जयपुर रिंग रोड : सड़क हादसों को लेकर एमएनआईटी में विशेषज्ञों के साथ गहन मंथन, सामने आई छह कमियां | Day-night inspection of Jaipur Ring Road by many experts | Patrika News
बता दें कि विशेषज्ञों ने कई टेक्निकल खामियों को उजागर किया है। इसमें सबसे पहले उन्होंने बताया है कि रिंग रोड पर पेवमेंट मार्किंग उचित स्थानों पर नहीं है। साथ ही जहां पर मार्किंग हैं उनकी भी नाइट रिफलेक्टीविटी काफी कम है। वहीं, रोड साइड क्रेश बेरियर पर नाइट रिफलेक्टिविटी टेप नहीं है और बेरियर्स की हाइट भी नियम से कम है। जिससे सड़क के किनारे से काफी दूर लगे होने के कारण खुद एक्सीडेंट का कारण बन रहे है। साथ ही एस.ओ.एस हेल्पलाइन बॉक्सेस चालू कंडीशन में नहीं है।
विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बिल्टअप एरिया में सुनियोजित मीडियन ओपनिंग न होने के कारण वाहन चालक खासतौर पर दोपहिया वाहन गलत ढंग से रोड क्रॉस कर रहे हैं। जिससे दुर्घटना होने की संभावना काफी बढ़ रही है। वहीं, साइड स्लोप का अनुपात 1:2 होना चाहिए। जबकि रिंग रोड पर फ्लैट स्लोप दिया गया है और कोई स्लोप प्रोटेक्शन भी नहीं दिया गया। जबकि मिडियन पर पौधारोपण उचित ऊंचाई तक ना होने के कारण वह दूसरी तरफ से आते हुए वाहनों के नाइट ग्लेयर को कम करने में कोई भूमिका नहीं निभा रहा है।
15 दिन तक किया गहन अध्ययन और चर्चा
दरअसल, सड़क हादसों को लेकर एमएनआईटी के प्रोफेसर बीएल स्वामी और डॉ अरूण गौड़ के कॉर्डिनेशन में 15 दिन तक सड़क हादसों को लेकर विभिन्न विशेषज्ञों के साथ चर्चा की। इसमें वे सभी कारण सामने आए, जिससे सड़क हादसों में बढ़ोतरी हो रही है। जिस सर्टिफिकेशन कॉर्स में रोड सेफ्टी पर चर्चा हुई वह मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज एंड इंडियन रोड्स कांग्रेस के सहयोग से आयोजित हुआ। इसमें इंजीनियर्स, रिसर्चर एवं कंसलटेंट ने हिस्सा लिया। उन्होंने क्रैश एनालिसिस एंड ब्लैकस्पाट ट्रीटमेंट, इंटरसेक्शन एंड जेक्शन प्लानिंग और रोड साइड फनीर्चर जैसे मुद्दों पर अध्ययन किया।
36 लोगों को बांटा गया 12 समूह में
इस कॉर्स में सरकारी विभागों के साथ ही इंडस्ट्री से जुड़े 36 लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें 28 मई से 10 दिन तक विभिन्न विशेषज्ञों ने लेक्चर दिए। इसके बाद 7 जून से 11 जून तक प्रैक्टिकल के तहत इन 36 लोगों को 12 अलग-अलग ग्रुप में बांटा गया। प्रत्येक समूह में तीन लोग शामिल रहे। इन्हें करीब 47 किलोमीटर लंबी रिंग रोड पर दो—दो किलोमीटर का एरिया दिया गया। जिसका उन्होंने गहन अध्ययन किया। बता दें कि इन 36 में से 10 अधिकारी परिवहन विभाग के थे। वहीं, तीन पीडब्ल्यूडी और दो जेडीए के थे। शेष अन्य अलग—अलग कंपनियों से जुड़े अधिकारी थे।
विदेशों से एक्सपर्ट ने दिए रोड सेफ्टी के गुर
एमएनआईटी के डॉ अरूण गौड़ ने बताया कि रोड सेफ्टी आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस 15 दिवसीय कॉर्स में अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ रोड सेफ्टी के टिप्स देते हैं। इसमें केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी एक्सपर्ट लेक्चर देते है। इस 15 दिवसीय कॉर्स में आॅस्ट्रेलिया, कतर जैसे देशों के रोड सेफ्टी एक्सपर्ट ने भी टिप्स दिए।
