जब धधक उठेगी अरावली, क्या तब जागेगा वन विभाग, आग में घी डाल रहे अधूरे इंतजाम

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जब धधक उठेगी अरावली, क्या तब जागेगा वन विभाग, आग में घी डाल रहे अधूरे इंतजाम

फरीदाबाद : गर्मी में आगजनी की घटनाएं बढ़ती हैं, यह अफसर जानते हैं। इन घटनाओं पर काबू पाने के लिए क्या करना होगा, इसकी जानकारी भी जिम्मेदारों को है, लेकिन अफसोस है कि अधूरे इंतजामों और लापरवाही के कारण जंगलों में आज भी आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। अरावली की पर्वत श्रृंखलाओं के जंगल में मंगलवार शाम 6 बजे भीषण आग लगने की घटना हो या नवंबर-2020 में पाली-भांखरी रोड किनारे जंगल सुलगने की बात, हर बार यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों जंगलों को पूरी तरह सुरक्षित नहीं किया जा रहा है। ऐसा क्या कारण है कि जंगलों में लगी आग पर काबू पाने में पसीने छूट जाते हैं। बात फरीदाबाद से सटे अरावली के जंगल की हो तो यहां भी आगजनी की पूरी आशंका है। यहां कूड़े के ढेर हैं, अवैध निर्माण हैं, घूमने आए कई लोग यहां स्मोकिंग करते हैं, उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। ऐसे में यहां आग लग जाए तो वन विभाग सुरक्षा व्यवस्था में नाकामयाब साबित होगा, क्योंकि यहां आग बुझाने के पूरे संसाधन भी नहीं हैं।

2020 की घटना के बाद भी नहीं लिया सबक
अरावली की पर्वत श्रृंखला गुड़गांव, मेवात, फरीदाबाद, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ से होकर गुजरती है। फरीदाबाद और गुड़गांव की ही बात करें तो इसका दायरा असोला से शुरू होकर फरीदाबाद के सूरजकुंड, मांगर बणी, पाली बणी, बडखल व गुड़गांव के दमदमा तक है। पहाड़ियों में जंगल है, जहां कई वन्य जीवों का बसेरा है। इसके अलावा अलग-अलग किस्म के पेड़ भी अरावली में हैं। इसके बावजूद अरावली में कबाड़ वालों ने कब्जा है। 2020 में तो पाली-भांखरी रोड किनारे अरावली के जंगलों में आग लग गई थी। आग इतनी भयंकर थी कि दमकल विभाग की 7 से ज्यादा गाड़ियों को बुलाना पड़ा, लेकिन इसके बाद भी अभी तक न तो वन विभाग और न ही नगर निगम ने सबक लिया है।

अरावली के अंदर अभी तक आग लगने की कोई घटना सामने नहीं आई है। अरावली में अवैध निर्माण है तो उन्हें हटाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। कबाड़ियों को भी हटाया जाएगा।

-राजकुमार, जिला वन अधिकारी

आतिशबाजी से बढ़ता है खतरा
अरावली के जंगलों में आग लगने की घटनाएं ज्यादा अवैध निर्माण के कारण भी हो सकती हैं। यहां 50 से भी ज्यादा बैंक्विट हॉल बने हैं। उनमें आग बुझाने के संसाधन काफी कम हैं। शादी समारोह के दौरान यहां लोग आतिशबाजी भी करते हैं, लेकिन रोक लगाने वाला कोई नहीं है। 2020 में ही सूरजकुंड रोड स्थित एक बैंक्विट हॉल में आग लग गई थी, जिसे दमकल विभाग की 8 से भी ज्यादा गाड़ियों ने बुझाया था। इसी तरह से गुड़गांव-फरीदाबाद रोड पर भी कई अवैध ढाबे खुल चुके हैं। इन ढाबों के कारण एक चिंगारी भी जंगल तक फैल सकती है, लेकिन वन विभाग इन अवैध निर्माणों पर भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

गार्ड का इंतजाम भी नहीं
वन विभाग और नगर निगम के अधिकारियों को मिलकर संयुक्त रूप से अभियान चलाना चाहिए, जिसमें अरावली जंगलों के अंदर पड़े कूड़े के ढेर को उठाना चाहिए। अरावली पहाड़ियों के अंदर बंधवाड़ी कूड़ा निस्तारण प्लांट भी बना हुआ है। अक्सर इसमें आग की घटनाएं होती रहती है। अनंगपुर, भांखरी, पाली, अनखीर के रकबे में भी कई जगह कूड़े के ढेर पड़े रहते हैं, जिसमें हल्की आग लगने के बाद तबाही मच सकती है। वहीं, इस वक्त अरावली जंगल की रखवाली करने के लिए वन विभाग के पास फॉरेस्ट गार्ड ही नहीं है तो वह आग कैसे बुझाएंगे। फायर डिपार्टमेंट के पास भी इस वक्त केवल 6 गाड़ियां ही आग बुझाने के लिए हैं। ज्यादा बड़ी आग लगी तो दूसरे जिलो से गाड़ियों को बुलाया जाता है।

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