जब Shivraj Singh Chouhan के सामने मुंह फुलाए बैठी थीं Uma Bharati, जानिए उस दिन की कहानी जब दुश्मनी बदली दोस्ती में

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जब Shivraj Singh Chouhan के सामने मुंह फुलाए बैठी थीं Uma Bharati, जानिए उस दिन की कहानी जब दुश्मनी बदली दोस्ती में

जब Shivraj Singh Chouhan के सामने मुंह फुलाए बैठी थीं Uma Bharati, जानिए उस दिन की कहानी जब दुश्मनी बदली दोस्ती में


भोपालः चुनाव के अपने रंग होते हैं। चुनाव में अक्सर वो सच नहीं होता होता जो सामने दिखता है और नतीजे वैसे नहीं होते जैसा अनुमान होता है। चुनाव में उम्मीदवार यदि उमा भारती जैसी फायरब्रांड नेता हो तो रंगत कुछ और ही होती है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला था 2012 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में। इस चुनाव में बीजेपी ने एमपी की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को चरखारी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था। कहने को तो यह चुनाव यूपी का था, लेकिन इसमें एमपी की सियासत के भी कई रंग देखने को मिले। खासकर तब जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनके समर्थन में प्रचार के लिए चरखारी पहुंचे थे।

मुश्किल से उमा की बीजेपी में हुई वापसी

2012 में यूपी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उमा भारती की बीजेपी में वापसी हुई थी। इससे पहले 2003 में उमा के नेतृत्व में बीजेपी ने एमपी में दिग्विजय सिंह के शासन का अंत कर दिया था। उमा मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन कुछ महीने बाद ही उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद पहले बाबूलाल गौर और फिर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री पद दोबारा हासिल करने की लालसा में उमा ने बगावती तेवर अपना लिए थे और शिवराज के साथ उनके संबंधों में कड़वाहट आ गई थी। साल 2008 में लोक जनशक्ति पार्टी बनाकर वे एमपी के विधानसभा चुनाव में उतरी थीं। चुनाव में खास कामयाबी नहीं मिलने के बाद वे बीजेपी में वापसी की कोशिशों में लगी थीं, लेकिन विरोधी इसमें अड़ंगा लगा रहे थे। काफी जद्दोजहद के बाद बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने 2012 में पार्टी में उनकी वापसी कराई और उन्हें चरखारी से उम्मीदवार बना दिया।

बेमन से चुनाव लड़ने को राजी हुईं उमा

यूपी और एमपी की सीमा पर स्थित चरखारी एक छोटा सा कस्बा है। उमा को इस शर्त पर पार्टी में वापस लिया गया था कि वे मध्य प्रदेश की राजनीति में दखलंदाजी नहीं करेंगी। उमा बड़े बेमन से यह शर्त मानने को तैयार हुई थीं। बहरहाल जब उन्होंने नामांकन भरा तो तय हुआ कि शिवराज उनके प्रचार के लिए चरखारी जाएंगे। यह ऐलान होते ही लोग बेसब्री से उस पल का इंतजार करने लगे क्योंकि इससे पहले तक उमा हर मौके पर शिवराज के खिलाफ बयानबाजी कर रही थीं। दूसरी ओर, शिवराज भी उन्हें संदेह की नजरों से देखते थे।

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आखिरी दिन प्रचार के लिए पहुंचे शिवराज

बहरहाल, तय हुआ कि चुनाव प्रचार के आखिरी दिन शिवराज चरखारी जाएंगे। शाम के चार बजे चरखारी के बेलाताल गांव में उनकी सभा रखी गई थी। छोटे से मैदान में हजारों लोगों की भीड़ पहले से जमा थी। इधर, घड़ी की सुईयां साढ़े चार से ऊपर बढ़ चुकी थी, लेकिन शिवराज का कहीं कोई पता नहीं था। उमा अपना भाषण खत्म कर चुकी थीं। इसके बाद वे दो-तीन बार मंच पर जाकर लोगों को बता चुकी थीं कि थोड़ी देर में शिवराज पहुंचने वाले हैं।

शिवराज पहुंचे तो उमा ने देखा तक नहीं

चुनाव प्रचार का आखिरी घंटा जैसे-जैसे नजदीक आ रहा था, उमा के चेहरे पर खीझ और गुस्सा स्पष्ट नजर आने लगा था। इधर, इंतजार कर रहे लोगों का धैर्य भी कमजोर पड़ने लगा था। तभी अचानक गाड़ियों के सायरन की आवाज गूंजी और भीड़ के शोर-शराबे के बीच शिवराज दौड़ने के अंदाज में मंच पर पहुंच गए। उमा भी वहीं मौजूद थीं, लेकिन वह शिवराज की ओर देख भी नहीं रही थीं। वे दूसरी तरफ मुंह करके बैठी रहीं। शिवराज मंच के चारों कोनों पर पहुंचे और हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया, लेकिन उमा तब भी नहीं उठीं।

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शिवराज ने उमा को पहना दी अपनी माला

उमा के हावभाव देखकर लगा कि शिवराज के आने में हुई देरी से वे खुश नहीं हैं। संदेह यह भी हुआ कि दोनों के रिश्तों की कड़वाहट कहीं मंच पर ही सामने न आ जाए। तभी मंच पर मौजूद कुछ कार्यकर्ता शिवराज की ओर बढ़े और उन्हें माला पहनाने की कोशिश करने लगे। इसी बीच उमा भी अपनी कुर्सी से उठकर शिवराज के पास आ गईं। शिवराज ने आनन-फानन में कार्यकर्ताओं के हाथ से माला लेकर उसे उमा के गले में डाल दिया। यह सब कुछ इतना अचानक हुआ कि लोग भी देखकर हैरान रह गए। दो पुराने दुश्मन इस तरह अचानक एक हो जाएंगे, इसका अंदाजा किसी को नहीं था। शिवराज ने अपने सौम्य व्यवहार से अक्खड़ उमा भारती को पिघला दिया था। इसी बीच उन्होंने अपना हाथ उमा के सिर पर रख दिया- आशीर्वाद देने के अंदाज में। हालांकि, शिवराज इससे पहले और बाद में भी उमा को दीदी बुलाते हैं। उनका यह व्यवहार देख भीड़ तालियां बजाने लगी।

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उमा ने शिवराज को बताया बड़ा भाई

इसके बाद शिवराज ने माइक संभाला और भारत माता की जय के नारे के साथ अपना भाषण शुरू किया। उन्होंने बोलना शुरू ही किया था कि उमा बीच में आ गईं। उन्होंने माइक अपनी ओर खींचा और बोलना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि शिवराज ने मेरे सिर पर हाथ रखा। वो मुझसे उम्र में बड़े हैं और मेरे बड़े भाई हैं। उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया है। अब मुझे जीतने से कोई नहीं रोक सकता।

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दोस्ती में बदल गई दुश्मनी

उमा की जीत सचमुच कोई नहीं रोक सका। वे आराम से चुनाव जीत गईं, लेकिन शिवराज के साथ उनकी यह सभा आज भी लोगों के जेहन में कैद है। दो दुश्मन कैसे एक झटके में दोस्त बन गए और मुंह फुलाये बैठी उमा भारती किस तरह शिवराज के बड़प्पन के सामने पिघल गई, इसकी आज भी चर्चा होती है।

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