बता दें कि विशेषज्ञों ने कई टेक्निकल खामियों को उजागर किया है। इसमें सबसे पहले उन्होंने बताया है कि रिंग रोड पर पेवमेंट मार्किंग उचित स्थानों पर नहीं है। साथ ही जहां पर मार्किंग हैं उनकी भी नाइट रिफलेक्टीविटी काफी कम है। वहीं, रोड साइड क्रेश बेरियर पर नाइट रिफलेक्टिविटी टेप नहीं है और बेरियर्स की हाइट भी नियम से कम है। जिससे सड़क के किनारे से काफी दूर लगे होने के कारण खुद एक्सीडेंट का कारण बन रहे है। साथ ही एस.ओ.एस हेल्पलाइन बॉक्सेस चालू कंडीशन में नहीं है।
विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बिल्टअप एरिया में सुनियोजित मीडियन ओपनिंग न होने के कारण वाहन चालक खासतौर पर दोपहिया वाहन गलत ढंग से रोड क्रॉस कर रहे हैं। जिससे दुर्घटना होने की संभावना काफी बढ़ रही है। वहीं, साइड स्लोप का अनुपात 1:2 होना चाहिए। जबकि रिंग रोड पर फ्लैट स्लोप दिया गया है और कोई स्लोप प्रोटेक्शन भी नहीं दिया गया। जबकि मिडियन पर पौधारोपण उचित ऊंचाई तक ना होने के कारण वह दूसरी तरफ से आते हुए वाहनों के नाइट ग्लेयर को कम करने में कोई भूमिका नहीं निभा रहा है।
15 दिन तक किया गहन अध्ययन और चर्चा
दरअसल, सड़क हादसों को लेकर एमएनआईटी के प्रोफेसर बीएल स्वामी और डॉ अरूण गौड़ के कॉर्डिनेशन में 15 दिन तक सड़क हादसों को लेकर विभिन्न विशेषज्ञों के साथ चर्चा की। इसमें वे सभी कारण सामने आए, जिससे सड़क हादसों में बढ़ोतरी हो रही है। जिस सर्टिफिकेशन कॉर्स में रोड सेफ्टी पर चर्चा हुई वह मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज एंड इंडियन रोड्स कांग्रेस के सहयोग से आयोजित हुआ। इसमें इंजीनियर्स, रिसर्चर एवं कंसलटेंट ने हिस्सा लिया। उन्होंने क्रैश एनालिसिस एंड ब्लैकस्पाट ट्रीटमेंट, इंटरसेक्शन एंड जेक्शन प्लानिंग और रोड साइड फनीर्चर जैसे मुद्दों पर अध्ययन किया।
36 लोगों को बांटा गया 12 समूह में
इस कॉर्स में सरकारी विभागों के साथ ही इंडस्ट्री से जुड़े 36 लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें 28 मई से 10 दिन तक विभिन्न विशेषज्ञों ने लेक्चर दिए। इसके बाद 7 जून से 11 जून तक प्रैक्टिकल के तहत इन 36 लोगों को 12 अलग-अलग ग्रुप में बांटा गया। प्रत्येक समूह में तीन लोग शामिल रहे। इन्हें करीब 47 किलोमीटर लंबी रिंग रोड पर दो—दो किलोमीटर का एरिया दिया गया। जिसका उन्होंने गहन अध्ययन किया। बता दें कि इन 36 में से 10 अधिकारी परिवहन विभाग के थे। वहीं, तीन पीडब्ल्यूडी और दो जेडीए के थे। शेष अन्य अलग—अलग कंपनियों से जुड़े अधिकारी थे।
विदेशों से एक्सपर्ट ने दिए रोड सेफ्टी के गुर
एमएनआईटी के डॉ अरूण गौड़ ने बताया कि रोड सेफ्टी आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस 15 दिवसीय कॉर्स में अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ रोड सेफ्टी के टिप्स देते हैं। इसमें केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी एक्सपर्ट लेक्चर देते है। इस 15 दिवसीय कॉर्स में आॅस्ट्रेलिया, कतर जैसे देशों के रोड सेफ्टी एक्सपर्ट ने भी टिप्स दिए।