छोटे पर्दे की ‘पुष्पा गर्ल’ करुणा पाण्डे बोलीं- अब फैंस ड्रामा नहीं रियलिस्टिक शो चाहते हैं

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छोटे पर्दे की ‘पुष्पा गर्ल’ करुणा पाण्डे बोलीं- अब फैंस ड्रामा नहीं रियलिस्टिक शो चाहते हैं


छोटे पर्दे की ‘पुष्पा गर्ल’ करुणा पाण्डे बोलीं- अब फैंस ड्रामा नहीं रियलिस्टिक शो चाहते हैं

टीवी इंडस्ट्री में ऐसी कई ऐक्ट्रेस हैं, जिन्होंने फिल्मों में तो काम किया लेकिन उनको बड़ी पहचान छोटे पर्दे से मिली। ऐक्ट्रेस करुणा पाण्डे ने भी फिल्मों में काम करने के बाद टीवी शो ‘वो रहने वाली महलों की’ से हर घर में अपनी जगह बनाई। इन दिनों वह अपने शो ‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ को लेकर चर्चा में हैं। इस बीच नवभारत टाइम्स संग एक्ट्रेस ने हर पहलुओं पर खुलकर बातचीत की। पढ़िए बातचीत का प्रमुख अंश।

शो में अपने किरदार के बारे में बताएं?
पुष्पा इम्पॉसिबल में मेरा किरदार पुष्पा का ही है, जो एक मां है। वह अपनी शर्तों पर जीती है और अपने आत्म सम्मान को सबसे आगे रखती है। उन्होंने अपने बच्चों के लिए बहुत किया लेकिन अपनी इच्छाओं को भी मारती नहीं है, बल्कि उसको अपने साथ लेकर चलती हैं। शो में मेरा किरदार ज्यादा ग्लॉरिफाई नहीं किया गया है। उन्हें एक सामान्य औरत या मां की तरह दिखाया है। ज्यादा सीधी-सादी छवि दिखाने की कोशिश नहीं की है। वो एक अलग तरह की मां है। जब मुझे ये ऑफर हुआ तब मेरे जहन में कोई सवाल ही नहीं था, क्योंकि जब आपके सामने ऐसी कहानी आती है, जिसमें आपके दृष्टिकोण से सारी कहानी कही गई है और आपको ही मध्य में रखकर कहानी बुनी गई है, तो शो को ना कहने का तो सवाल ही नहीं उठता। मैंने इससे पहले कभी ऐसा कोई रोल नहीं किया है।


पिछले दो सालों में दर्शकों का नजरिया काफी बदला है। आपको लगता है कि इसका असर टीवी इंडस्ट्री पर भी पड़ा है?
इसमें कोई दो राय नहीं है कि दर्शकों का नजरिया बदला है। लेकिन बात साउथ या बॉलिवुड की नहीं है, बात सिर्फ अच्छी कहानी की है। अगर कोई अच्छी कहानी आती है, तो फिर साउथ या बॉलिवुड जैसी सोच नहीं हाेती, वो फिल्म चलती ही है। जहां तक बात रही छोटे पर्दे की, तो बिलकुल यहां भी बदलाव आए हैं। मुझे लगता है कि अब टीवी में ऐक्टिंग और शो को दिखाने का तरीका बदला है। कहानी को कहने का तरीका चेंज हुआ है और अब सब कुछ रियलिस्टिक जोन में आता जा रहा है। शो में बात करने से लेकर चलने का तरीका तक रियल बनाया जा रहा है। ये कॉन्सेप्ट 90 के दौर में काफी पॉपुलर था। मैंने बुनियाद, हम लोग, नीम का पेड़ जैसे क्लासिक शो देखे हैं। दूरदर्शन के शो का तो कोई मुकाबला ही नहीं है। उस स्तर पर आज हम पहुंच ही नहीं सकते। प्राइवेट चैनलों ने जो ड्रामा जोन पकड़ा था, उसको अब टीवी ने तोड़ा है। अब टीवी शो वापस रियलिस्टिक शो की तरफ बढ़ रहे हैं और मैं भी चाहती हूं वो दौर वापस लौटे।


हमारे समाज में ऐसी कई कहानियां हैं, जहां एक औरत को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता है। क्या आपने कभी ऐसा कुछ फेस किया है?
मेरी निजी जिंदगी में तो मैंने ऐसी चीजों का सामना नहीं किया है। क्योंकि मेरे माता-पिता और घर का माहौल काफी अच्छा था। लेकिन आसपास समाज में ऐसा कई जगह देखने को मिल जाता है। वैसे महिलाओं के साथ ऐसा बर्ताव सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में होता है, क्योंकि पूरी दुनिया पुरुष सत्तात्मक है, जहां पुरुष हावी रहते हैं। ऐसे में महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पाता। मैं ऐसा नहीं कह रही हूं कि ये प्लान करके किया गया है, लेकिन ऐसा ही है, वहां सोच ही ऐसी हो जाती है कि वो महिला को आगे नहीं बढ़ने देते। लेकिन अब समाज बदल रहा है, महिलाओं को मौके मिल रहे हैं।

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हर दौर में महिलाओं को अलग-अलग तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा है। आज के दौर में आप किस समस्या को महिलाओं के लिए सबसे बड़ा मानती हैं?
मुझे लगता है कि आज के दौर में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। बाकी जगह तो उन्हें मौके मिल रहे हैं। हर फील्ड में वह आगे बढ़ रही हैं। लेकिन मेरा मानना है कि जो मिडल क्लास है या सामान्य परिवार की महिलाएं हैं, उनके सामने सुरक्षा एक बड़ी परेशानी है। इस जगह अभी भी काफी काम करने की जरूरत है। महिलाओं का सशक्तिकरण तो हर क्षेत्र में हो रहा है लेकिन वह तभी पूरी तरह से कामयाब होगा, जब उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। हमें हमारे घर में बच्चों खास तौर पर लड़कों को सभी के साथ महिलाओं की इज्जत करना सिखाना चाहिए। हमारे देश में अलग-अलग संस्कृति और मान्यताएं हैं, लेकिन सम्मान सबका बराबर होना चाहिए, ये हर किसी का हक है।





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