जनसंख्या नियंत्रण पर मुख्तार अब्बास नकवी के बयान के क्या हैं मायने? ये योगी के नजरिए का खंडन है या कुछ और?

110
जनसंख्या नियंत्रण पर मुख्तार अब्बास नकवी के बयान के क्या हैं मायने? ये योगी के नजरिए का खंडन है या कुछ और?

जनसंख्या नियंत्रण पर मुख्तार अब्बास नकवी के बयान के क्या हैं मायने? ये योगी के नजरिए का खंडन है या कुछ और?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सत्ता के गलियारों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक बयान पर जमकर चर्चा शुरू हो गई है। दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को लेकर कहा था कि ये भी ध्यान रखना होगा कि जनसख्या के असंतुलन की स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए। ऐसा न हो कि किसी एक समुदाय की आबादी बढ़ने की गति तेज हो। इसका धार्मिक जनसांख्यिकी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अराजकता-अव्यवस्था शुरू हो जाती है। योगी के इस बयान पर विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से लेकर तमाम नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले मुख्तार अब्बास नकवी के ट्वीट पर हो रही है।

मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट किसी मज़हब की नहीं, मुल्क की मुसीबत है। इसे जाति, धर्म से जोड़ना जायज़ नहीं है। अब इस ट्वीट पर राजनैतिक विश्लेषक तरह-तरह की व्याख्या कर रहे हैं। सवाल ये है कि मुख्तार अब्बास नकवी के इस बयान का असल मायने क्या हैं? क्या ये योगी आदित्यनाथ के बयान का खंडन है?

दरअसल विश्व जनसंख्या दिवस पर मुख्यमंत्री योगी ने एक कार्यक्रम के दौरान जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को लेकर कहा था कि ये कार्यक्रम बढ़े लेकिन ऐसा न हो कि किसी एक समुदाय की आबादी बढ़ने की गति तेज हो। जनसख्या के असंतुलन की स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए। ऐसा न हो कि जो मूल निवासी हों, उनकी आबादी को नियंत्रित करके जनसंख्या असंतुलन पैदा कर दिया जाए। इसका धार्मिक जनसांख्यिकी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अराजकता-अव्यवस्था शुरू हो जाती है। इसीलिए जब हम जनसंख्या स्थिरीकरण के बारे में बात करते हैं, तो यह सभी के लिए और जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र के ऊपर एक समान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस समय 24 करोड़ से अधिक आबादी है। आने वालो कुछ वर्षों में यह आंकड़ा 25 करोड़ पार कर सकता है। ये देश में सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है।

बात मुख्तार अब्बास नकवी की करें तो दो दशक से ज्यादा समय से मुख्तार अब्बास नकवी बीजेपी का बड़ा मुस्लिम चेहरा रहे। अभी तक वे मोदी सरकार में अल्पसंख्य मामलों का विभाग संभाल रहे थे। लेकिन राज्यसभा में उन्हें पार्टी ने फिर से भेजने का निर्णय नहीं लिया तो हाल ही ही में उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से मुख्तार अब्बास नकवी के कार्यों की सराहना के बाद से ही नकवी के इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई थी। नकवी राज्यसभा में भाजपा के उपनेता हैं। राज्यसभा में उनका कार्यकाल इसी साल सात जुलाई यानी बृहस्पतिवार को समाप्त हो रहा है। पिछले दिनों राज्यसभा के लिए हुए द्विवार्षिक चुनाव में भाजपा ने उन्हें कहीं से उम्मीदवार नहीं बनाया था। तभी से ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी उन्हें कोई नई भूमिका सौंप सकती है।

मुख्तार अब्बास नकवी पहली बार रामपुर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। इसके बाद से मुख्तार अब्बास नकवी तीन बार राज्यसभा भेजे गए। आखिरी बार मुख्तार अब्बास नकवी 2016 में झारखंड से राज्यसभा सदस्य चुने गए थे, लेकिन इस बार इस बार पार्टी ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा। राज्यसभा से पत्ता कटा तो कयासबाजी शुरू हुई कि नकवी को शायद पार्टी रामपुर लोकसभा उपचुनाव में उतार सकती है। लेकिन यहां भी ऐसा नहीं हुआ। नकवी के बिना ही बीजेपी ने ये सीट जीत भी ली। बहरहाल, अब उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर नकवी का नाम चर्चाओं में है।

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News