दुर्घटना की स्थिति नजर आ रही है।
निर्माण के दौरान इनका पालन जरूरी
पूरी साइट इस तरह कवर होना चाहिए। ये इस तरह ढंकी हो कि भीतर से धूल या रेत के कण भी बाहर न गिरे, जबकि यहां खुले में काम किया जा रहा था और सरियों का ढांचा एक तरफ मुड़ गया।
साइट पर प्रयोग किए जा रहे सभी उपकरणों का रोजाना के स्तर पर मेंटेनेंस और जांच हो। थोड़ी भी गड़बड़ हो तो उपकरण- मशीनरी का प्रयोग न करें।
प्रोजेक्ट साइट पर काम कर रहे मजदूरों से लेकर तकनीशियनों और अन्य के पास सुरक्षा हेलमेट समेत अन्य जरूरी उपकरण होना चाहिए।
ट्रैफिक डायवर्सन आदि के ऐसे बोर्ड लगाएं जो अंधेरे में भी नजर आएं।
सुरक्षित तरीके से बैरिकेडिंग करें ताकि वाहन चालक दुर्घटना का शिकार न हों।
रात में रोशनी का पर्याप्त इंतजाम करें।
पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण यंत्री संजय खांडे बताते हैं कि दुर्घटनाएं रोकने के लिए निर्माण एजेंसियां जरूरी उपाय करती हैं, हमने भी ठेका एजेंसी से उपाय करवाए हैं। कई बार इस तरह की स्थितियां बन जाती हैं। इसे लेकर आगे अधिक सतर्क रहेंगे।
सालभर में दस दुर्घटनाएं फिर भी ध्यान नहीं:
शहरी विकास के प्रोजेक्ट की बात करें तो एक साल में दस बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। हाउस फॉर ऑल के 12 नंबर प्रोजेक्ट में ही अब तक चार लोगों की जान जा चुकी है। हबीबगंज रेलवे स्टेशन के पास ही मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए लोहे का बोल्ट एक व्यक्ति के सिर पर गिरा, जिससे उसकी मृत्यु हो गई थी। 23 सितंबर 2021 को गणेश मंदिर से गायत्री मंदिर के बीच पीडब्ल्यूडी के निर्माणाधीन फ्लाईओवर के पिलर नंबर पीएफ 30 का सरिया बांधा जा रहा था। इससे हादसा हो गया.
एमपी नगर के अरेरा हिल्स से सावरकर ब्रिज से पहले गणेश मंदिर तक आवाजाही बेहद खतरनाक हो गई है। एक तरफ पीडब्ल्यूडी का ब्रिज बन रहा है तो दूसरी ओर मेट्रो प्रोजेक्ट का काम चल रहा है। प्रगति पेट्रोल पंप से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन और आगे गणेश मंदिर तक तो स्थिति ये है कि ब्रिज पर भारी मशीनरी से काम चल रहा है तो नीचे 1200 पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) का ट्रैफिक भी गुजर रहा है। इतना ही नहीं, निर्माण साइट को लोहे की चद्दरों से सड़क से अलग किया गया है जो बेहद खतरनाक है।
एमपी नगर में दुकान संचालित करने वाले रविसिंह ठाकुर का कहना है, प्रगति से पहले और मानसरोवर तक बीआरटीएस की रैलिंग काटने के बाद उसके लोहे के एंगल रोड से अलग नहीं किए। अब इन पर गाड़ी चढ़ते ही पहिया पंचर हो जाता है। ये दुर्घटना का सबब बन रहे हैं। इतना ही नहीं, जिन लोगों को मानसरोवर के सामने से सरगम टॉकीज तक पहुंचना होता है, वे प्रगति के यहां से लेन बदलते हैं, लेकिन सरगम के पास प्रोजेक्ट साइट को लोहे की चद्दरों से ढंककर रखा गया है जो दुर्घटना की स्थिति बना रही है। प्रोजेक्ट में तो एम्स से साकेत नगर, अमराई, एमपी नगर औ सुभाष ब्रिज तक ऐसी ही दुर्घटना की स्थिति नजर आ रही है।
निर्माण के दौरान इनका पालन जरूरी
पूरी साइट इस तरह कवर होना चाहिए। ये इस तरह ढंकी हो कि भीतर से धूल या रेत के कण भी बाहर न गिरे, जबकि यहां खुले में काम किया जा रहा था और सरियों का ढांचा एक तरफ मुड़ गया।
साइट पर प्रयोग किए जा रहे सभी उपकरणों का रोजाना के स्तर पर मेंटेनेंस और जांच हो। थोड़ी भी गड़बड़ हो तो उपकरण- मशीनरी का प्रयोग न करें।
प्रोजेक्ट साइट पर काम कर रहे मजदूरों से लेकर तकनीशियनों और अन्य के पास सुरक्षा हेलमेट समेत अन्य जरूरी उपकरण होना चाहिए।
ट्रैफिक डायवर्सन आदि के ऐसे बोर्ड लगाएं जो अंधेरे में भी नजर आएं।
सुरक्षित तरीके से बैरिकेडिंग करें ताकि वाहन चालक दुर्घटना का शिकार न हों।
रात में रोशनी का पर्याप्त इंतजाम करें।
सालभर में दस दुर्घटनाएं फिर भी ध्यान नहीं:
शहरी विकास के प्रोजेक्ट की बात करें तो एक साल में दस बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। हाउस फॉर ऑल के 12 नंबर प्रोजेक्ट में ही अब तक चार लोगों की जान जा चुकी है। हबीबगंज रेलवे स्टेशन के पास ही मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए लोहे का बोल्ट एक व्यक्ति के सिर पर गिरा, जिससे उसकी मृत्यु हो गई थी। 23 सितंबर 2021 को गणेश मंदिर से गायत्री मंदिर के बीच पीडब्ल्यूडी के निर्माणाधीन फ्लाईओवर के पिलर नंबर पीएफ 30 का सरिया बांधा जा रहा था। इससे हादसा हो गया.