जमालपुर रेल कारखाना में चल रहा प्रमोशन रोकने का ऑपरेशन ‘DECODE’, कोर्ट जाने की तैयारी में 43 अभ्यर्थी

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जमालपुर रेल कारखाना में चल रहा प्रमोशन रोकने का ऑपरेशन ‘DECODE’, कोर्ट जाने की तैयारी में 43 अभ्यर्थी

जमालपुर रेल कारखाना में चल रहा प्रमोशन रोकने का ऑपरेशन ‘DECODE’, कोर्ट जाने की तैयारी में 43 अभ्यर्थी

मुंगेर : बिहार के मुंगेर जिले में जमालपुर में स्थित रेल कारखाना इन दिनों विभागीय साजिश का अड्डा बन गया है। यहां जूनियर इंजीनियरों को दबाया जा रहा है। उनके प्रमोशन को रोक कर उन्हें मानसिक रूप से टॉर्चर किया जा रहा है। जी हां, ये हम नहीं कह रहे हैं। ये कहना है कि विभागीय जेई परीक्षा पास कर चुके अभ्यर्थियों का। अभ्यर्थियों का कहना है कि एक गहरी साजिश रची जा रही है। विभागीय जेई परीक्षा के बारे में बताया जा रहा है कि लगभग 6 माह से ऊपर हो गए, परीक्षा का परिणाम एवं मेडिकल की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। उसके बाद भी संबंधित अधिकारी जानबूझकर 43 अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

रेलवे अधिकारियों की साजिश

विभागीय जेई परीक्षा के बारे में बताया गया है कि परीक्षा का रिजल्ट प्रकाशन के पहले तमाम तरह का जांच क्लियर होने के बाद रिजल्ट का प्रकाशन जीएम की ओर से किया गया। अभ्यर्थियों को परेशान करने के लिए दोबारा जांच की बात कही जा रही है। अभ्यर्थी इसके पीछे लेन-देन और घूसखोरी का मामला बता रहे हैं। जेई अभ्यर्थियों का कहना है कि संबंधित अधिकारियों का निजी स्वार्थ इस विभागीय जेई परीक्षा में पूरा नहीं हो रहा है। जिसकी वजह से तरह-तरह से अभ्यर्थियों को परेशान किया जा रहा है।

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कोर्ट जाएंगे अभ्यर्थी

वहीं, दूसरी और ये भी चर्चा है कि विभागीय परीक्षा के प्रक्रिया को कैंसिल करवाने के लिए असफल अभ्यर्थियों की ओर से अच्छी-खासी रकम खर्च की जा रही है। ताकि, दोबारा जांच में उनका नंबर आ जाए। इसमें रेल कारखाना के कुछ अधिकारियों के शामिल होने का आरोप लग रहा है। जानकारी के मुताबिक जेई परीक्षा में पास किए गए चयनित अभ्यर्थी को जल्द ही प्रशिक्षण में नहीं भेजा जाता है, तो अभ्यर्थी कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

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घूसखोरी का खेल

हालांकि, इसके पहले सभी चयनित अभ्यर्थियों ने लिखित रूप से रेल महाप्रबंधक से लेकर रेलवे बोर्ड तक इस मामले की जानकारी दे दी है। मामले को लेकर सीडब्ल्यूएम सुदर्शन विजय हो या डिप्टी सीपीओ एके राय कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। वहीं, अभ्यर्थियों की मानें, तो इस प्रक्रिया में करोड़ों रुपये के लेन-देन का मामला है। असफल अभ्यर्थियों से पैसे लेकर दोबारा जांच कर उन्हें प्रवेश कराने का खेल चल रहा है।

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